By अंकित सिंह | May 08, 2021
भारत में कोरोना महामारी महासंकट का रूप ले चुकी है। रोजाना असंख्य लोगों की जान जा रही है, ऐसे में हमें एक दूसरे की मदद की जब जरूरत है तब दवाइयों और इंजेक्शनों के तमाम जमाखोर सक्रिय हो गये हैं। ऐसा नहीं है कि जमाखोरों और कालाबाजारियों पर छापे नहीं पड़ रहे लेकिन इनको अब तक कोई सख्त सजा नहीं मिली इसीलिए ऐसे लोगों का हौसला बढ़ जाता है और यह लोग लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने में लगे रहते हैं। सिर्फ महँगे दाम पर जीवन रक्षक दवाइयां बेची जा रही हों ऐसा नहीं है बल्कि कई जगह जीवनरक्षक इंजेक्शनों की जगह नकली इंजेक्शन तैयार करने की खबरें आ रही हैं। कालाबाजारी के इन गोरखधंधों में कुछ दवा निर्माताओं और डॉक्टरों तक की गिरफ्तारी हुई है यह वाकई मानवता को शर्मसार करने वाली बात है। प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में भी हमने इसी बात पर चर्चा की। कोरोना महामारी के इस दौर में कालाबाजारी और जमाखोरी ने मानवता को तार-तार किया है। संकट की घड़ी में भी लोग लूटने को तैयार है। वही तीसरी लहर को लेकर भी हम सभी को सतर्क रहना है, सचेत रहना है।
याचिका में नेताओं पर ऑक्सीजन की जमाखोरी का आरोप, अदालत ने आप विधायक से मांगा जवाब
दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका सुनवाई के लिए आई जिसमें नेताओं पर ऑक्सीजन की जमाखोरी करने का आरोप लगाया गया है। अदालत ने कोविड-19 मरीजों के लिए जनता को ऑक्सीजन वितरित करने के दावे पर आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक इमरान हुसैन से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने इस याचिका पर दिल्ली सरकार और कैबिनेट मंत्री हुसैन को नोटिस जारी किये हैं। हुसैन को सुनवाई में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने कहा कि यह देखना होगा कि विधायक को ऑक्सीजन कहां से मिल रही थी क्योंकि गुरुद्वारे भी ऑक्सीजन वितरित कर रहे हैं। अदालत ने कहा, “उन्हें संभवत: फरीदाबाद से यह मिल रही है, आपको कई समस्या नहीं होनी चाहिए अगर वह आवंटित स्रोत में से इसे नहीं ले रहे हैं और अपने सिलेंडरों की व्यवस्था खुद कर रहे हैं।” याचिकाकर्ता के वकील ने हुसैन द्वारा ऑक्सीजन वितरण से संबंधित एक फेसबुक पोस्ट दिखाया और दलील दी कि इसकी जमाखोरी की जा रही है। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि भले ही भाजपा नेता गौतम गंभीर हों या आप विधायक इमरान हुसैन, अगर किसी तरह के उल्लंघन की जानकारी मिलती है तो सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। गंभीर ने इससे पहले ट्वीट किया था कि कोविड-19 मरीजों के लिए अहम मानी जाने वाली कुछ दवाइयां उनके कार्यालय में उपलब्ध हैं और जिन्हें जरूरत है, वे वहां से ले सकते हैं। उन्होंने यह भी ट्वीट किया था कि उन्होंने ऑक्सीजन सांद्रकों का प्रबंध किया है और जिन्हें जरूरत हो वे इन्हें ले सकते हैं।
मप्र में रेमडेसिविर इंजेक्शन एवं ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने वाले 21 लोगों पर रासुका
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोविड-19महामारी के इलाज में आवश्यक इंजेक्शन रेमडेसिविर एवं ऑक्सीजन की कालाबाजारी में लिप्त 21 व्यक्तियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत मामला दर्ज किया है। मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के इलाज में आवश्यक इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी और ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाही की जा रही है। