By अंकित सिंह | Jul 04, 2022
महाराष्ट्र सरकार अब आम लोगों को राहत देने की तैयारी में है। महाराष्ट्र में हाल में ही राजनीतिक घटनाक्रम के बाद सत्ता में हुए परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री की कमान एकनाथ शिंदे ने संभाली है। एकनाथ शिंदे ने आज ऐलान किया है कि महाराष्ट्र सरकार ईंधन पर वैट जल्द ही कम करेगी। सदन में विश्वास मत जीतने के बाद मुख्यमंत्री ने यह ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि ईंधन पर वैट कम करने का निर्णय राज्य मंत्रिमंडल में लिया जाएगा। आपको बता दें कि हाल में ही एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 40 से ज्यादा विधायक शिवसेना से बगावत कर चुके थे जिसके बाद महा विकास आघाडी की सरकार गिर गई और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। भाजपा के सहयोग से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने हैं। जबकि देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बार-बार उन राज्यों से वैट में कटौती करने की अपील करते रहते हैं जहां इसे कम नहीं किया गया था। हालांकि एक बात होता है कि जिस तरीके से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ऐलान किया है, इससे आम आदमी को काफी बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को राज्य विधानसभा में शक्ति परीक्षण में जीत हासिल कर ली। 288 सदस्यीय सदन में 164 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि 99 विधायकों ने इसके खिलाफ मतदान किया। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विश्वास मत को बहुमत मिलने की घोषणा की। हाल में शिवसेना के एक विधायक के निधन के बाद विधानसभा में विधायकों की मौजूदा संख्या घटकर 287 हो गई है, इसलिए बहुमत के लिए 144 मतों की आवश्यकता थी।
मुझे लंबे समय तक दबाया गया था
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ अपने पुराने जुड़ाव के स्पष्ट संदर्भ में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उन्हें लंबे समय तक दबाया गया था और उनके नेतृत्व में विद्रोह उनके साथ किए गए अनुचित व्यवहार का नतीजा था। शिंदे ने विधानसभा में उनके नेतृत्व वाली नवगठित सरकार के विश्वास मत हासिल करने के बाद अपने भाषण में कहा, “आज की घटनाएं सिर्फ एक दिन में नहीं हुईं।” पिछले महीने शिवसेना विधायकों के एक गुट के साथ शुरू हुई शिंदे की बगावत उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार के पतन के रूप में खत्म हुई। शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। उनके साथ देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने कहा, “जब मैं यहां चुनाव के लिए आया था, तो इस सदन में ऐसे लोग हैं, जिन्होंने देखा कि मेरे साथ कैसा व्यवहार किया गया। मुझे लंबे समय तक दबाया गया। सुनील प्रभु (उद्धव ठाकरे गुट से शिवसेना विधायक) भी गवाह हैं।”