क्रेडिट कार्ड ने खरीदारी को बना दिया बड़ा आसान, जानिये कुछ बड़ी बातें

By अंकित सिंह | Nov 25, 2019

शॉपिंग करना हम सभी को पसंद है। पर शॉपिंग का मजा आप तभी ले सकते हैं जब पास में पैसे हो। अगर पैसे ना हो तो आपको बाहर निकलना भी बेकार सा लगता है। लेकिन क्रेडिट कार्ड ने आपकी इस समस्या को खत्म कर दिया है। क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर आप जब चाहे, जैसे चाहे शॉपिंग कर सकते हैं। बैंकों द्वारा मुहैया कराए गये क्रेडिट कार्ड से आप पेमेंट करते हैं तो इसका भुगतान EMI के जरिए किया जा सकता है। यानी कि अगर एक साथ आपके पास पैसे ना हो तो क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर आप खरीदारी कर ले और पैसे इंस्टॉलमेंट में देते रहें। वाकई क्रेडिट कार्ड ने खरीदारी को एक बड़ा आसान सा बना दिया है। लेकिन एक सवाल आपके मन में यह जरूर उठता होगा कि आखिर आप कितने तक की खरीदारी कर सकते हैं। आज हम आपको इसी का जवाब बताएंगे।


लेकिन पहले यह जान लीजिए कि क्रेडिट कार्ड बनता कैसे हैं

क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए आप ऑफलाइन या ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यह आवेदन आप अपने ब्रांच में भी कर सकते हैं। क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए आपको कुछ डाक्यूमेंट्स देने होते हैं। इन डाक्यूमेंट्स में पैन कार्ड, एक पहचान पत्र, फोटो और इनकम टैक्स की कॉपी देनी होती है। आपके मासिक आय के अनुसार ही आपका क्रेडिट कार्ड बनता है। बड़े शहरों में आजकल एजेंट क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए आपको बैंक के प्लान बताते हैं। आप चाहें तो उनके जरिए भी क्रेडिट कार्ड बनवा सकते हैं। क्रेडिट कार्ड बनवाने के आवेदन के 10 से 15 दिनों के भीतर आपको एटीएम कार्ड की ही तरह एक कार्ड बैंकों द्वारा मुहैया कराया जाता है। यह कार्ड आपके द्वारा दिए गए पते पर पोस्ट के जरिए पहुंचता है। क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए आपको एक फॉर्म भरना होता है जिसमें आप नाम, पता, जन्मतिथि, क्वालिफिकेशन, सालाना, पैन नंबर, मोबाइल नंबर आदि भरना होता है।

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अब आपको यह बताते हैं कि आखिर क्रेडिट कार्ड होता क्या है

क्रेडिट कार्ड बैंकों द्वारा प्रदान की गई एक ऐसी कार्ड है जिसके जरिए हम ऑनलाइन या ऑफलाइन शॉपिंग कर सकते हैं। बैंक हमें पैसा क्रेडिट में देती है जिसका हम भुगतान EMI के जरिए कर सकते हैं। जो पैसे हमें बैंक उधार में देती है उसकी एक लिमिट तय की जाती है। यह लिमिट हमारे मासिक आय पर निर्भर करता है। क्रेडिट कार्ड के जरिए हमारे द्वारा खर्च किए गए पैसों का भुगतान हम हर महीने के आखिरी में करते हैं। अगर 20 दिनों के अंदर हम भुगतान नहीं कर पाते हैं तो बैंक इंटरेस्ट और पेनल्टी चार्ज लगाती है।

 

अब आपको यह बताते हैं कि आखिर क्रेडिट कार्ड की लिमिट कैसे तय होती हैं

क्रेडिट कार्ड की लिमिट का मतलब यह है कि आप बैंक द्वारा दी गई लिमिट के बराबर हैं अपना अधिकतम खर्च कर सकते हैं। यह लिमिट बैंकों या फिर वित्तीय संस्थानों द्वारा तय की जाती है। हर क्रेडिट कार्ड पर लिमिट एक समान नहीं होते हैं। क्रेडिट कार्ड की लिमिट आपके आमदनी के हिसाब से तय होती है। क्रेडिट का लिमिट तय करना बैंकों का अधिकार होता है इसलिए पहले से किसी भी प्रकार का अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता है। क्रेडिट कार्ड की लिमिट तय करने में आपकी मासिक कमाई, फिक्स खर्चे और वित्तीय दायित्व एक अहम किरदार निभाता है। क्रेडिट कार्ड तय करते समय बैंक आपकी सैलरी स्लिप, टैक्स डॉक्यूमेंट, बैंक स्टेटमेंट और क्रेडिट रिपोर्ट की गहन निगरानी करता है। लिमिट तय करने की एक सामान्य सी प्रक्रिया है कि बैंक आपकी मासिक कमाई को दो या तीन से गुना करता है। इसके बाद जो आंकड़े सामने आते हैं उसमें से आपके खर्चे और ईएमआई को घटाया जाता है। आप की बची हुई राशि के आधार पर ही आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट तय की जाती हैं।

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क्रेडिट कार्ड की लिमिट कैसे बढ़ा सकते हैं

क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़वाने के लिए आपको सही समय का इंतजार करना होगा। यानी कि जब आपकी आमदनी में इजाफा हो तभी क्रेडिट कार्ड की लिमिट बनवाने के लिए आवेदन किया जाए तो ज्यादा बेहतर है। अगर आपको लिमिट ज्यादा बढ़वानी हो तो आपको क्रेडिट कार्ड के लिए नए तरीके से आवेदन करना होगा। यह बैंक पर निर्भर करता है कि वह आपका क्रेडिट लिमिट बढ़ाएं या नहीं बढ़ाएं। क्रेडिट लिमिट बढ़ाने के लिए आपका रिकॉर्ड अच्छा होना चाहिए। आपने पेमेंट समय पर किए हो यह सबसे जरूरी है। इसके अलावा आपने खरीदारी अच्छी की हो। क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़वाने के लिए आवेदन करते समय आप अपनी जरूरतों को ना बता कर बैंक को यह बताइए कि आप लिमिट बढ़ाने के लिए कैसे हकदार हैं। लिमिट बढ़वाने में यह भी देखा जाता है कि आपने कोई डिफॉल्ट तो नहीं किया है। एक बात ध्यान रखने वाली है कि जब भी आप जॉब स्विच कर रहे हैं तो लिमिट बढ़वाने का आवेदन ना करें। इसके अलावा अगर विदेश घूमने जा रहा है तो भी आप लिमिट बढ़वाने का आवेदन नहीं करें तो ज्यादा बेहतर होगा।

 

- अंकित सिंह

 

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