लगातार 16 वर्षों तक जर्मनी की सत्ता पर काबिज रहने वाली एंजेला मर्केल अब आम चुनाव के मतदान के बाद अपना पद छोड़ने जा रही हैं।जर्मनी में एंजेला मार्कल 2005 से चांसलर के पद पर आसीन हैं।
हालांकि दो साल पहले ही उन्होंने कह दिया था कि वह अगली बार चांसलर नहीं बनना चाहती हैं, लेकिन उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि वे चुनाव लड़ेंगी। लेकिन चुनाव नहीं लड़ने के फैसले के साथ ही वह अपनी मर्जी से सत्ता छोड़ने वाली जर्मनी की पहली चांसलर बन जाएंगी।
बता दें कि देश में मध्य दक्षिणपंथी दल यूनियन ब्लाक और मध्य वामपंथी दल सोशल डेमोक्रेट्स के मध्य बहुत करीबी दौड़ चालू है ।जहां यूनियन ब्लाक की ओर से आर्मीन लास्कैट चांसलर पद की दौड़ में हैं, तो वहीं दूसरी तरफ से वर्तमान वित्त मंत्री और वाइस चांसलर ओलाफ संकॉल्ज इस दौड़ में उम्मीदवार हैं। जर्मनी में 299 चुनावी जिले हैं ,और 6 पार्टियां मैदान में उतरी हैं। अब सिर्फ इंतजार इस बात का है कि आने वाला चांसलर कौन होगा?
भारत और जर्मनी के संबंधों की बात करें तो, जर्मनी यूरोपीय देशों में भारत का सबसे बड़ा निवेशक और व्यापारिक भागीदार है। जर्मनी में आईटी,आटोमोटिव और फार्मा शेयरों में सैकड़ों भारतीय व्यवसाय सक्रिय हैं।
जर्मनी की लगभग 17 सौ से अधिक कंपनियां भारत में सक्रिय हैं, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देश में चार लाख नौकरियां उपलब्ध कराती हैं। हालांकि यूरोपियन यूनियन और भारत के मध्य मुफ्त व्यापार समझौते(FTA) पर 2013 से बातचीत चल रही है, लेकिन अभी तक सहमति नहीं बन पाई है।
अर्थव्यवस्था के अलावा सामरिक रूप से देखा जाए तो भी जर्मनी भारत के लिए अहम पाटनर है। इन्हीं कारणों से भारत जर्मनी के आम चुनाव के परिणामों पर दृष्टि रखे हुए हैं। एंजेला मर्केल के बिना भारत और जर्मन संबंध सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।