By नीरज कुमार दुबे | Mar 26, 2025
तमिलनाडु में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा और अन्नाद्रमुक के बीच गठबंधन की अटकलें फिर तेज हो गयी हैं। माना जा रहा है कि रामनवमी के दिन प्रधानमंत्री के रामेश्वरम दौरे के आसपास दोनों दलों के बीच गठबंधन की औपचारिक घोषणा की जा सकती है। हम आपको बता दें कि हाल ही में दो महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुए जिससे अन्नाद्रमुक के भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में वापस आने की संभावनाएं बढ़ी हैं। एक तो अन्नाद्रमुक महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और दूसरा अमित शाह ने राज्यसभा में अपने संबोधन के दौरान कहा कि एनडीए 2026 में सत्ता में आने के बाद तमिलनाडु में शराब घोटाले बंद कर देगा। अमित शाह अगर एनडीए के तमिलनाडु की सत्ता में आने की बात कर रहे हैं तो ऐसा तभी संभव है जब भाजपा और अन्नाद्रमुक मिलकर चुनाव लड़ें।
हम आपको याद दिला दें कि पिछले साल लोकसभा चुनावों के ऐलान से पहले तक अन्नाद्रमुक भाजपा के साथ ही थी और जब पिछले साल दिल्ली के एक बड़े होटल में एनडीए के नेताओं की बैठक हुई थी उसमें भी अन्नाद्रमुक ने हिस्सा लिया था लेकिन तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई चाहते थे कि लोकसभा चुनावों में सभी सीटों पर अकेले उतरा जाये। भाजपा ने उनके सुझाव, उनकी लोकप्रियता और उनके उत्साह को देखते हुए उनकी बात मान ली। भाजपा ने राज्य के अपने सभी बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़वाया तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने तमिलनाडु में चुनाव प्रचार में पूरा जी-जान लगाया लेकिन एक भी सीट पार्टी के खाते में नहीं आई। हालांकि भाजपा के वोट प्रतिशत में भारी इजाफा हुआ। चुनाव परिणाम के आंकड़ों ने दर्शाया कि विपक्षी दलों के वोट बंटने का सीधा फायदा द्रमुक को हुआ। चुनाव परिणाम ने यह भी दर्शाया कि यदि भाजपा और अन्नाद्रमुक का गठबंधन हुआ होता तो दोनों दलों को फायदा होता। अब जब विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं तब भाजपा नहीं चाहती कि तमिलनाडु में विपक्षी वोटों का बंटवारा हो इसलिए वह भी अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन करने की इच्छुक है। हालांकि भाजपा आलाकमान की इस इच्छा से तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई अब भी सहमत नहीं हैं। अन्नामलाई इस बात पर भी सहमत नहीं हैं कि भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम का साथ छोड़ दे क्योंकि अन्नाद्रमुक ऐसा चाहती है। हालांकि अन्नामलाई ने हाल ही में AIADMK के प्रति अपना रुख नरम कर लिया है जोकि उनके रुख में बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।
इसके अलावा, बताया जा रहा है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी के नेता जिस तरह तमाम मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार पर हमला करते रहते हैं उसको देखते हुए भाजपा का प्रयास है कि इस बार द्रमुक को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया जाये और इसके लिए वह अन्नाद्रमुक से समझौता करने को लगभग तैयार है। दोनों दलों के बीच बातचीत तो लंबे समय से चल रही थी जब इसमें सकारात्मक प्रगति हुई तो दिल्ली में पलानीस्वामी ने अमित शाह से मुलाकात कर गठबंधन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। अमित शाह के आवास पर एक घंटे तक चली इस बैठक के दौरान पलानीस्वामी के साथ पूर्व मंत्री एसपी वेलुमणि और केपी मुनुसामी, सांसद एम थंबीदुरई और सीवी षणमुगम भी उपस्थित थे। हम आपको याद दिला दें कि 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के दौरान AIADMK और भाजपा गठबंधन सहयोगी थे, उस चुनाव में भाजपा ने चार सीटों पर जीत हासिल की थी। बाद में अन्नामलाई की भाजपा को अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश करने के चलते दोनों दलों के संबंध टूट गये थे लेकिन लोकसभा चुनाव परिणाम ने दोनों दलों को राजनीतिक मूर्खता का एहसास करा दिया है।
