By रितिका कमठान | Dec 01, 2023
भारत का पड़ोसी देश चीन इन दिनों आर्थिक मोर्चे पर डगमगा रहा है। चीन में बीते कुछ दिनों से निमोनिया बीमारी ने पैर फैलाए है, जो शुरुआत में मिस्ट्री वायरस के तौर पर फैली थी। वहीं दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण फैलाने से पहले तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बनने की इच्छा के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा था। हालांकि कोरोना फैलने के बाद चीन की ये इच्छा अधूरी रह गई है।
कोरोना काल के बाद से ही चीन की अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है। चीन की वित्तीय हालात काफी खराब हो गई है। चीन की आर्थिक स्थिति अब पहले की तरह मजबूत नहीं रही है। आलम ये है कि चीन आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। चीन के समक्ष आर्थिक मोर्चे पर कई चुनौतियां है। इस संबंध में वर्ष 2023 के अप्रैल में वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट भी आई थी जिसमें चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर कहा गया था कि चीन की अर्थव्यवस्था संरचनात्मक मंदी का सामना कर रही है। इस गिरावट के पीछे डेमोग्राफी में प्रतिकूल बदलाव, उत्पादन की धीमी बढ़ोतरी और ग्लोबल लोन से जुड़े चीनी सरकार के फैसलों को जिम्मेदार ठहराया गया है। आज के समय में चीन की अर्थव्यवस्था को देखकर विकास की दिशा में बढ़ते कदमों की रुकावटें भी स्पष्ट होती है।
इसी बीच अमेरिकी रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने नवंबर 2023 में कहा कि भारत की जीडीपी के विकास दर 2026 तक बढ़कर सात प्रतिशत तक पहुंचेगी। वहीं चीन की विकास दर इस दौरान गिरकर 4.6 फीसदी हो सकती है। 'चाइना स्लोज इंडिया ग्रोथ' शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया-पैसिफिक रीजन का विकास इंजन भी चीन से हटकर अब दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में होगा।
वहीं इन दिनों चीन में फैल रही बीमारी के कारण अगर कोविड जैसी स्थिति पैदा होती है तो ये चीन की अर्थव्यवस्था के लिए एक बहुत बड़ा झटका होगा। हालांकि भारत के लिए भी ये स्थिति अच्छी नहीं होगी। वर्ष 2023 के दौरान अप्रैल से अक्टूबर के दौरान भारत ने चीन से 60 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात किया है। हालांकि कोरोना के बाद से चीन से होने वाले एक्सपोर्ट में गिरावट आई है।