By अभिनय आकाश | Nov 09, 2024
29 फरवरी ऐसी तारीख है जो चार सालों में एक बार आती है। यानी ये दिन खास रहता है। इसी दिन पीएम मोदी ने एक बटन दबाकर दुनियाभर को हैरान कर दिया और मालदीव व चीन के सपनों को चकनाचूड़ कर दिया। मादलीव और चीन ने भारत के खिलाफ जो प्लान बनाया था उसे पीएम मोदी ने एक बटन दबाकर डिलीट कर दिया। मॉरिशस के आगलेगा द्वीप को भारत का नया खुफिया सैन्य अड्डा भी कहा जा रहा है। 2015 में मॉरिशस ने भारत के साथ एक समझौता किया जिसके तहत 3,000 मीटर लंबी एक हवाई पट्टी और एक जेट्टी का निर्माण किया जाना था। यह समझौता दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा को लेकर बढ़ते सहयोग के तहत हुआ।
अगलेगा द्वीप भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों
25 किलोमीटर लंबा अगलेगा द्वीप मॉरिशस का हिस्सा है। अगलेदा द्वीप की दूरी मॉरीशस से एक हजार किलोमीटर है। लेकिन मॉरिशस ने अपने अगलेगा द्वीप पर भारत को लाकर बैठा दिया। भारत अगलेगा द्वीप से नौसेना के पी8आई सर्विलांस एयरक्रॉफ्ट,ड्रोन, हेलीकॉप्टर और युद्धपोत ऑपरेट कर सकता है। पी8आई को बोईंग 737 को मॉडिफ़ाई करके बनाया गया है जो पनडुब्बियों पर नज़र रख सकता है और उनको निशाना बना सकता है। साथ ही यह समुद्री संचार की निगरानी कर सकता है।
सर्विलांस स्टेशन
एक बड़े रणनीतिक बढ़त हासिल करते हुए भारत ने पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित अगलेगा द्वीप पर एक नई एयरस्ट्रिप और एक नई जेट्टी बनाई। भारत ने अगलेगा में 3 हजार मीटर लंबी एयरस्टिरप बनाई। जहां बड़े कमार्शियल विमानों के साथ साथ लड़ाकू विमान भी उतर सकते हैं। इसके अलावा भारत ने अगलेगा द्वीप से समुद्र के काफी अंदर तक जाने वाली जेट्टी भी बनाई है। आपको बता दें कि जेट्टी समुद्र तट पर बना वो स्थान है जहां जहाज आराम से लंगर डालकर खड़े हो सकते हैं और उनपर माल लादा और उतारा जा सकता है। भारत अगलेगा द्वीप पर अपने विमान को उतारने के साथ ही जंगी जहाजों को जेट्टी पर खड़ा भी कर सकता है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फ़ॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज़ ने इस ढांचे को सर्विलांस स्टेशन बताया है और कहा है कि यहां वैसा ही तटीय रडार सर्विलांस सिस्टम लगाया जाएगा, जैसा मॉरिशस में भारत निर्मित उपकरण लगाए गए हैं।
चीन के स्टिंग ऑफ पर्ल्स की निकल जाएगी हवा
भारतीय नौसेना के 50 से अधिक अधिकारी और कर्मी पहले से ही इस रणनीतिक द्वीप पर तैनात हैं और दोनों देश अगालेगा द्वीप पर जनशक्ति की संख्या को और बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। अपनी समुद्री क्षमताओं को मजबूत करने के भारत के प्रयास अगालेगा से भी आगे तक फैले हुए हैं। डुक्म बंदरगाह, ओमान में एक समुद्री सहायता बेस की स्थापना और उत्तरी अगालेगा द्वीप समूह में एक हवाई सहायता सुविधा स्थापित करने की योजना के साथ, भारत का लक्ष्य हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में मित्र देशों के लिए समुद्री डोमेन जागरूकता और विशेष रूप से क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति के आलोक में तटीय सुरक्षा को बढ़ाना है। अगलेगा द्वीप अफ्रीका के जिबूती से बेहद नजदीक है। आपको बता दें कि जिबूती में चीन का नौसेनिक अड्डा है। लेकिन अगलेगा पहुंचकर भारत चीन की छाती पर अपने जहाज खड़े कर सकता है। अगलेगा द्वीप के आसपास समुद्री डाकुओं का भी काफी आतंक रहता है। ये समुद्री डाकू दुनियाभर के देशों के जहाजों पर हमले करते हैं। चीन अफ्रीका के जिबूती से लेकर मालदीव तक भारत को घेरने के लिए स्टिंग ऑफ पर्ल्स बना रहा था।
भारत मॉरिशस के बीच की दोस्ती
1970 के दशक से ही भारत मॉरिशस के बीच क़रीबी रक्षा रिश्ते रहे हैं। देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, इसके कोस्ट गार्ड चीफ़ और पुलिस हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन के प्रमुख-ये सभी भारतीय नागरिक हैं और क्रमशः भारतीय विदेशी इंटेंलिजेंस एजेंसी, नेवी और वायुसेना के अधिकारी हैं। ये बात तो साफ है कि भारत और इसके पश्चिमी सहयोगी, हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में मॉरिशस में भारत के सीक्रेट मिलिट्री बेस होने को एक बड़े कमद के तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि भारत सरकार की तरफ से आधिकारिक रूप से इस तरह की कोई भी बात स्वीकार नहीं की गई है।