वैसे, यदि भाजपा और अन्नाद्रमुक साथ आते हैं तो यह द्रमुक के लिए निश्चित तौर पर खतरे की घंटी है। इसीलिए दोनों दलों की निकटता पर द्रमुक करीबी नजर रखे हुए है तभी तो मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने ही राज्य विधानसभा में पलानीस्वामी के दिल्ली दौरे की खबर देते हुए कहा था कि हमें जानकारी मिली है कि विपक्ष के नेता दिल्ली गए हैं। वहीं पलानीस्वामी ने अपने इस दौरे के बारे में कहा था कि वह एआईएडीएमके के नए पार्टी कार्यालय का दौरा करने के लिए राजधानी आए हैं लेकिन अमित शाह से उनकी मुलाकात से यह साफ हो गया कि तमिलनाडु की राजनीति में एनडीए की शक्ति बढ़ने वाली है।
इस बीच, माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रामेश्वरम दौरे के दौरान इस गठबंधन की घोषणा हो सकती है। जहां तक रामनवमी के दिन यानि 6 अप्रैल को प्रधानमंत्री के रामेश्वरम दौरे की बात है तो आपको बता दें कि उस दिन मोदी नए पंबन पुल का उद्घाटन करेंगे जिससे रामेश्वरम तक रेल संपर्क में सुधार होगा जोकि सबसे पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है। हम आपको बता दें कि रामेश्वरम को वह स्थान माना जाता है, जहाँ भगवान श्रीराम ने रावण को हराने के लिए लंका तक जाने के लिए पुल का निर्माण किया था। रामेश्वरम मंदिर में सालाना 25 लाख से अधिक तीर्थयात्री आते हैं और उन्नत बुनियादी ढाँचे से यहां पर्यटन और तीर्थयात्रा को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा, रामनवमी के दिन प्रधानमंत्री द्वारा इस पुल का उद्घाटन करने का काफी धार्मिक महत्व भी है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।
हम आपको बता दें कि इस समुद्री पुल के उद्घाटन की तैयारी जोरों पर चल रही है और पिछले कुछ दिनों से दक्षिण रेलवे के शीर्ष रेलवे अधिकारी पुल और रामेश्वरम रेलवे स्टेशन का निरीक्षण कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया है कि प्रधानमंत्री मोदी के श्रीलंका की दो दिवसीय यात्रा (4 और 5 अप्रैल) से लौटने के तुरंत बाद इसका उद्घाटन होने की संभावना है। हम आपको बता दें कि 2 किलोमीटर से थोड़ा अधिक लंबा यह रेल पुल इंजीनियरिंग का चमत्कार है जो पुराने जंग लगे पुल की जगह मेनलैंड को रामेश्वरम द्वीप से जोड़ता है। हम आपको बता दें कि 1914 में निर्मित पुराना पुल रामेश्वरम और मुख्य भूमि के बीच एकमात्र संपर्क था और 110 से अधिक वर्षों तक एक सांस्कृतिक प्रतीक था। यह देश का पहला समुद्री पुल था और स्थानीय लोगों, तीर्थयात्रियों और व्यापारियों के लिए जीवन रेखा था। मगर खारे पानी के संपर्क में लगातार आने और पुराने बुनियादी ढांचे के कारण इसका क्षरण होता चला गया जिसके कारण इसे 2022 में बंद कर दिया गया था। हम आपको यह भी याद दिला दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2019 में नए पुल की आधारशिला रखी थी और इसका वास्तविक निर्माण तीन महीने बाद शुरू हुआ था। बहरहाल देखना होगा कि रामेश्वरम में नये पुल और चेन्नई में गठबंधन पुल के उद्घाटन के जरिये क्या एनडीए की गाड़ी तमिलनाडु के सत्ता शिखर तक पहुँच पायेगी?