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में लिप्त 20 व्यक्तियों और ऑक्सीजन की कालाबाजारी में शामिल एक व्यक्ति के विरुद्ध रासुका के प्रकरण दर्ज किये गये हैं। चौहान ने कहा कि किसी भी दोषी व्यक्ति को बख्शा नहीं जायेगा। उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी पर इंदौर जिले में नौ व्यक्तियों,उज्जैन जिले में आठ लोगों,जबलपुर जिले में दो व्यक्तियों और ग्वालियर जिले में एक व्यक्ति के विरुद्ध रासुका के तहत प्रकरण दर्ज किये गये हैं। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर एक व्यक्ति के विरुद्ध रासुका का प्रकरण दर्ज किया गया है। चौहान ने कहा कि कालाबाजारी और अवैध विक्रय नहीं हो, इसके लिये प्रदेश के सभी औषधि निरीक्षकों को निर्देश जारी किये गये हैं। औषधि निरीक्षकों द्वारा निरंतर निरीक्षण किये जा रहे हैं। एम.आर.पी. से अधिक मूल्य पर बिक्री एवं कालाबाजारी पर प्रभावी नियंत्रण के प्रयास किये जा रहे हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति एवं वितरण पर सतत निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का वितरण केवल अस्पताल एवं संस्थाओं में हो, ऐसी व्यवस्था की गई है, ताकि अस्पतालों में भर्ती मरीजों को सुगमता से इंजेक्शन उपलब्ध हो सकें। वहीं, एक अधिकारी ने बताया कि जिन 21 लोगों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन एवं ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने के लिए रासुका लगाई गई है, वे 20 अप्रैल से 29 अप्रैल तक प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में पकड़े गये थे।
गुरुग्राम से मरीज को लुधियाना ले जाने के लिए 1.20 लाख रुपये लिये: रिश्तेदार
कोविड-19 संक्रमित एक बुजुर्ग महिला को गुरुग्राम से एक निजी एम्बुलेंस द्वारा पंजाब के लुधियाना ले जाने के लिए 1.20 लाख रुपये वसूले गए। मरीज के परिजनों ने यह आरोप लगाया है। महिला के दामाद ने कहा कि गुरुग्राम में उनके लिए बिस्तर नहीं मिल पाने पर उन्होंने मरीज को 3 मई को लुधियाना ले जाने का फैसला किया जहां उन्हें एक अस्पताल में एक बिस्तर मिला था। महिला के रिश्तेदार ने कहा कि मेरी सास का ऑक्सीजन स्तर कोविड के कारण बहुत कम हो गया था। मैं गुरुग्राम में एक अस्पताल में बिस्तर तलाश रहा था, लेकिन वह नहीं मिल पा रहा था। इस बीच, मेरी पत्नी ने मुझे बताया कि लुधियाना के एक अस्पताल में एक बिस्तर उपलब्ध है जिसके बाद हमने उन्हें वहां ले जाने का फैसला किया। महिला की बेटी ने लुधियाना में संवाददाताओं से कहा कि चूंकि एंबुलेंस आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, उन्होंने किसी तरह दिल्ली के एक ऑपरेटर से संपर्क किया जो मरीज को लुधियाना ले जाने के लिए सहमत हो गया लेकिन शुरुआत में 1.40 लाख रुपये की मांग की। हालांकि, वह तब 20,000 रुपये कम लेने पर सहमत हो गया जब उसे यह बताया गया कि परिवार के पास ऑक्सीजन उपलब्ध है। मरीज की बेटी ने कहा कि अग्रिम के रूप में एम्बुलेंस ऑपरेटर को 95,000 रुपये का भुगतान किया गयाजबकि शेष 25,000 रुपये का भुगतान तुरंत लुधियाना पहुंचने पर किया गया। उन्होंने कहा कि यह कहने पर कि राशि काफी अधिक है, इसके बावजूद एम्बुलेंस संचालक पर इसका असर नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस ऑपरेटर के चालक ने उन्हें 1.20 लाख रुपये की रसीद भी जारी की। बाद में, उनके परिवार के किसी व्यक्ति ने इस रसीद को सोशल मीडिया पर डाल दिया जिसके बाद इसे व्यापक रूप से साझा किया गया और मामला दिल्ली पुलिस तक पहुंच गया और मामला दर्ज किया गया।
दिल्ली पुलिस ने दो रेस्तरां से 100 ऑक्सीजन सांद्रक बरामद किया
दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी के दो रेस्तरां पर छापेमारी की कार्रवाई कर 100 ऑक्सीजन सांद्रक बरामद किए हैं जिनका इस्तेमाल कोविड-19 मरीजों के इलाज में किया जाता है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक 96 ऑक्सीजन सांद्रक ‘खान चाचा’ रेस्तरां से और नौ ऑक्सीजन सांद्रक ‘टाउन हॉल’ रेस्तरां से बरामद किए गए हैं। उन्होंने बताया कि दोनों रेस्तरां खान मार्केट इलाके में हैं। अधिकारियों ने बताया कि 100 ऑक्सीजन सांद्रक की बरामदगी बुधवार को दक्षिण दिल्ली की लोधी कॉलोनी से चार लोगों- गौरव, सतीश सेठी, विक्रांत और हितेश- की गिरफ्तारी के बाद हुई है जिनपर ऑक्सीजन सांद्रक की कालाबाजारी करने का आरोप है। उन्होंने बताया कि इन चार आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद 419 ऑक्सीजन सांद्रक जब्त किए गए हैं जिनकी कालाबाजारी की जानी थी। पुलिस ने बताया कि पूछताछ के तौर हितेश ने बताया कि कालाबाजारी के लिए इन ऑक्सीजन सांद्रक को इन रेस्तरां में जमा कर रखा गया है जिसमें बाद पुलिस ने छापेमारी की यह कार्रवाई की और इन उपकरणों को बरामद किया। पुलिस ने बताया कि इन दोनों रेस्तरां के मालिक का नाम नवनीत कालरा है और उसकी मामले में भूमिका की जांच की जा रही है। कालरा का एक और रेस्तरां है जिसपर पुलिस ने बुधवार को छापेमारी की कार्रवाई कर ऑक्सीजन सांद्रक बरामद किए थे। पुलिस ने इससे पहले बताया था कि लोधी कॉलोनी के सेंट्रल मार्केट में बुधवार को नेगी जू रेस्तरा खुला था।
रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते चिकित्सक सहित तीन लोग गिरफ्तार
जयपुर के विद्याधरनगर थाना क्षेत्र में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर बेचते हुए एक चिकित्सक और दो एजेन्टों को गिरफ्तार किया गया है। जयपुर के पुलिस उपायुक्त (उत्तर) परिस देशमुख ने बताया कि कोरोना महामारी के उपचार में काम आने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की सूचना पर पुलिस के एक दल ने सवाईमान सिंह चिकित्सालय के वार्ड ब्वाय आरोपी अभिजीत सैन (24) को रेमडेसिविर इंजैक्शन 100 मिलीग्राम/20 मिलीलीटर कोविफार की डिलेवरी देते समय गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि इंजेक्शन देने वाले दूसरे आरोपी छोटूलाल (22) और इंजेक्शन उपलब्ध करवाने वाले चिकित्सक डा अमित कुमार सेठी (40) को भादांवि की धारा 420,120 (बी) सहित अन्य अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि आरोपी अभिजीत ने 100 मिलीग्राम के दो रेमडेसिविर इंजेक्शन 60,000 रूपये में उपलब्ध करवाने का सौदा किया था।
दवाओं की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें पुलिस महानिदेशक : म.प्र उच्च न्यायालय
मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय ने कोविड-19 उपचार में आवश्यक रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित अन्य जीवक रक्षक दवाओं की कालाबाजारी करने वालों को पकड़ने के लिए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को भोपाल, इंदौर, ग्वालियर एवं जबलपुर में विशेष दल गठन करने एवं सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक तथा न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने कोरोना वायरस संबंधित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए बृहस्पतिवार को यह निर्देश दिया है। अदालत ने यह निर्देश मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर एवं जबलपुर सहित अन्य शहरों में कोविड-19 उपचार में आवश्यक रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित अन्य जीवक रक्षक दवाओं की कथित रूप से हो रही कालाबाजारी करने के लिए लगाई गई याचिकाओं पर दिये हैं। यह जानकारी न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने शुक्रवार को दी है। मामले की अगली सुनवाई 17 मई को निर्धारित की गई है।
कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए तैयारी की जरूरत, ऑक्सीजन का ‘बफर स्टॉक’ तैयार करें: न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि देश को कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है जिसके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह अधिक खतरनाक हो सकती है, खासकर बच्चों के लिए। इसने ऑक्सीजन का ‘बफर स्टॉक’ तैयार किए जाने पर जोर दिया। इसने केंद्र से कहा कि वह अगले आदेशों तक दिल्ली की 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति में कमी न करे तथा समूचे देश की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कवायद को तर्कसंगत बनाना सुनिश्चित करे। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोविड-19 रोगियों के उपचार के प्रयासों के बावजूद दिल्ली में लोग मर रहे हैं और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अनेक लोगों की मौत प्राणवायु (ऑक्सीजन) की कमी की वजह से हुई है। न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार को स्पष्ट किया कि वह देश की शीर्ष अदालत को दोनों के बीच दोषारोपण का आधार नहीं बनने देगा क्योंकि दोनों सरकार ऑक्सीजन के आवंटन और आपूर्ति के मुद्दे पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, ‘‘हमें कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है जिसके कुल मिलाकर अलग मापदंड हो सकते हैं। हमें उसके लिए तैयार रहना होगा। हमने पढ़ा है कि कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि तीसरी लहर अधिक हानिकारक होगी, खासकर बच्चों के लिए।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि बड़ों की तुलना में बच्चों में बीमारी से उबरने की अधिक क्षमता है, लेकिन हमें यह भी विचार करना होगा कि वे स्वयं अस्पताल नहीं जाएंगे और यदि उनके माता-पिता उन्हें ले जाएंगे तो उनके लिए जोखिम उत्पन्न होगा।’’
न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा को चेतावनी दी कि देश की शीर्ष संवैधानिक अदालत होने के नाते उच्चतम न्यायालय खुद को आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र नहीं बनने देगा। पीठ ने मेहरा से कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि यह कोई विरोधात्मक वाद नहीं है। हम इस अदालत को दोनों सरकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र नहीं बनने देंगे। हम न तो दिल्ली सरकार के खिलाफ और न ही केंद्र सरकार के खिलाफ आरोप लगाने की अनुमति देंगे। हम सब यह चाहते हैं कि हर किसी को सहयोगात्मक तरीके से काम करना चाहिए।’’ मेहरा ने कहा कि शीर्ष अदालत के निर्देश के बावजूद केंद्र दिल्ली को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देने के एक दिन बाद भी उसकी मांग के अनुरूप आवश्यक ऑक्सीन देने में विफल रहा है। शुरू में, मेहता ने कहा कि केंद्र ने शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन किया है और 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देने के आदेश की जगह दिल्ली को कोविड-19 रोगियों के उपचार के लिए बुधवार को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई। उन्होंने कहा कि चार मई को दिल्ली के 56 बड़े अस्पतालों में एक बड़ा सर्वेक्षण किया गया और इसमें खुलासा हुआ कि उनके पास तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन का महत्वपूर्ण मात्रा में भंडार है। मेहता ने कहा कि दिल्ली लाए गए ऑक्सीजन टैंकरों को उतारने में काफी समय लग रहा है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देना जारी रखता है तो यह दूसरे राज्यों को समान वितरण से वंचित करेगा क्योंकि 700 मीट्रिक टन की मांग सही नहीं है। पीठ ने कहा कि लोग और अस्पताल सोशल मीडिया पर त्राहिमाम संदेश दे रहे हैं कि उनके पास काफी सीमित मात्रा में ऑक्सीजन बची है या यह खत्म हो रही है जिससे डर की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इसने मेहता से कहा, ‘‘लोग और यहां तक कि राष्ट्रीय राजधानी के कुछ बड़े अस्पताल भी ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी के बारे में त्राहिमाम संदेश भेज रहे हैं। आप ‘बफर स्टॉक’ तैयार क्यों नहीं कर रहे? यदि आप दावा करते हैं कि दिल्ली 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का इस्तेमाल नहीं कर रही है और उसे केवल 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है तो इस अतिरिक्त 200 मीट्रिक टन का इस्तेमाल ‘बफर स्टॉक’ बनाने में किया जा सकता है।’’ न्यायालय ने कहा कि एक केंद्रीकृत ‘बफर स्टॉक’ होना चाहिए ताकि जैसे ही किसी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हो, वह तत्काल ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए संपर्क कर सके जिससे हजारों लोगों का जीवन बचाया जा सकता है और भय की स्थिति से बचा जा सकता है।
नैतिक तानाबाना बहुत हद तक विखंडित हुआ: अदालत ने महामारी के दौरान कालाबाजारी, जमाखोरी पर कहा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि लोगों का नैतिक तानाबाना बहुत हद तक ‘‘विखंडित’’ हो गया है, क्योंकि कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए एक साथ आने की बजाय वे ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाओं और सांद्रकों की जमाखोरी और कालाबाजारी में लिप्त हैं। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा, ‘‘हम अभी भी स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं, इसीलिए हम एकसाथ नहीं आ रहे हैं। इसी कारण हम जमाखोरी और कालाबाजारी के मामले देख रहे हैं। हमारा नैतिक तानाबाना काफी हद तक विखंडित हो गया है।’’ अदालत की यह टिप्पणी एक वकील के इस सुझाव के जवाब में आयी कि सेवानिवृत्त चिकित्सा पेशेवरों,मेडिकल छात्रों या नर्सिंग छात्रों की सेवायें मौजूदा स्थिति में सहायता प्रदान करने के लिए ली जा सकती है क्योंकि इस समय केवल दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और बिस्तरों की ही नहीं बल्कि कर्मियों की भी कमी है। वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने यह भी सुझाव दिया कि स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जाए, जो सार्वजनिक-निजी भागीदारी की तरह हो, ताकि अदालत की सहायता की जा सके।
इस पर पीठ ने कहा कि संक्रमण वाले क्षेत्रों में मदद के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए उन्हें एक तरह का आर्थिक प्रोत्साहन मुहैया कराना होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता एवं न्याय मित्र राजशेखर राव ने कहा कि बुनियादी ढांचा होना पर्याप्त नहीं है, हमें आधारभूत ढांचे की देखरेख करने के लिए कर्मियों की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में मुट्ठी भर लोग सभी फैसले ले रहे हैं और जमीनी स्तर पर अधिक लोगों को लाने की जरूरत थी, ताकि निर्णय लेने वाले मुट्ठी भर लोगों पर बोझ कम हो सके। कोविड-19 से हाल ही में ठीक हुए अधिवक्ता तरुण चंदियोक ने कहा कि उन्हें ठीक हुए मरीजों से प्लाज्मा लेने में भारी कठिनाई हुई। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि मरीजों के ठीक होने पर उनके लिए प्लाज्मा दान करना अनिवार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि जिस तरह राज्य की लोगों के कल्याण के प्रति एक जिम्मेदारी है, उसी तरह नागरिकों की भी एक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति सरकारी तंत्र की मदद से कोविड-19 से ठीक हो जाता है, तो उसका दायित्व है कि वह अपना प्लाज्मा का दान करके दूसरों की मदद करे। उन्होंने अदालत से कहा कि इसके बजाय लोग अपने प्लाज्मा के लिए भारी पैसे वसूल रहे हैं। कोविड-19 मुद्दों के बारे में एक याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता आदित्य प्रसाद ने पीठ को बताया कि यहां तक कि किसी अस्पताल के ब्लड बैंक या इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज (आईएलबीएस) से प्लाज्मा प्राप्त करने में भी काफी समय लगता है।
