Bombay high court ने फैमिली कोर्ट को दिया आदेश, Yuzvendra Chahal-Dhanashree Verma के तलाक पर ले फैसला: रिपोर्ट

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By रितिका कमठान | Mar 19, 2025

Bombay high court ने फैमिली कोर्ट को दिया आदेश, Yuzvendra Chahal-Dhanashree Verma के तलाक पर ले फैसला: रिपोर्ट

भारतीय क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और कोरियोग्राफर धनश्री वर्मा का रिश्ता अब खत्म होने की कगार पर है। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बुधवार को दोनों के तलाक के लइए एक फैमिली कोर्ट आदेश दिया है कि कोर्ट गुरुवार 20 मार्च को ही दोनों के तलाक पर फैसला करे। ये आदेश आगामी इंडियन प्रीमियर लीग सीजन में युजवेंद्र चहल की भागेदारी को देखते हुए दिया गया है।

 

युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा का रिश्ता बीते ढाई वर्षों से मुश्किलों से गुजर रहा है। दोनों ढ़ाई साल से अलग रह रहे है। ऐसे में दोनों ने अदालत से अनुरोध किया था कि उन्हें हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत आवश्यक छह महीने की कूलिंग-ऑफ अवधि से छूट दी जाए क्योंकि दोनों के बीच शादी को बनाए रखने की संभावनाओं पर विचार करने का विकल्प नहीं है। दोनों को सीधे तलाक की अनुमति मिले।

 

तलाक के लिए अर्जी दाखिल करने के दौरान दोनों ने तलाक लेने के पीछे कम्पैटिबिलिटी इश्यू को मुख्य कारण बताया है। इस मामले पर बार एंड बेंच की रिपोर्ट की मानें तो न्यायमूर्ति माधव जामदार ने फैमिली कोर्ट से 20 मार्च तक उनकी तलाक की अर्जी पर फैसला लेने को कहा है। 

युजवेंद्र चहल इस आईपीएल 2025 में सबसे महंगे स्पिनर बने है। युजवेंद्र चहल पंजाब किंग्स टीम के लिए खेलेंगे, जिसके लिए उन्हें 18 करोड़ रुपये मिले है। वहीं चहल और उनकी पत्नी के रिश्ते को लेकर अदालत ने कहा कि दोनों के अलगाव की अवधि लंबी हो गई है। दोनों पक्ष इससे पहले हुई मुलाकात में गुजारा भत्ता भुगतान के मुद्दे पर एक समझौते पर पहुँच गए थे। हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी(2) के अनुसार, पारिवारिक न्यायालय तलाक के लिए आपसी याचिका पर उसके दायर होने के छह महीने बाद ही विचार कर सकता है, जिसके दौरान वे यह देखने का प्रयास कर सकते हैं कि विवाह के संबंध में कोई समझौता या पुनर्विचार संभव है या नहीं। बता दें कि 20 फरवरी को फैमिली कोर्ट ने युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के अनुरोध को खारिज कर दिया था, जिसमें चहल द्वारा पक्षों के बीच समझौते की शर्तों का केवल आंशिक अनुपालन करने का हवाला दिया गया था।

 

चहल ने 4.75 करोड़ रुपये देने पर सहमति जताई थी, लेकिन सुनवाई के समय उन्होंने केवल 2.37 करोड़ रुपये ही चुकाए थे। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, फैमिली कोर्ट ने एक मैरिज काउंसलर का भी हवाला दिया, जिसने कहा कि चहल ने समझौते के तहत निर्धारित शर्तों को केवल आंशिक रूप से ही पूरा किया था। मामला उच्च न्यायालय में गया, जहां न्यायमूर्ति माधव जामदार ने फैसला सुनाया कि भुगतान की दूसरी किस्त तलाक के बाद स्थायी गुजारा भत्ते के रूप में दी जा सकती है।

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