Amethi में Smriti Irani के खिलाफ नाराजगी देखकर भाजपा के होश उड़े हुए हैं

By नीरज कुमार दुबे | May 16, 2024

उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय क्षेत्र को इस बार फिर से स्मृति ईरानी बनाम राहुल गांधी के चुनावी मुकाबले की उम्मीद थी लेकिन यह उम्मीदें तब धराशायी हो गयीं जब कांग्रेस ने सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के रूप में काम करने वाले केएल शर्मा को चुनाव में उतार दिया। स्मृति ईरानी ने इस पर कहा कि राहुल गांधी कहते हैं कि डरो मत लेकिन यहां से चुनाव लड़ने की उन्होंने हिम्मत नहीं दिखाई। दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है कि जब केएल शर्मा ही स्मृति ईरानी को हरा सकते हैं तो राहुल गांधी को यहां से उतारने की जरूरत ही नहीं थी। हालांकि इस इलाके में घूमने के बाद हमें महसूस हुआ कि यदि कांग्रेस यहां से राहुल गांधी को उतारती तो नतीजा उसके पक्ष में जा सकता था क्योंकि यहां बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जोकि गांधी परिवार से जुड़े रहे हैं और उनका कहना था कि हमने अपनी नाराजगी पिछले चुनाव में दिखा दी थी अगर इस बार राहुल यहां से आते तो हम उन्हें ही चुनते क्योंकि उनके परिवार ने इस क्षेत्र के लोगों के लिए काफी कुछ किया है।


स्मृति ईरानी के लिए जहां भाजपा का पूरा आलाकमान प्रचार कर रहा है और प्रदेश पार्टी नेतृत्व से जुड़े लोगों ने भी अमेठी में भाजपा के किले को बचाने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है वहीं कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के तमाम नेताओं की फौज खड़ी कर रखी है ताकि केएल शर्मा यह सीट फिर से कांग्रेस की झोली में डाल सकें। इस क्षेत्र के चुनावी मुद्दों और माहौल को जानने के लिए जब प्रभासाक्षी की चुनाव यात्रा यहां पहुँची तो हमने पाया कि अधिकांश लोग यह मान रहे हैं कि स्मृति ईरानी यहां हमेशा सक्रिय रही हैं और छोटे बड़े कार्यकर्ताओं के यहां ही नहीं बल्कि आम लोगों के घर जाकर उनका दुख-दर्द दूर करने का प्रयास करती रही हैं। लोगों ने यह भी कहा कि स्मृति ईरानी ने केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ भी बड़ी संख्या में लोगों को दिलाया है। लेकिन हमें कुछ लोग ऐसे भी मिले जोकि स्मृति ईरानी के व्यवहार की शिकायतें कर रहे थे। इन लोगों का कहना था कि वह गुस्से में रहती हैं और सबके सामने डांट देती हैं। हमने जब युवाओं से बात की तो अधिकांश युवा बेरोजगारी और पेपर लीक जैसे मुद्दों को लेकर सरकार से नाराज नजर आये। इन युवाओं का कहना था कि यह सही है कि मोदी जी ने कई बड़े काम किये हैं लेकिन युवा के लिए परीक्षा और नौकरी हासिल करना बेहद बुनियादी चीज है लेकिन पेपर लीक हो जा रहा है और भर्तियां निकल नहीं रही हैं। इस तरह की नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा संगठन के नेता तमाम प्रयास कर रहे हैं। भाजपा जानती है कि अमेठी से पहले भी एकाध बार अन्य प्रत्याशी जीतते रहे हैं लेकिन अगले चुनाव में यह सीट फिर गांधी परिवार के पास आ जाती है इसलिए पार्टी सारे समीकरण साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

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जब हमने लोगों से केएल शर्मा के बारे में पूछा तो सभी ने कहा कि यह सही है कि वह कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को पहचानते हैं लेकिन वोट सिर्फ कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को नहीं बल्कि पूरी जनता को देना है। लोगों ने कहा कि आम जनता से केएल शर्मा का कोई वास्ता नहीं है। वह यहां के गली-मोहल्लों को जानते होंगे लेकिन लोगों से उनका कोई सीधा संवाद नहीं है। कई लोगों ने बताया कि वह यहां तभी आया करते थे जब गांधी परिवार का कोई व्यक्ति यहां आने वाला हो। दूसरी ओर स्मृति ईरानी के बारे में लोगों का कहना था कि उन्हें सब जानते हैं और वह सबको जानने लगी हैं और अब तो उन्होंने अपना स्थायी आवास भी यहां पर बना लिया है जिससे जब भी कोई काम पड़ेगा तो हमें दिल्ली जाने की बजाय यहीं पर अपने जनप्रतिनिधि से मिलकर समस्या का समाधान निकलवाने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।


इस क्षेत्र में यादव और मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि यादव समाज का सारा वोट समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को नहीं बल्कि भाजपा को जायेगा क्योंकि उसने इस क्षेत्र के विकास के लिए कई काम किये हैं और कोरोना जैसी महामारी के समय सबका ध्यान रखा है। कई मुस्लिमों ने भी हमसे कहा कि यह एक धारणा है कि मुसलमान भाजपा को वोट नहीं करता। उन्होंने कहा कि जिस तरह बड़ी संख्या में मुस्लिमों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के घर मिले हैं और घर में नल से पानी आने लगा है वह हमारे लिए अकल्पनीय है और इसके लिए हम मोदी जी का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे।


बहरहाल, इस पूरे क्षेत्र का दौरा करने के बाद हमें साफ दिखा कि जहां भाजपा एक ओर स्मृति ईरानी को ढाई लाख वोटों के अंतर से जीत दिलाने के लिए दिन-रात लगी हुई है वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार केएल शर्मा भी जीत हासिल करने के लिए जी-जान लगाये हुए हैं और शुरू में उनको जितना कमजोर प्रत्याशी समझा जा रहा था उतने कमजोर वह हैं नहीं।


-नीरज कुमार दुबे

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