By अंकित सिंह | Mar 25, 2025
आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने मंगलवार को संसद में कहा कि भारत को वैश्विक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की दौड़ में अपनी स्थिति मजबूत करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र के मेक इन इंडिया को अब मेक एआई इन इंडिया में बदलना चाहिए। राज्यसभा में बोलते हुए, चड्ढा ने कहा कि अमेरिका और चीन ने एआई में बड़ी प्रगति की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के पास चैटजीपीटी, जेमिनी, एंथ्रोपिक और ग्रोक हैं, जबकि चीन के पास डीपसीक है - एक एआई मॉडल जिसमें सबसे अधिक क्षमता और सबसे कम उत्पादन लागत है। लेकिन इस एआई युग में भारत कहां खड़ा है? क्या भारत पीछे रह गया है?
चड्ढा के सवाल के बाद राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने विश्वास जताया कि विश्व गुरू तो भारत ही होगा। आप नेता ने कहा कि 2010 से 2022 के बीच, दुनिया के 60% एआई पेटेंट अमेरिका के पास थे, चीन ने 20% हासिल किए, जबकि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद चीन के आधे हिस्से के साथ पीछे रह गया। उन्होंने कहा, "यह सच है कि अमेरिका और चीन को एआई में चार से पांच साल की बढ़त है। लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने शोध, शिक्षा और एआई विकास में निवेश किया है।" चड्ढा ने भारत के मजबूत प्रतिभा पूल पर भी प्रकाश डाला और कहा कि वैश्विक एआई कार्यबल में भारतीयों की हिस्सेदारी 15% है, जिसमें लगभग 4.5 लाख भारतीय एआई पेशेवर विदेशों में काम कर रहे हैं।
आप सदस्य ने कहा कि आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी पांचवी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन ने पिछले चार पांच साल में एआई पर खासी रिसर्च की और उसमें निवेश तथा प्रयोग किए। उन्होंने कहा कि कुल एआई कार्य बल का 15 फीसदी हिस्सा भारतीय हैं। ‘‘भारत के पास प्रतिभा है, मेहनती लोग हैं, ब्रेन पॉवर है, डिजिटल अर्थव्यवस्था है, हमारे यहां 90 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपभोक्ता हैं। फिर भी वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर एआई के संदर्भ में नजर रहीं आता। वह एआई उत्पादक बनने के बजाय एआई उपभोक्ता बन गया है।’’ आप सदस्य ने कहा कि करीब 15 फीसदी यानी लगभग साढ़े चार लाख भारतीय एआई के क्षेत्र में भारत से बाहर काम कर रहे हैं और एआई दक्षता में भारत की रैंक तीसरी है। उन्होंने कहा ‘‘इसका मतलब है कि भारत के पास प्रतिभा है।’’