भले ही इस सप्ताह देश में कई मुद्दे रहे लेकिन चर्चा सबसे ज्यादा भारत-चीन विवाद और किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री के बयानों की हुई। प्रभासाक्षी ने भी अपने बेहद ही खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इन्हीं दो मुख्य विषयों पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे मौजूद रहे। दोनों ही विषय पर अपनी राय को रखते हुए उन्होंने कहा कि भारत-चीन विवाद पर जो ताजा हालात है और जो सरकार की ओर से आधिकारिक बयान है उस पर हमें विश्वास करना होगा। देश हित के मुद्दे पर हमें सरकार के साथ रहना चाहिए और विपक्ष को भी यह बात समझनी होगी। नीरज दुबे ने इस बात पर भी जोर दिया कि चीन को भी यह लगने लगा है कि भारत 1962 वाला नहीं है, भारत उसे कड़ी टक्कर दे रहा है। क्योंकि पहले डोकलाम और अब पूर्वी लद्दाख में जो स्थिति पैदा हुई उससे चीन को भारत की स्थिति का अंदाजा हो रहा है। ऐसे में चीन को पीछे जाना ही होगा और इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। दूसरी ओर पर किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री के बयानों पर नीरज दुबे ने कहा कि सरकार की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि वह कृषि कानूनों वापस नहीं लेगी। सरकार बातचीत को तैयार है और प्रधानमंत्री की ओर से किसानों को निमंत्रण दिया जा रहा है। ऐसे में किसानों को अपनी हठ छोड़कर सरकार के साथ बातचीत करनी चाहिए और बीच का रास्ता निकालना चाहिए।
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील से सेनाओं के पीछे हटाने पर चीन के साथ समझौता हुआ: राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया कि चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारों पर सेनाओं के पीछे हटाने का समझौता हो गया है और भारत ने इस बातचीत में कुछ भी खोया नहीं है। सिंह ने बताया कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं को पीछे हटाने का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वय और सत्यापन के तरीके से हटाएंगे। लोकसभा और राज्यसभा में दिए बयान में रक्षा मंत्री ने हालांकि बताया कि अभी भी पूर्वी लद्दाख में वास्तवित नियंत्रण रेखा पर तैनाती तथा गश्ती के बारे में ‘‘कुछ लंबित मुद्दे’’ बचे हुए हैं जिन्हें आगे की बातचीत में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि इस बात पर भी सहमति हो गई है कि पैंगोंग झील सेपूर्ण तरीके से सेनाओं के पीछे हटने के 48 घंटे के अंदर वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत हो तथा बाकी बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकाला जाए। उन्होंने कहा कि चीन अपनी सेना की टुकडि़यों को उत्तरी किनारे में फिंगर आठ के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा। इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकडि़यों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा। उन्होंने कहा कि इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों पक्षों द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा कि ये कदम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे तथा जो भी निर्माण आदि दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर किया गया है, उन्हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति बना दी जाएगी। ज्ञात हो कि पिछले नौ महीने से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है। इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए सितम्बर, 2020 से लगातार सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई। रक्षा मंत्री ने कहा कि सेनाओं को पीछे हटाने के लिए आपसी समझौते के तहत तरीका निकाले जाने को लेकर वरिष्ठ कमांडर स्तर की नौ दौर की बातचीत भी हो चुकी है।उन्होंने कहा इसके अलावा राजनयिक स्तर पर भी बैठकें होती रही हैं। उन्होंने बताया किभारतीय सेनाओं ने चीनी सेना की सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई क्षेत्रों को चिन्हित कर हमारी सेनाएं कई पहाडि़यों के ऊपर तथा हमारे दृष्टिकोण से उपयुक्त अन्य क्षेत्रों पर मौजूद हैं। इस गतिरोध के दौरान शहीद हुए जवानों की शहादत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इसे देश सदैव याद रखेगा।
रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने पैंगोंग झील, गलवान घाटी जाने का फैसला किया
रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में पैंगोंग झील और गलवान घाटी का दौरा करने का फैसला किया है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। भाजपा के वरिष्ठ नेता जुएल ओराम की अध्यक्षता वाली समिति मई या जून के अंतिम हफ्ते में वहां के दौरे पर जाना चाहती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस समिति के सदस्य हैं। सूत्रों ने बताया कि इन इलाकों का दौरा करने का फैसला समिति की पिछली बैठक में लिया गया था। उस बैठक में गांधी शामिल नहीं हुए थे। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जाने के लिए समिति को सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
