गुजरात राज्यसभा की रिक्त तीन सीटों में से दो पर तो भाजपा की जीत पक्की थी लेकिन तीसरी सीट जिस पर कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल लड़ रहे थे, उसे भाजपा और खासतौर पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहते थे और पिछले 15 दिनों से कांग्रेस अपने एवं सहयोगी पार्टियों के विधायकों को एकजुट रखने के लिए यहां से वहां घूम रही थी और देश की जनता ने पिछले दिनों देखा कि किस प्रकार कांग्रेस के कर्नाटक के उस मंत्री के यहां जगह-जगह छापेमारी की गई, जिसके फार्म हाऊस पर कांग्रेस और सहयोगी विधायकों को ठहराया गया था और जिसके चलते लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही बाधित हुई थी।
लेकिन अंतत: कांग्रेस के बागियों की गलती ने अमित शाह की रणनीति को ढेर कर दिया। मंगलवार को दिन में 5 बजे तक राज्यसभा के चुनाव हुए और 6 या 6.30 बजे चुनाव परिणामों की घोषणा होनी थी। भाजपा के अमित शाह और स्मृति ईरानी तो विजयी माने ही जा रहे थे। तीसरी सीट पर लड़ाई कांग्रेस के अहमद पटेल और भाजपा के बलवंत सिंह राजपूत के बीच थी। बलवंत सिंह राजपूत राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले तक कांग्रेस के एमएलए थे और उन्हें अहमद पटेल का खास माना जाता था लेकिन भाजपा ने उनका त्यागपत्र दिलाकर उन्हें उम्मीदवार बनाया था और आश्वासन दिया था कि उनकी जीत सुनिश्चित है। लेकिन अंतत: वह हार गये और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल पांचवीं बार राज्यसभा पहुंचने में कामयाब हो गये हैं। गुजरात की तीन राज्यसभा सीटों में से दो पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जीत दर्ज की है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी राज्यसभा के लिए चुने गये हैं। स्मृति ईरानी और अमित शाह को 46-46 वोट मिले। तीसरी सीट का परिणाम आधी रात के बाद आया।
अमित शाह ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अहमद पटेल से खफा हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने एक इंटरव्यू में उन्हें गुजरे जमाने का दोस्त बताया था और कहा था कि उनका एक-दूसरे के घर आना जाना था। मोदी ने कहा कि वो अहमद पटेल को बाबू भाई के नाम से पुकारते थे, लेकिन अब पटेल उनका फोन तक नहीं उठाते। मोदी ने पटेल को मियां भी कहा था, बाद में नरेन्द्र मोदी ने सफाई दी थी कि वो उन्हें सम्मान से मियां साहब कहते रहे हैं।
दूसरी ओर अहमद पटेल ने मोदी के बयान को खारिज करते हुए कहा था कि मैं मोदी से सिर्फ एक बार 1980 में मिला था। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जानकारी में मेरी ये मुलाकात हुई थी। 2001 में मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद से मैंने उनके साथ एक कप चाय भी नहीं पी है। अहमद पटेल ने कहा कि अगर कोई उनकी मोदी से दोस्ती साबित कर दे तो वो राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लेंगे। साथ ही पटेल ने कहा कि मोदी का बीजेपी में ही कोई दोस्त नहीं है तो कांग्रेस में कैसे होगा।
दूसरी ओर चुनावों में रिटर्निंग ऑफिसर ने कहा, 'कांग्रेस के अहमद पटेल को 44 वोट मिले। बीजेपी के अमित शाह को 46 और स्मृति ईरानी को भी 46 वोट मिले।' उन्होंने कहा कि बलवंत सिंह राजपूत को 38 वोट मिले हैं। कांग्रेस के दो बागियों के वोट निरस्त कर दिये गये, जिसको लेकर शाम से आधी रात तक राजधानी में चुनाव आयोग में गहमा-गहमी रही। चुनाव के अंतिम परिणाम से ठीक पहले कांग्रेस ने अपने दो बागी विधायकों की गलती को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत की थी। चुनाव आयोग ने अपने पूर्व फैसले को देखते हुए कांग्रेस के दो बागी विधायकों के वोटों को रद्द कर दिया। कांग्रेस ने वोटों को रद्द करने की मांग की थी। कांग्रेस का यह आरोप था कि उसके दो विधायक राघवजी पटेल और भोला पटेल ने वोट डालते समय बीजेपी नेताओं को अपनी पर्ची दिखाई थी। जिसके बाद कांग्रेस ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी। गुजरात विधानसभा में 182 सीटें हैं, जिनमें से 176 विधायकों ने सोमवार को राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग की। दो कांग्रेसी विधायकों के वोट रद्द होने के बाद 174 वोट मान्य हुए। ऐसे में जीत के लिए अहमद पटेल को 43.5 यानि 44 वोटों की जरूरत थी।
इस बीच भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने दावों के साथ चुनाव आयोग पहुंचे और दो-दो बार ज्ञापन चुनाव आयोग को सौंपे थे लेकिन अंतत: रात करीब डेढ़ बजे चुनाव आयोग ने कांग्रेस के अहमद पटेल को विजयी घोषित कर दिया। दिनभर चले घटनाक्रम में कांग्रेस के बागी उम्मीदवार यह गलती कर बैठे कि उन्होंने अपना बैलट पेपर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को दिखा दिया था, जिसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना गया और उनके वोट निरस्त कर दिये गये और नीतीश कुमार के पाला बदलने से नाराज जदयू के एक विधायक ने भी कांग्रेस को वोट देकर उनकी नैया पार लगा दी और इसमें शरद यादव की भी मुख्य भूमिका थी, जिन्होंने पिछले दिनों राहुल गांधी एवं विपक्ष के अन्य नेताओं से लगातार मुलाकात की थी।
