By अंकित सिंह | Mar 28, 2025
केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की 24 मार्च की सिफारिशों के आधार पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को दिल्ली से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने की अधिसूचना जारी कर दी। हालांकि, इसको लेकर सवाल खड़े होने लगे है। पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा कि क्या जस्टिस यशवंत वर्मा द्वारा दिए गए सभी फैसले रद्द कर दिए जाएंगे? क्या देश में उनके जैसे और भी वर्मा हैं? इसी बीच इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया गया है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण करने पर उन्हें कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए।
सीपीआई सांसद पी. संदोष कुमार ने कहा कि उन्हें न्यायाधीश के पद से हटा दिया जाना चाहिए और ये खुलासे चौंकाने वाले हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वकील भी उनके तबादले के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय को उनके जैसे लोगों के लिए डंपिंग सेंटर नहीं बनना चाहिए। सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ट्रांसफर का प्रस्ताव रूटीन था और इसका नकदी विवाद से कोई संबंध नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ मामले की जांच के लिए तीन जजों की एक कमेटी बनाई है। दिल्ली में जज के आधिकारिक आवास के स्टोर रूम में आग बुझाने के लिए दमकलकर्मियों को बुलाए जाने के बाद कई बोरों में नकदी गलती से मिल गई। हालांकि प्रशासन के साथ-साथ दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को इस घटनाक्रम की जानकारी दी गई, लेकिन एक हफ्ते बाद मामले को सार्वजनिक किया गया।