By दिव्यांशी भदौरिया | Mar 29, 2025
नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। साल में 2 बार नवरात्रि आती है। एक चैत्र और दूसरी शारदीय नवरात्रि, इसके अतिरिक्त 2 गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती है, जो कि साधु-संतों को लिए होती है। मार्च-अप्रैल के महीने में चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा की उपासना का एक पवित्र समय है, इस दौरान भक्तगण श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने की विशेष धार्मिक परंपरा निभाई जाती है। अखंड ज्योति नौ दिनों तक निरंतर जलती है, जिसे नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के समय जलाया जाता है। अखंड ज्योत जलाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। आइए आपको बताते हैं अखंड ज्योत जलाने के नियम।
नवरात्रि में अखंड ज्योत जलाने के नियम
- जलाने का समय: नवरात्रि में अखंड ज्योति को प्रतिपदा तिथि से लेकर दशमी तिथि तक लगातर जलाया जाता है। नवरात्र के 9 दिनों तक अखंड ज्योत जलती रहनी चाहिए। ऐसा करने से देवी दुर्गा की कृपा बनी रहेगी।
- सामग्री: दीपक में शुद्ध घी का प्रयोग करें। इसे आप चावल, जौ या गेहूं के ऊपर रखें। सामग्री शुद्ध और सात्विक होनी चाहिए। टूटे हुए चावल का प्रयोग न करें, क्योंकि यह अशुद्ध होते हैं।
- मंत्रों को जाप करना: जब आप अखंड ज्योत जला रहे हैं, तो इस मंत्र का जाप करें- "करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्, शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते"। इस मंत्र के जाप करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहेगी, इसके साथ ही शत्रुओं दूर होते हैं और स्वास्थ्य बेहतरीन होता है।
- साफ-सफाई का रखें ध्यान: इस बात का ध्यान रखें कि, जहां पर अखंड ज्योति जल रही है, वहां पूरे स्थान की साफ-सफाई का रखें। जगह को स्वच्छ रखें और कोई नकारात्मक ऊर्जा न आए, इसके लिए घर के वातावरण को शांत बनाए रखना जरुरी है।
अखंड ज्योत जलाते समय बरतें ये सावधानियां
- कभी भी अखंड ज्योति को अकेला न छोड़ें।
- ज्योत को जलता हुआ बनाएं रखें।
- किसी कारणवश यह बुझ जाए, तो इसे तुरंत पुन: जलाकर सही स्थिति में रखें।
- ज्योत का बुझना अशुभ होता है।
- अखंड ज्योति की लौ सदैव पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होनी चाहिए।
- अखंड ज्योत को जमीन पर नहीं रखनी चाहिए।
- अखंड ज्योति को बुझने से बचाने के लिए कांच के लैंप से ढककर रखना चाहिए और 9 दिनों तक अखंड ज्योति जलाने के बाद उसे फूंक मारकर नहीं बुझना चाहिए। दीपक को स्वयं बुझने दें।
- ध्यान रहें कि, आग्रेय कोण यानी कि पूर्व-दक्षिण में अखंड ज्योति जलाना अच्छा माना जाता है।