'हम दो, हमारे दो' का बहुचर्चित नारा जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से दिया गया था। माना जाता है कि 'हम दो, हमारे दो' नारे को हिंदी के मशहूर कवि बालकवि बैरागी ने लिखा था। भारत की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए इंदिरा गांधी सरकार ने 'हम दो, हमारे दो' का नारा दिया था। लेकिन भारत से 2982 किलोमीटर दूर घटती और बूढ़ी होती आबादी से परेशान चीन कह रहा- हम दो, हमारे तीन। पचास साल पहले जब पहला जनसंख्या दिवस मनाया गया था तो पता है दुनिया की आबादी कितनी थी। 3 अरब 55 करोड़ जो आज 7 अरब साठ करोड़ यानी दोगुनी से भी ज्यादा है। सिर्फ बैंक में रखा पैसा ही इतनी तेजी से बढ़ता है और कुछ नहीं। इस समय पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है चीन। 144 करोड़ की आबादी के साथ चीन इस सूची में पहले स्थान पर है। जनसंख्या के मामले में अभी हम दूसरे नंबर पर हैं। जहां कुल आबादी 139 करोड़ है। तीसरे स्थान पर है अमेरिका जहां की कुल आबादी 33 करोड़ है। यानी इस हिसाब से देखें तो पूरी दुनिया की कुल आबादी में 18.47 का हिस्सा केवल चीन का है। भारत की हिस्सेदारी 17.7 प्रतिशत है। अमेरिका की हिस्सेदारी 4.25 प्रतिशत है। लेकिन जनसंख्या को लेकर इन तीनों देशों की नीतियां अलग-अलग है। चीन दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कड़े कानून बनाए हैं। चीन में पहले एक बच्चे की नीति थी, फिर दो बच्चों की नीति आई और अब तीन बच्चों की पॉलिसी आई है।
वन चाइल्ड पॉलिसी
चीन में 1978 में तत्कालीन राष्ट्रपति डेंग शाओपिंग ने वन चाइल्ड पॉलिसी (माता-पिता को एक बच्चा पैदा करने की छूट की नीति) लाकर जनसंख्या बढ़ोतरी पर नियंत्रण लगाने की कोशिश की। इस नीति के तहत सरकारी अफसर और कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ती है अगर उसका एक से अधिक बच्चा पाया जाता है। नीति को लागू करने के लिए वहाँ बड़े पैमाने पर नसबंदी की गई और जबरन गर्भपात जैसे उपाय अपनाए गए। अगर माता-पिता पर लगाया गया जुर्माना नहीं भरा जाता तो उस बच्चे की देश की नागरिकता में गणना नहीं की जाती, यानी वे पैदा होते ही गैरकानूनी घोषित कर दिए जाते। इस कानून को लागू होने के तीन से ज्यादा दशकों में चीन में लिंगअनुपात बिगड़ गया है. इस दौरान देश में करीब 3-4 करोड़ अधिक लड़के पैदा हुए हैं जिससे इनकी शादी में मुश्किल होने लगी। इस कानून से चीन में लड़का पैदा करने के प्रति रुझान बढ़ गया है जिससे लड़कियों की भ्रूण हत्या भी बढ़ गई। इसके साथ ही वहां बूढ़े लोगों की संख्या बढ़ने लगी औरइस बुज़ुर्ग पीढ़ी को सहारा देने के लिए नौजवान आबादी की कमी होने लगा। चीन में युवाओं का एक बड़ा तबका धीरे-धीरे खत्म हो गया। इस समस्या को देखते हुए 2016 में चीन ने अपनी नीति में बदलाव किया।
टू चाइल्ड पॉलिसी
चीन में लोगों को दो बच्चे पैदा करने (टू चाइल्ड पॉलिसी) की इजाजत दे दी गई। 2009 में टू चाइल्ड पॉलिसी लाई गई। हालांकि शुरू में दो बच्चे सिर्फ वही कपल पैदा कर सकते थे, जो अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। साल 2014 तक इस टू चाइल्ड पॉलिसी को पूरे चीन में लागू कर दिया गया था। अब 5 साल बाद पॉलिसी फिर बदली गई। अब चीन में थ्री चाइल्ड पॉलिसी लागू हो चुकी है।
थ्री चाइल्ड पॉलिसी
चीन सरकार ने परिवार नियोजन के नियमों में ढील देने की घोषणा की है। अब चीन में दंपती तीन बच्चे पैदा कर सकेंगे। सत्तारूढ़ दल के पोलित ब्यूरो की हुई बैठक में तय हुआ कि ‘‘चीन बुजुर्ग होती आबादी से सक्रिय रूप से निबटने के लिए प्रमुख नीतियां और उपाय लाएगा।’’ रिपोर्ट में कहा गया कि पार्टी के नेताओं ने ‘‘कहा कि जन्म देने की आयु सीमा में ढील देने जिसके तहत दंपति तीन बच्चों को भी जन्म दे सकते हैं, इसके अनुकूल नीतियों में बदलाव करने तथा इससे जुड़े अन्य कदम उठाने से चीन के आबादी संबंधी ढांचे को बेहतर बनाया जा सकता है।’’
चीन को क्यों उठाना पड़ा ये कदम?
