विशिष्ट शैली से अपने किरदार को जीवंत करने वाले अभिनेता थे 'जीवन'

By अमृता गोस्वामी | Jun 10, 2020

अपनी दुबली-पतली काया, लंबे कद और संवाद बोलने की अपनी विशेष शैली से फिल्मी दुनिया में अपनी अलग पहचान के साथ जीवन ने धार्मिक फिल्मों में नारद मुनि की भूमिका में अपने को इतना फिट पाया कि वह नारद मुनि के रूप में आत्मसात हो गए और जब उन्होंने फिल्मों में विलेन की भूमिका अदा की तो फिल्मों में प्राण जैसे दिग्गज विलेन के दौर में भी अपनी एक अलग जगह हासिल की।


ओल्ड मूवीज की बात करें तो उस समय विलेन का किरदार भी इतना पाॅवरफुल होता था की बहुत बार तो हीरो से ज्यादा विलन प्रभावी हो जाता था... जीवन ऐसे ही प्रमुख विलनों में से हैं जिनकी बहुत सी फिल्मो में उनकी चर्चा हीरो से ज्यादा होती थी।

 

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जीवन का जन्म एक कश्मीरी परिवार में 24 अक्टूबर 1915 को हुआ था। उनका असली नाम ओंकार नाथ धार था। बहुत छोटी उम्र मात्र 3 साल में ही उनके सिर से उनके माता-पिता का साया उठ गया था। उस समय में फिल्मों में एक्टिंग का इतना क्रेज था कि फिल्मों का शौक रखने वाला लगभग हर व्यक्ति फिल्मी कलाकारों में अपनी छवि देखता था और खुद भी फिल्मी दुनिया में भाग्य अजमाने का ख्वाब रखता था, यही वजह थी कि बॉलीवुड में तब ऐसे बहुत से कलाकार हुए हैं जिन्होंने घर में इजाजत मिले न मिले, घर से भागकर फिल्मों में अपना करियर बनाने मुंबई की ओर रूख किया। ‘जीवन’ भी ऐसे ही अभिनय पसंद कलाकारों में थे जिन्हें अभिनय से बहुत लगाव था, और घर से इजाजत न मिलने के बावजूद 18 साल की उम्र में वे घर से भागकर फिल्मों में भाग्य अजमाने मुंबई आ गए। आपको आश्चर्य होगा जानकर कि जीवन जब मुंबई आए तो उनकी जेब में सिर्फ 26 रुपए थे।


फिल्मों में कॅरियर को लेकर शुरुआती दिनों में जीवन को काफी मेहनत करनी पड़ी। शुरूआत में उन्होंने जाने-माने डायरेक्टर मोहन सिन्हा के स्टूडियो में रिफ्लेक्टर पर सिल्वर पेपर चिपकाने का काम किया और जब मोहन सिन्हा को पता चला कि ‘जीवन’ अभिनय का शौक रखते हैं तो उन्होंने जीवन को 1935 में बनी अपनी फिल्म ‘फैशनेबल इंडिया’ में रोल दिया। जीवन ने इस फिल्म में अपने सराहनीय अभिनय से सबका मन जीत लिया और इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, उन्हें लगातार कई फिल्में मिलती गई। 


उस समय धार्मिक फिल्मों का प्रचलन था और धार्मिक फिल्मों में जब जीवन को नारद मुनि का रोल करने का मौका मिला तो उन्होंने नारद मुनि की भूमिका को जीवंत कर दिया। उसके बाद तो जब भी कोई फिल्मकार नारद मुनि पर फिल्म बनाता तो वह जीवन को ही उस किरदार के लिए उपयुक्त पाता। जीवन ने तकरीबन 49 फिल्मों में नारद मुनि का किरदार निभाया, जो अपने आप में एक रिकार्ड है। 


फिल्मों में जीवन के बोलने का लहजा और उनका एक्सप्रेशन अलग ही था जो बाद में उनके अभिनय की एक अलग पहचान बन गई। जीवन ने लगभग चार दशकों तक फिल्मों में काम किया। अपने कॅरियर के शुरुआती दौर में ही जीवन जान गए थे कि उनका चेहरा हीरो लायक नहीं है इसलिए उन्होंने खलनायकी में हाथ आजमाया और एक लंबे समय तक इस किरदार में वह सफल भी हुए। 

 

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जीवन की फिल्मों की लिस्ट लंबी है, स्वामी, कोहिनूर, शरीफ बदमाश, अफसाना, स्टेशन मास्टर, अमर अकबर एंथनी, धर्म-वीर नागिन, शबनम, हीर-रांझा, जॉनी मेरा नाम, कानून, सुरक्षा, लावारिस, नया दौर, दो फूल, वक्त, हमराज, बनारसी बाबू, गरम मसाला, धरम वीर, सुहाग, नसीब और गिरफ्तार आदि जीवन की यादगार फिल्में हैं। 


10 जून 1987 को 71 साल की उम्र में जीवन का निधन हो गया। आज भी बड़े-बड़े कलाकार फिल्मों में जीवन के अभिनय की नकल करते नजर आते हैं। जीवन के बेटे किरण कुमार भी हिन्दी सिनेमा के मशहूर एक्टर हैं। अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए उन्होंने भी कई फिल्मों में विलेन की भूमिका निभाई। 


अमृता गोस्वामी

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