भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के चार संगठनों ने सोमवार को किसान आन्दोलन के समर्थन में प्रदर्शन किया। संगठनों ने हाल में किसानों से सम्बंधित पारित कानूनों को अविलम्ब खारिज करने की माँग की थी। उन्होंने कहा कि ये क़ानून सिर्फ कम्पनियों का मुनाफा बढ़ाने के लिए बनाए गए हैं।
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा कि मोदी सरकार की कम्पनियों, खासकर अम्बानी और अडानी की कम्पनियों के साथ साँठगाँठ के खिलाफ किसानों के आन्दोलन का हम समर्थन करते हैं। यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल कम्पनियों के साथ सरकार की साँठगाँठ की वजह से ही भोपाल गैस पीड़ित आजतक बदहाल और इन्साफ से वंचित हैं। राष्ट्रीय हित में कंपनियों और सरकार के बीच साँठगाँठ ख़त्म होना बहुत ज़रूरी है।
इस दौरान भोपाल पीड़ितों की जारी स्थिति के साथ समानताएँ गिनाते हुए भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने कहा, " किसानों पर जबरन लादे जा रहे काले क़ानूनों का असर हर आम भारतीय भुगतेगा जिस तरह भोपाल हादसे के लम्बित मुद्दों का असर हर भारतीय के जीवन और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। हम लोग देश भर के जन संगठनों से अपील कर रहे हैं कि वे किसानों के आंदोलन को सक्रिय समर्थन दें।
वही भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एन्ड एक्शन की रचना धींगरा ने कहा कि "आंदोलन में शामिल किसानों की तकलीफों को जानबूझ कर तवज्जो नहीं देने का प्रधानमंत्री का रवैया वही है, जो वे भोपाल गैस पीड़ितों के लिए अपनाते हैं।" अब भोपाल के गैस पीड़ित दिसम्बर 27 को 'मन की बात' के वक्त उनका ध्यान खींचने के लिए थाली बजाएँगे। जबकि डाव कार्बाइड के खिलाफ बच्चे की नौशीन खान ने कहा ,"अब वक्त आ गया है कि देश के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रधानमंत्री का ध्यान खींचने के लिए राष्ट्रीय स्तर का शोर मचाया जाए। आईए इस बड़े शोर की शुरुआत 27 दिसम्बर से सुबह 11 बजे करें।