कोविड-19 की दूसरी लहर की तीव्रता का अंदाज नहीं था, और लहरों के लिए तैयार रहना होगा: विजयराघवन
प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन ने आगाह किया कि चूंकि सार्स-सीओवी2 और उत्परिवर्तित हो रहा है इसलिए नयी लहरों के लिए तैयार रहना चाहिए। विजयराघवन ने साथ ही यह भी कहा कि देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की तीव्रता का पूर्वानुमान नहीं जताया गया था। उन्होंने कहा कि हालांकि टीके ब्रिटेन में सामने आये कोविड-19 के नये प्रकार और दोहरे उत्परिवर्तन के खिलाफ प्रभावकारी हैं लेकिन वायरस के आगे और उत्परिवर्तन करने के मद्देनजर निगरानी और टीके को अद्यतन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि टीके और अन्य प्रकार की स्थिति के संदर्भ में रणनीति में बदलाव के साथ तैयार होना आवश्यक है। देश के शीर्ष वैज्ञानिक ने कहा कि कम ऐहतियाती उपाय, पहली लहर से आबादी में कम प्रतिरक्षा के चलते दूसरी लहर अधिक तीव्र हो रही है और इससे अभी तक देश भर में हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी है और लाखों लोग संक्रमित हुए हैं। उन्होंने कहा कि कई कारकों के चलते यह दूसरी लहर अधिक तीव्र हो रही है और कोविड-19 के नये प्रकार इनमें से एक हैं। उन्होंने कहा कि पहली लहर पिछले साल सितंबर में उच्चतम स्तर पर थी और उसके बाद मामलों में कमी आने लगी थी। उन्होंने कहा कि दो कारकों के कारण पहली लहर में गिरावट आई। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ा, वैसे-वैसे संक्रमित लोगों में प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती गई। चूंकि इस स्तर पर हर किसी ने सावधानी बरती संक्रमण कम फैला। लेकिन जैसे-जैसे सावधानी में कमी आई संक्रमण के नए अवसर उत्पन्न हुए और आबादी के बीच प्रतिरक्षा का स्तर अक्सर संक्रमण फैलने से रोकने के लिए पर्याप्त नहीं होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कई लोग नई प्रतिरक्षा सीमा तक पहुंचने से पहले ही संक्रमित हो जाते हैं। ऐसी दूसरी लहर आम तौर पर पहले की तुलना में छोटी होती है। ऐसी ही दूसरी लहर की उम्मीद थी। हालांकि, कई कारक दूसरी लहर में बदलाव करके उसे पहली की तुलना में बहुत बड़ी बना सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘(हालांकि) हम इतनी तीव्रता वाली जो बड़ी दूसरी लहर देख रहे हैं, उसका पूर्वानुमान नहीं जताया गया था।’’ सार्स-सीओवी2 के बदलाव और इसकी बढ़ती क्षमता पर विस्तार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वायरस 2019 में वुहान में उभरा और वह उस समय सामान्य था जो कई स्तनपायी प्रजातियों को संक्रमित कर सकता था। उन्होंने कहा कि पहले चरण में हर महीने दो उत्परिवर्तन हुए। हालांकि, अक्टूबर 2020 में शुरू होने वाले दूसरे चरण में नाटकीय बदलाव हुए और ब्रिटेन में सामने आये नये प्रकार जैसे नये प्रकार सामने आए। उन्होंने कहा, ‘‘2021 की शुरुआत में पूरी दुनिया में बहुत बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए। प्रतिरक्षा बढ़ने के साथ, वायरस को बढ़ने का अवसर नहीं मिला। हालांकि उसे कुछ ऐसे विशेष क्षेत्र मिलते हैं जहां यह फैल सकता है, इसलिए यह बेहतर तरीके से फैलने के लिए बदलाव करता है।’’ विजयराघवन ने कहा, ‘‘वायरस के उच्च स्तर के प्रसार को देखते हुए तीसरी लहर आना अपरिहार्य है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह तीसरी लहर कब आएगी। हमें नई लहरों के लिए तैयार रहना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि दूरी बनाये रखने से प्रसार पर लगाम लगायी जा सकती है। उन्होंने कोविड-19 अनुकूल व्यवहार का पालन करने पर जोर देते हुए कहा, ‘‘यह वायरस मनुष्य से मनुष्य में ही फैल सकता है।’’