पैंगोंग सो क्षेत्र में सैनिकों, बख्तरबंद वाहनों के पीछे हटने प्रक्रिया जारी है
पूर्वी लद्दाख में पैंगोग सो (झील) इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने के लिए चीन के साथ समझौते के बाद बीजिंग और भारत की सेनाएं इस इलाके में सैनिकों की संख्या को लगातार कम कर रही हैं और बख्तरबंद वाहनों को पीछे ले जा रही हैं। सेना के सूत्रों ने शुक्रवार को यह बात कही। उन्होंने बताया कि पैंगोंग सो के दक्षिण तट पर टकराव के बिंदु से युद्धक टैंक और बख्तरबंद वाहनों को हटाया जा रहा है जबकि उत्तरी तट के क्षेत्रों से जवानों को वापस बुलाया जा रहा है। सूत्रों ने यह भी बताया कि बख्तरबंद वाहनों की वापसी का काम लगभग पूरा हो गया है और दोनों पक्षों द्वारा बनाए गए अस्थायी ढांचों को अगले कुछ दिन में गिराया जाएगा। इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, ‘‘पीछे हटने की प्रक्रिया में वक्त लगेगा क्योंकि दोनों ही पक्ष सैनिकों और सैन्य वाहनों को वापस बुलाने की सत्यापन प्रक्रिया एक साथ कर रहे हैं।’’ सूत्रों ने बताया कि जवानों और बख्तरबंद वाहनों की वापसी केवल टकराव के बिंदु वाले स्थानों से ही हो रही है जहां दोनों ओर के जवान बिलकुल आमने-सामने थे।
प्रधानमंत्री ने ‘भारत माता का एक टुकड़ा’ चीन को दिया: राहुल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन के साथ सीमा पर गतिरोध को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से संसद के दोनों सदनों में दिए गए वक्तव्य की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत माता का एक टुकड़ा’ चीन को दे दिया। उन्होंने यह आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री चीन के सामने झुक गए और उन्होंने सैनिकों की शहादत के साथ विश्वासघात किया है। कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल रक्षा मंत्री ने दोनों सदनों में बयान दिया। कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें स्पष्ट करने की जरूरत है। पहली बात यह है कि इस गतिरोध के शुरुआत से ही भारत का यह रुख रहा है कि अप्रैल, 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल होनी चाहिए, लेकिन रक्षा मंत्री के बयान से स्पष्ट है कि हम फिंगर 4 से फिंगर 3 तक आ गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने भारतीय सीमा चीन को क्यों दी? इसका जवाब प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को देना है। देपसांग इलाके में चीन हमारी सीमा के अंदर आया है। इस बारे में रक्षा मंत्री ने एक शब्द नहीं बोला।’’ राहुल गांधी ने दावा किया, ‘‘ सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की पवित्र जमीन चीन को दे दी है....उन्होंने भारत माता एक टुकड़ा चीन को दे दिया है।’’
सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया में भारत ने किसी भी इलाके से दावा नहीं छोड़ा : रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो (झील) इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर समझौता करते हुए किसी भी इलाके से दावा नहीं छोड़ा है। वहीं, देपसांग, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा सहित अन्य लंबित ‘‘समस्याओं’’ को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच आगामी वार्ताओं में उठाया जाएगा। इस पर भाजपा ने भी गांधी के आरोपों पर पलटवार किया। भारत-चीन सीमा गतिरोध के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राहुल गांधी द्वारा निशाना साधे जाने के बाद भाजपा ने शुक्रवार को उनपर जमकर पलटवार किया। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस नेता के आरोपों को ‘‘झूठा’’ करार देते हुए पूछा कि क्या यह सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहे सशस्त्र बलों का अपमान नहीं है। नड्डा ने राहुल गांधी के उस संवाददाता सम्मेलन को ‘‘कांग्रेस सर्कस का नया संस्करण’’ बताया जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री पर हमला बोला था। भाजपा अध्यक्ष ने एक ट्वीट में पूछा कि वह (राहुल गांधी)झूठा दावा क्यों कर रहे हैं कि सेनाओं का पीछे हटना भारत के लिए नुकसान है? क्या यह ‘कांग्रेस-चीन एमओयू’ का हिस्सा है? रक्षा मंत्रालय ने पैंगोंग सो इलाके में ‘फिंगर 4’ तक भारतीय भूभाग होने की बात को भी गलत करार दिया है। रक्षा मंत्रालय ने कड़े शब्दों वाला एक बयान जारी कर कहा, ‘‘भारत ने समझौते के परिणामस्वरूप किसी भी इलाके पर दावा नहीं छोड़ा है। इसके उलट, उसने एलएसी का सम्मान सुनिश्चित किया और एकतरफा तरीके से यथास्थिति में किसी भी बदलाव को रोका है।’’
