By प्रिया मिश्रा | Sep 14, 2021
आज के समय में एग्रीटेक स्टार्टअप बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। एक्वापोनिक्स दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला एक्वाकल्चर जिसमें मछली पालन होता है और दूसरा हाइड्रोपोनिक जिसमें पानी पर खेती होती है। एक्वापोनिक्स में एक ही पारिस्थितिकी तंत्र में मछलियाँ और पौधे एक साथ उगाए जा सकते हैं। इसमें परंपरागत खेती की तुलना में लगभग 90 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। जबकि इसमें पौधे दोगुनी रफ्तार से बढ़ते हैं।
एक्वापॉनिक्स में एक फिश टैंक में मछली पालन किया जाता है और दूसरी तरफ पानी पर हाइड्रोपोनिक खेती का सिस्टम बनाया जाता है। फिश टैंक में मछलियां फीड खाने के बाद करीब 70 फीसदी तक मल निकालती हैं जिसमें अमोनिया होता है। इसके बाद फिश टैंक से अमोनिया वाले पानी को हाइड्रोपोनिक खेती के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जब ये पानी पौधों की जड़ों तक पहुंचता है तो वहां मौजूद बैक्टीरिया इसे नाइट्रोजन में तोड़ देते हैं। यह पौधों के विकास के लिए बहुत ही अहम होता है। इसके बाद पानी को फिर से प्यूरिफाई किया जाता है और दोबारा मछलियों के टैंक में डाला जाता है। इस तरह एक ही पानी बार-बार इस्तेमाल होता रहता है और पानी की बचत होती है।
एक्वापोनिक फार्मिंग सेटअप तैयार करने में कितनी लागत आएगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप बड़ा सेटअप तैयार करना चाहते हैं या छोटा। उदाहरण के लिए अगर आप एक एकड़ जमीन पर एक्वापोनिक फार्मिंग करते हैं तो आपका करीब 3 करोड़ रूपए तक का खर्चा आ सकता है। इसके साथ ही अगर आप मुनाफा चाहते हैं तो आपको अच्छी क्वालिटी वाली चीज़ें इस्तेमाल करनी होंगी। एक्वापोनिक खेती से हुई पैदावार पूरी तरह ऑर्गेनिक होती है इसलिए आप इसके लिए सामान्य की तुलना में दो से तीन गुना कीमत कमा सकते हैं। हालाँकि, आपको पैदावार से पहले ही उसे बेचने की तैयारी कर लेनी होगी वरना आपको भारी नुकसान हो सकता है। इसके लिए आप बड़े-बड़े रिटेल स्टोर, रेस्टोरेंट और फाइव स्टार होटलों से कॉन्ट्रैक्ट कर सकते हैं।
- प्रिया मिश्रा