चीन की सरकार की तरफ से 20 मई को जनसंख्या के आंकड़े जारी किए गए थे। जिसके मुताबिक पिछले दशक में चीन में बच्चों के पैदा होने की रफ्तार का औसत सबसे कम था। आंकड़ों में बताया गया कि 2011 से 2020 के बीच चीन की जनसंख्या वृद्धि दर 5.38 प्रतिशत रही। 2010 में यह 5.84 प्रतिशत थी। वहीं साल 2020 में चीन में सिर्फ 12 मिलियन बच्चे पैदा हुए, जबकि 2016 में ये आंकड़ा 18 मिलियन था। आंकड़ों के अनुसार 2010 से 2020 के बीच चीन में जनसंख्या बढ़ने की रफ्तार 0.53 प्रतिशत थी। जबकि साल 2000 से 2010 के बीच ये रफ्तार 0.57 प्रतिशत थी। इसका मुख्य कारण चीन की चाइल्ड पॉलिसी को बताया गया। साल 2019 में चाइना अकेडमी ऑफ़ सोशल साइंसेज़ के एक अध्ययन में देश की कम होती श्रम शक्ति और बूढ़ी आबादी को लेकर चिंता जताई गई थी। रिपोर्ट का कहना था कि इन दोनों बदलावों के बेहद प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं। इस शताब्दी के मध्य तक चीन की जनसंख्या घटकर एक अरब 36 करोड़ हो जाएगी लेकिन श्रम शक्ति गिरकर 20 करोड़ पर पहुंच जाएगी।
चीन की इस परेशानी के कुछ कारण
मातृत्व दर 1.3% है। मोटे तौर कपल्स एक से ज्यादा बच्चे नहीं चाहते।
वन चाइल्ड पॉलिसी की वजह से जेंडर गैप बढ़ा। बेटियों की भ्रूण हत्या कर दी गई। फिलहाल, करीब 112 पुरुषों पर 100 महिलाएं हैं। 2010 में यह 118 पुरुषों पर 100 महिलाएं थीं। यानी इस मामले में हालात बेहतर हुए।
युवा एजुकेशन और कॅरियर पर काफी फोकस कर रहे हैं। कई बार वे कॅरियर बनाने के चक्कर में परिवार से दूर हो जाते हैं।
3 चाइल्ड पॉलिसी पर क्या है जनता का रिएक्शन
बढ़ती कीमत, रोजगार में बाधा और बुजुर्ग माता-पिता का ध्यान रखने की जिम्मेदारी के कारण युवा दंपति बच्चे पैदा करने से कतरा रहे हैं। चीन में 1970 के दशक में एक गरीब किसान के लिए ज्यादा बच्चों का मतलब होता था खेती के लिए ज्यादा हाथ। लेकिन अब शहरों में रह रहे अमीर और युवा दंपत्ति ऐसा कतई नहीं चाहते। और फिर बुजुर्गों की बढ़ती आबादी का भी ख्याल रखना है। यू यान खुश हैं कि वह दो बेटियों की मां हैं लेकिन वह सोचती हैं कि आखिर चीन में कम महिलाएं ही क्यों बच्चे को जन्म दे पाती हैं जबकि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार महिलाओं से बच्चे पैदा करने की अपील कर रही है। यू (35) की सुबह अपनी दो साल की बेटी की देखभाल में तो शाम का समय अपनी 10 साल की बेटी का गृहकार्य कराने में गुजरता है। यू ने यह सब करने के लिए रेस्टोरेंट की अपनी नौकरी छोड़ दी इसलिए परिवार अब उनकी पति की कमाई पर ही चलता है। यू ने कहा, ‘‘अगर कोई युवा जोड़ा काम करने में व्यस्त है और उनके माता पिता बच्चों की देखभाल नहीं कर सकते हैं तो वे बच्चे पैदा नहीं करना चाहेंगे।’चीन में एक सामान्य परिवार के लिए एक बच्चे को पालने में 490,000 युआन ($ 74,838) की लागत आई। स्थानीय मीडिया ने बताया कि 2020 तक यह खर्च चार गुना तक बढ़कर अब1.99 मिलियन युआन हो गया है।-अभिनय आकाश