जीत की खबर के बाद अहमद पटेल ने ट्वीट कर कहा, 'सत्यमेव जयते। यह केवल मेरी जीत नहीं है। यह पैसे की शक्ति, बाहुबल और राज्य मशीनरी के दुरुपयोग की हार है।' पटेल ने कहा, 'मैं सभी विधायकों और पार्टी नेतृत्व को धन्यवाद कहना चाहता हूं। सभी ने परिवार की तरह काम किया।' उन्होंने गुजरात राज्यसभा चुनाव को अपने राजनीतिक कॅरियर का सबसे कठिन चुनाव बताया। पटेल ने कहा कि पता नहीं बीजेपी ऐसा क्यों कर रही है।
बीजेपी की तोड़फोड़ से बचाने के लिए बेंगलुरू भेजे गए 44 कांग्रेस विधायकों में पटेल को 42 विधायकों के ही वोट मिले। मतदान के दौरान कांग्रेस के दो विधायकों ने बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया, वहीं कांग्रेस को समर्थन का वादा करने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक विधायक ने भी क्रॉस वोटिंग की। वहीं जेडीयू के एक विधायक ने पार्टी लाइन से हटकर अहमद पटेल को वोट दिया। बीजेपी के एक विधायक ने भी क्रॉस वोटिंग की और कांग्रेस को वोट दिया। बीजेपी विधायक नलिन कोटादिया ने फेसबुक पर लिखा, 'पाटिदार आंदोलन के दौरान 14 लोगों की मौत हुई। जिसके खिलाफ मैंने बीजेपी के विरोध में वोट किया।'
कांग्रेस द्वारा आयोग से शिकायत करने के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों ने आयोग से मुलाकात की और कांग्रेस पर चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने का आरोप लगाया। बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने आयोग से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत कोई भी मतदान संपन्न होने के बाद चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। आयोग से बैठक के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने पत्रकारों को बताया कि अगर किसी पक्ष को कोई भी शिकायत है तो अदालत में याचिका दायर करना एकमात्र विकल्प है। प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस को सुबह कोई आपत्ति नहीं थी और तब उन्होंने दोनों विवादित मतों को रद्द किए जाने की मांग नहीं की। इसके बाद गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में कांग्रेस के भी वरिष्ठ नेताओं का एक दल आयोग से मिला और हरियाणा और राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के दौरान घटी इसी तरह की घटना के आधार पर अपने दोनों बागी विधायकों के वोट रद्द किए जाने की मांग की। पत्रकारों से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि उनके पास इसके वीडियो सबूत हैं कि दोनों बागी कांग्रेस विधायकों ने अपने मतपत्र अनधिकृत लोगों को दिखाए। चिदंबरम ने कहा, "हमें पता चला है कि निर्वाचन अधिकारी निर्वाचन आयोग के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। इस मामले में एकमात्र संवैधानिक प्राधिकार निर्वाचन आयोग है।' मतदान पूरा होने के बाद पटेल ने दुखी मन से कहा, 'मैं आशावादी हूँ, मुझे पूरा विश्वास है।'
दरअसल कुछ महीने बाद ही गुजरात विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसीलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों अपनी पूरी ताकत के साथ प्रदेश की राज्यसभा सीटों को जीतना चाहती थी। गुजरात में कांग्रेस लगातार टूट रही है। राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के कई विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है, जिसके बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर पार्टी विधायकों को डरा धमकाकर तोड़ने का आरोप लगाया है। पार्टी अपने विधायकों को बीजेपी से बचाने के लिए कर्नाटक के बंगलुरु ले गई थी और 10 दिन के बाद वापस गुजरात लौटकर उन्होंने राज्यसभा के लिए वोट दिया था लेकिन दिलचस्प बात यह है कि कि उन विधायकों में से भी दो ने भाजपा के वोट दिया था, जिनके निरस्त होने से कांग्रेस की जीत हुई है। इस तरह से पार्टी के प्रत्याशी अहमद पटेल अपनी प्रतिष्ठा बचाने में तो सफल हुए हैं लेकिन पार्टी समाप्ति के कगार पर है और 15 साल के बाद भी भाजपा का विकल्प बनने की स्थिति में नहीं है।
दरअसल यह सियासी लड़ाई दो दलों के बीच नहीं बल्कि दो राजनीतिक हस्तियों के बीच थी। कांग्रेस के चाणक्य अहमद पटेल से बीजेपी के चाणक्य अमित शाह की पुरानी खुदंक है। दोनों नेता गुजरात से हैं और अपनी-अपनी पार्टी के सर्वोच्च पदों पर विराजमान हैं। अमित शाह और अहमद पटेल के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। अमित शाह को 2010 में सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर के केस में जेल जाना पड़ा था और उन्हें विश्वास है कि कि अहमद पटेल के इशारे पर ही उनके खिलाफ कार्रवाई हुई थी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बार-बार मामले उनकी शह पर ही दायर किये जाते रहे हैं।
-विजय शर्मा