किसानों का बहुत सम्मान करती हैं संसद और सरकार, पुरानी कृषि प्रणाली जारी रहेगी: मोदी
केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से अधिक समय से जारी किसानों के प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि संसद और सरकार किसानों का बहुत सम्मान करती हैं और तीनों कृषि कानून किसी के लिये ‘‘बाध्यकारी नहीं हैं बल्कि वैकल्पिक’’ हैं, ऐसे में विरोध का कोई कारण नहीं है। उन्होंने किसानों से बातचीत के लिए आने का एक बार पुन: आह्वान करते हुए स्पष्ट किया कि जो पुरानी कृषि विपणन प्रणाली को जारी रखना चाहते हैं, वे ऐसा कर सकते हैं। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानूनों का पुरजोर बचाव करते हुए कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों पर ‘‘झूठ एवं अफवाह’’ फैलाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने अपने भाषण के बीच सदन में शोर-शराबा करने वाले विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि ये जो हो-हल्ला, ये आवाज हो रही हैं और रुकावटें डालने का प्रयास हो रहा है...यह एक सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ रणनीति यह है...... जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा तो लोग सच्चाई नहीं जान पाएं, इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है। लेकिन ये लोगों का विश्वास कभी नहीं जीत पायेंगे।’’ निचले सदन में प्रधानमंत्री के करीब 90 मिनट के भाषण का ज्यादातर हिस्सा किसानों के मुद्दे पर केंद्रित रहा। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए उसे ‘विभाजित और भ्रमित’’ पार्टी करार दिया और कहा कि वह न तो अपना भला कर सकती है और ना ही देश की समस्याओं के समाधान के लिए सोच सकती है। कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा‘‘ कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थी, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या ? इसका जवाब कोई देता नहीं है,क्योंकि सबकुछ वैसा का वैसा ही है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों को लेकर हर उपबंध पर चर्चा की पेशकश की और अगर इसमें कोई कमी है, तब बदलाव करने को भी तैयार है।
मोदी ने पंजाब के किसानों के लिए गलत भाषा के इस्तेमाल पर जताई आपत्ति, आंदोलन समाप्त करने की अपील की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों, खासकर पंजाब के किसानों के लिए इस्तेमाल की गई ‘‘भाषा’’ की कटु आलोचना की और कहा कि इससे किसी का भला नहीं होगा। उन्होंने किसानों से अपना आंदोलन समाप्त कर कृषि सुधारों को एक मौका देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह समय खेती को ‘‘खुशहाल’’ बनाने का है और देश को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कृषि सुधारों पर ‘‘यू-टर्न’’ लेने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और कहा कि पिछले कुछ समय से इस देश में ‘‘आंदोलनजीवियों’’ की एक नई जमात पैदा हुई है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती। उन्होंने कहा कि एक नया ‘‘एफडीआई’’ भी मैदान में आया है और यह है ‘‘फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी’’। उनका इशारा आंदोलनरत किसानों को ‘‘खालिस्तानी आतंकवादी’’ बताए जाने की ओर था। उन्होंने कहा कि देश को प्रत्येक सिख पर गर्व है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम आंदोलन से जुड़े लोगों से लगातार प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं। उनको ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। आगे मिल बैठ कर चर्चा करेंगे, सारे रास्ते खुले हैं। यह सब हमने कहा है और आज भी मैं इस सदन के माध्यम से निमंत्रण देता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह, खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का समय है और इस समय को हमें नहीं गंवाना चाहिए। हमें आगे बढ़ना चाहिए, देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए।’’ मोदी ने आंदोलनरत किसानों के साथ ही विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि इन कृषि सुधारों को मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा,‘‘हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि सुधारों से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो हम उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे। पक्ष, विपक्ष, आंदोलनरत साथियों को इन सुधारों को मौका देना चाहिए और एक बार देखना चाहिए कि इस परिवर्तन से हमें लाभ होता है कि नहीं। ऐसा तो नहीं है कि सब दरवाजे बंद कर दिए गए हैं।’’ प्रधानमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी तथा इसके लिए इस बार के बजट में व्यवस्था भी की गई है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एमएसपी था और एमएसपी रहेगा।’’
- अंकित सिंह