By अभिनय आकाश | Dec 28, 2024
भारतीय प्रवासियों के लिए अमेरिकन ड्रीम अपना सपना सरीखा होता जा रहा है। अमेरिका की जटिल इमिग्रेशन नीति को समझना और फिर उससे पार पाना पहाड़ चढ़ने जैसा हो गया है। भारतीयों के लिए परमानेंट रेजिडेंसी यानी ग्रीन कार्ड हासिल करना हो या फिर नागरिकता लेना, दोनों ही काम बेहद मुश्किल है। ग्रीन कार्ड और नागरिकता का रास्ता ना सिर्फ लंबा है। भावनात्मक रूप से थकान वाला है। इससे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन पर दबाव पड़ने लगता है।
ग्रीन कार्ड का लंबा इंतजार
भारतीय प्रवासियों के लिए परमानेंट रेजीडेंसी या ग्रीन कार्ड का रास्ता खासतौर पर काफी ज्यादा कठिन है। हर देश के लिए ग्रीन कार्ड को लेकर लगी लिमिट की वजह से भारतीय नागरिकों को रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड के लिए 50 साल या उससे ज्यादा समय तक इंतजार करना पड़ रहा है।
तस्करी नेटवर्क की भयावहता
अमेरिका विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं, खाने-पीने के शौकों, पर्यटन स्थलों और व्यापार अवसरों के लिए जाना जाता है। कुछ लोगों के लिए अमेरिका कैरियर या शिक्षा के लिए आकर्षक होता है। कुछ लोगों का मानना है कि अमेरिका चल चलों जिंदगी संवर जाएगी। अमेरिका दुनियाभर से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसकी मुख्य वजह अमेरिकन ड्रीम है। हम सालों तक पढ़ाई करते हैं, डिग्रियां लेते हैं ताकी अपने सपनों को पूरा कर सके। अमेरिकन ड्रीम की वजह से ही लाखों भारतीय अमेरिका में पहुंचे हैं और हर साल हजारों उसी नक्शेकदम पर चलते हुए दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले मुल्क में पहुंच रहे हैं। लेकिन रफ्ता रफ्ता अमेरिकन ड्रीम का ख्वाब खत्म हो रहा है और लोगों के लिए ये बुरे सपने में बदल रहा है। भारतीय प्रवासियों को अमेरिकन ड्रीम को पूरा करना जितना आसान लगता है, उतना है नहीं।