क्रिप्टोकरेंसी घोटाला मामला: एसआईटी ने हिमाचल प्रदेश में 41 स्थानों पर छापेमारी की, एक गिरफ्तार

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 29, 2023

करोड़ों रुपये के कथित क्रिप्टोकरेंसी घोटाले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने रविवार को हिमाचल प्रदेश में 41 स्थानों पर छापेमारी की और मुख्य आरोपियों में से एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि ऊना जिले का निवासी अभिषेक शर्मा 2018 में शुरू हुए उस घोटाले के मुख्य चार आरोपियों में से एक है, जिसमें कथित ठगों ने स्थानीय रूप से निर्मित (मंडी जिले) क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित निवेश योजना को लेकर लोगों से संपर्क किया था। पुलिस के अनुसार इससे पहले, दो मुख्य आरोपियों सुखदेव और हेमराज को गुजरात में पकड़ा गया था और पूछताछ के दौरान दोनों ने स्वीकार किया था कि उन पर 400 करोड़ रुपये की देनदारी बकाया है। पुलिस ने बताया कि घोटाले का कथित सरगना सुभाष अभी भी फरार है और कथित तौर पर दुबई में छिपा हुआ है।

पुलिस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि अभिषेक को एसआईटी ने गिरफ्तार कर लिया और अदालत में पेश किया। बयान के अनुसार अदालत ने उसे पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। इसमें गया है कि हमीरपुर में 25 स्थानों, कांगड़ा में सात, बिलासपुर में चार और मंडी तथा ऊना में दो-दो और सोलन जिले में एक स्थान पर छापेमारी की गई। इसमें कहा गया है कि तलाशी के दौरान महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं, जिनमें आपत्तिजनक दस्तावेज, संपत्ति रिकॉर्ड, मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल उपकरण शामिल हैं। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय कुंडू ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘छापेमारी के दौरान एकत्र किए गए सबूत हमारी जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और यह हमें दोषियों को उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराने के एक कदम और करीब लाएगा।’’ उन्होंने बताया कि इस मामले में अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने कम समय में अच्छे ‘रिटर्न’ का वादा करके लोगों को लुभाया था और निवेशकों का एक नेटवर्क बनाया था। उसने बताया कि तीन से चार तरह की क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल किया गया और फर्जी वेबसाइट बनाई गईं, जिनमें क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में हेरफेर किया गया और इन्हें बढ़ाया गया। क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है। यह एक विकेंद्रीकृत मुद्रा है, जिसका अर्थ है कि यह किसी भी सरकार या संस्था द्वारा नियंत्रित नहीं है। अधिकारियों के अनुसार एक हजार से अधिक पुलिसकर्मी भी ठगी का शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया और कुछ ने भारी लाभ कमाया तथा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) का विकल्प चुना और इसके प्रवर्तक बन गए। पुलिस ने आम जनता को सतर्क रहने और विशेष रूप से क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र में ऐसी निवेश योजनाओं को लेकर सावधानी बरतने के लिए आगाह किया है।

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