By अनन्या मिश्रा | Oct 05, 2024
इन दिनों नवरात्रि का महापर्व चल रहा है। नवरात्रि के 9 दिनों में माता रानी पृथ्वी पर होती है। ऐसे में मां दुर्गा को प्रसन्न करना और उनका आशीर्वाद पाना बहुत आसान होता है। इस दौरान माता रानी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ऐसे में आप अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए देवी भगवती के कुछ मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।
बता दें कि देवीभागवत पुराण में कुछ ऐसे मंत्रों का वर्णन किया गया है। इन मंत्रों का जाप करने से माता रानी को आसानी से प्रसन्न करके अपनी इच्छानुसार आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। तो आइए जानते हैं देवीभागवत पुराण में मनोकामना के लिए सबसे बढ़िया मंत्र क्या है।
धन प्राप्ति के लिए मंत्र
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः।
सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।
अर्थ
धन संबंधी परेशानियों से बुरी तरह परेशान हैं, तो गरीबी दूर करने के लिए नियमित माता के सिद्ध मंत्र का जाप करें।
संतान प्राप्ति के लिए मंत्र
सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
अर्थ
धन प्राप्ति के अलावा संतान सुख पाने के लिए रोजाना इस मंत्र का जाप करें।
संकट से निकलने का मंत्र
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते।।
अर्थ
अगर आपका समय बुरा चल रहा है या आप बार-बार संकट में फंसते जा रहे हैं, तो रोजाना देवी भगवती के इस मंत्र का जाप करें।
धन और स्वास्थ्य के लिए मंत्र
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै।।
अर्थ
स्वास्थ्य और धन के साथ ऐश्वर्य से भरपूर जीवन जीने के लिए देवी भगवती के इस सिद्ध मंत्र का जाप करें।
मोक्ष प्राप्ति का मंत्र
सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते।
स्वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते।
अर्थ
जीवन और मृत्यु के चक्र यानी बार-बार जन्म और मरण के चक्र से बचना चाहते हैं, तो मोक्ष की प्राप्ति के लिए रोजाना इस मंत्र का जप करें।
आकर्षण क्षमता बढ़ाने का मंत्र
ॐ महामायां हरेश्चैषा तया संमोह्यते जगत्, ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।
अर्थ
मां भगवती के इस सिद्ध मंत्र का जप करने से जातक में आकर्षण क्षमता आ जाती है। जिससे जातक अपनी बातों और व्यक्तित्व से लोगों को आकर्षित कर सकता है।
सुंदर और सुयोग्य जीवनसाथी पाने का मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि नोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
गुणवान और शक्तिशाली बनने का मंत्र
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते।।
अर्थ
इस मंत्र का जप करने से जातक गुणवान और शक्तिशाली बनता है।
प्रसन्नता और आनंद के लिए मंत्र
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।
त्रैलोक्यवासिनामीडये लोकानां वरदा भव।।