जिनपिंग की तानाशाही से पीड़ित नागरिक देश छोड़ने में लगे, चीन से विभिन्न देशों में शरण मांगने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी

By अभिनय आकाश | Jul 21, 2022

वो कहता तो खुद को लोकतांत्रिक देश है, लेकिन हमने उसके कई रूप देखे हैं। अपने खिलाफ बोलने वालों को कैसी कीमत चुकानी पड़ती है ये हम अलीबाबा के फाउंडर जैक मा के रूप में देख चुके हैं। उसकी विस्तारवादी नीति से तो एशिया के तमाम मुल्क त्रस्त हैं। अपने कर्ज जाल में देशों को फंसा उसकी जमीन को कब्जाना उसका पसंदीदा शौक है। हम बात कर रहे हैं भारत के पड़ोसी मुल्क चीन ती। जिसकी नीतियों और सरकार से अब वहां के नागरिक भी तंग आ गए हैं। इसलिए वो अपने रहने के लिए नया ठिकाना तलाशने में लगे हैं। माओ के नक्शेकदम पर चलते हुए चीन के तानाशाह शी जिनपिंग वैसे तो वर्तमान दौर को सांस्कृतिक क्रांति का दौर बता रहे हैं। लेकिन इससे इतर वहां के लोगों दूसरे देशों में शरण मांगते नजर आ रहे हैं जहां उन्हें किसी भी प्रकार की मानवता नजर आए।

इसे भी पढ़ें: चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों में ढील देने का वादा किया

चीनी नागरिक राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासन के दमनकारी शासन से तंग आ चुके हैं। समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि चीन के कुलीन और मध्यम वर्ग के लोग देश छोड़ और दूसरे देशों में राजनीतिक शरण लेने के लिए प्रयास कर रहे हैं। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के अनुसार, 2012 में चीन से शरण चाहने वालों की वार्षिक संख्या 15,362 थी। हालांकि, यह उच्च दर से बढ़ती रही और 2020 में बढ़कर 1,08,071 हो गई। दिलचस्प, बात यह है कि 2012 ही वह वर्ष था जब शी जिनपिंग ने चीन की सत्ता संभाली थी। चीन में हालात कितने खराब हैं, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि चीन से पलायन करने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। 

इसे भी पढ़ें: चीन ने पैंगोंग झील पर सैन्य अभ्‍यास का वीडियो किया जारी, PLA के तीन लड़ाकू हेलिकॉप्‍टर उड़ान भरते आए नजर

दुनिया की नजर में भले ही चीन एक अमीर और खुशहाल देश है, जहां लोग मजे से रह रहे हैं। लेकिन वास्तविकता बेहद ही कड़वी है। आलम ये है कि सबसे अधिक अमीर लोग ही चीन से पलायन की इच्छा रखते हैं। हाल ही में कई उद्योगपतियों के सरकार की नजरों पर चढ़ने की कीमत चुकाने की वजह से भी लोगों में डर है। जिसकी वजह से अब चीनी नागरिक अपने ही देश में नहीं रहना चाहते हैं। ऐसे में अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया के अन्य तानाशाह देशों के शासक से अत्याचारों से त्रस्त जनता कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दे। 


प्रमुख खबरें

संजीव गोयनका को महंगे पड़ गए Rishabh Pant, LSG के मालिक खुद किया स्वीकार

Delhi के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित हुआ Odisha Parv Samaroh 2024, पीएम मोदी ने की शिरकत

IPL 2025 नीलामी में युजवेंद्र चहल पर हुई पैसों की बारिश, पंजाब ने 18 करोड़ में खरीदा, गेंदबाज ने बताई दिल की बात

Ranbir Kapoor ने राज कपूर फिल्म महोत्सव की घोषणा की