By अनुराग गुप्ता | Oct 28, 2021
पुणे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने पुणे इंटरनेशनल सेटर द्वारा आयोजित पुणे डॉयलॉग में आपदा एवं महामारी के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की तैयारियों को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी और जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा संदेश यह है कि सभी की भलाई ही सभी के जीवन को सुनिश्चित करेगी। खतरनाक रोगाणुओं को हथियारों का रूप दिया जाना एक गंभीर चिंता का विषय है। इसने व्यापक राष्ट्रीय क्षमताओं और जैव-सुरक्षा का निर्माण करने की जरूरत बढ़ा दी है।
खर्चीले साबित हो रहे हैं ऐसे युद्ध एनएसए डोभाल ने बताया कि वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में हो रहे बदलावों से आप सभी अवगत हैं। देश के राजनीतिक और सैन्य उद्देश्यों को हासिल करने के लिए ऐसे युद्ध लगातार अधिक खर्चीले साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध के नए क्षेत्र, क्षेत्रीय सीमाओं से नागरिक समाज में चले गए हैं। लोगों का स्वास्थ्य, उनके कल्याण एवं सुरक्षा की भावना और सरकार को लेकर उनकी धारणा जैसे कारकों का महत्व बढ़ गया है। ये सभी कारक राष्ट्र की इच्छा को प्रभावित करते हैं। शहरी ढ़ाचों पर बढ़ सकता है बोझ उन्होंने कहा कि आपदाओं और महामारियों से अकेले नहीं निपटा जा सकता और इससे होने वाले नुकसान को भी घटाने की जरूरत है। इसी बीच उन्होंने शहरी इलाकों का जिक्र करते हुए कहा कि साल 2030 तक भारत में 60 करोड़ लोगों के शहरी इलाकों में रहने की उम्मीद है। जलवायु परिर्वतन के कारण दक्षिण एशिया में निचले इलाकों से विस्थापन पहले से दबाव का सामना कर रहे शहरी बुनियादी ढांचे पर बोझ को और बढ़ा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इससे आंतरिक सुरक्षा प्रबंधन, आर्थिक सुरक्षा, जल और खाद्य सुरक्षा के लिए समस्या पैदा हो सकती है। एनएसए डोभाल ने कहा कि जहां तक राष्ट्रीय सुरक्षा और पर्यावरण की बात है तो खुद में नव परिवर्तन लाने की जरूरत है क्योंकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वायत्त व मानवरहित प्रणालियों तथा डिजिटल बुनियादी ढांचों जैसी चौथी औद्योगिक क्रांति के जरिए तीव्र औद्योगिक विकास हो रहे है।
गौरतलब है कि चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस से भारत समेत दुनिया के तमाम मुल्क प्रभावित हुए हैं। इस महामारी की वजह से भारत में अकेले 4 लाख 56 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 3 करोड़ 42 लाख से ज्यादा संक्रमित हो चुके हैं।