By दिनेश शुक्ल | Sep 05, 2020
भोपाल। मध्य प्रदेश में नए मॉडल मंडी एक्ट के विरोध में प्रदेश मंडी बोर्ड कर्मचारीयों सहित किसान और संयुक्त मोर्चा द्वारा आंदोलन कर शिवराज सरकार को चेतावनी दिए जाने के बाद अब पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह भी मोर्चा खोल दिया है। अजय सिंह ने कहा है कि शिवराज सरकार ने मॉडल मण्डी एक्ट अधिनियम लाकर लाखों किसानों, हम्मालों, मंडी कर्मचारियो और छोटे छोटे अनाज व्यापारियों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। जिन आढ़तियों और साहूकारों के चंगुल से किसानों को बचाने के लिए कांग्रेस सरकारों ने कृषि मण्डियों की व्यवस्था बनायी थी, उसे भाजपा सरकार ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। इसे फिर से व्यापारियो के हाथों में सौंपने का षड्यंत्र किया गया है। अजय सिंह ने कहा है कि प्रदेश की सभी लगभग 550 मण्डियां किसानों के लिए प्राणवायु आक्सीजन की तरह है, जहां वे अपने आपको सुरक्षित महसूस करते है। क्या सरकार ने मॉडल मण्डी एक्ट लाने के पहले यह सोचा कि अब व्यापारी लोग सिंडीकेट बनाकर मनमाने दाम पर किसानों की उपज खरीदेंगे। उन्हें समय पर पैसा देंगे ? क्या वे समर्थन मूल्य पर कम ग्रेड का सारा अनाज खरीद लेंगे? या फिर केवल मोटा दाना ही लेंगे? प्याज खरीदी का सबसे बड़ा उदाहरण हमारे सामने है। किसानों से दो रूपये किलो प्याज खरीद कर उसे 40 से 60 रूपये किलो तक बेचा गया।
अजय सिंह ने कहा शिवराज सरकार ने कभी नही सोचा कि एक्ट के विरोध में अचानक दस हजार किसान, हम्माल और मण्डी कर्मचारी राजधानी में एकत्र कैसे हो गये ? यह भविष्य में होने वाले अनर्थ का संकेत है। उन्होंने कहा कि एक्ट में पूरे प्रदेश में एक ही लाइसेंस से व्यापार करने का प्रावधान है। जाहिर है कि सरकार दबाव में काम कर रही है। इससे प्रदेश के छोटे व्यापारी मारे जायेंगे और मण्डियों से रोजी रोटी चलाने वाले बेकार हो जायेंगे। मण्डी से जुड़े लोगों की हड़ताल से प्रदेश में कृषि उपज की खरीद फरोख्त तीन चार दिनों से ठप्प हो गई है। सब्जी और फलों के दाम आसमान छू रहे हैं।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अभी मण्डियों से होने वाली आय का कुछ हिस्सा अधोसंचरना विकास, निराश्रित निधि और कृषि अनुसंधान के लिए मिलता है। गौशालाएँ चलाई जाती हैं और जरूरत के वक्त मण्डी बोर्ड सरकार को पैसा भी देता है। नया एक्ट आने के बाद यह सब बंद हो जायेगा। उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश ही ऐसा राज्य है जहां मण्डी बोर्ड है जिसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व है। बाकी अन्य राज्यों में मण्डी संचालनालय है। इसे सभी व्यापारियों का वर्चस्व खत्म करने के लिए चुने हुए प्रतिनिधि चलाते है। कांग्रेस सरकार ने यह भी व्यवस्था की थी कि मण्डी समितियों में किसान लोग ही प्रतिनिधि चुन कर आते थे, व्यापारी प्रतिनिधि केवल एक होता था। मण्डियों में अब किसान का प्रतिनिधित्व शून्य हो जायेगा। सिंह ने कहा कि पूर्व में बीजेपी सरकार के ही दो पूर्व कृषि मंत्रियों और बाद में कांग्रेस सरकार के कृषि मंत्री इस प्रस्ताव को खारिज कर चुके थे। अब पता नहीं किस लॉबी के दबाव में मॉडल मण्डी एक्ट लाया जा रहा है। मुझे जानकारी मिली है कि आगामी विधानसभा में एक्ट पास करने के लिए बिल लाया जा रहा है। मै संकट की इस घड़ी में प्रदेश के किसानों और मण्डीकर्मियो के पक्ष में खड़ा हॅू और अंत तक इस कानून के विरोध में आवाज उठाता रहूँगा। सरकार को इस एक्ट को लागू करने के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए।