आदिबद्री बांध निर्माण को लेकर हरियाणा और हिमाचल सरकार के बीच समझौता

By विजयेन्दर शर्मा | Jan 21, 2022

चंडीगढ़ । आदिबद्री बांध निर्माण को लेकर हरियाणा और हिमाचल सरकार के बीच शुक्रवार को पंचकूला में आयोजित समारोह में एमओयू साइन हुआ। पंचकूला के सेक्टर-1 स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में दोनों प्रदेश के मुख्य सचिव ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत तीन किलोमीटर लंबी झील बनेगी।

 

इस समझौते से हिमाचल प्रदेश की 77 हेक्टेयर और हरियाणा की 11 हेक्टेयर भूमि पर 35 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण होगा। आदिबद्री बांध 100 करोड़ रुपये से बनेगा। इस बांध से विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी में पानी छोड़ा जाएगा। सिरमौर जिला की सीमा पर बांध बनाने को हिमाचल प्रदेश जमीन दे रहा है। 35 मीटर ऊंचे आदिबद्री बांध के निर्माण से हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के किसानों को सिंचाई एवं पेयजल की आपूर्ति होगी।

 

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इस अवसर पर अपने संबोधन में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि  1986-87 में सरस्वती नदी के लिए की गई मेरी यात्रा के चित्र मेरे मानस पटल पर आज फिर से जीवंत हो गए हैं। सरस्वती नदी में निरंतर जल प्रवाह हेतु सोम्ब नदी आदिबद्री पर बनने वाले बाँध के लिए पौराणिक मान्यताओं के अलावा सैटेलाइट से भी सरस्वती नदी का प्रवाह पता चला तो इसके बाद हमारी सरकार ने मां सरस्वती को फिर से धरा पर लाने का सपना देखा । उन्होंने उम्मीद जताई कि यह जल्दी ही पूरा होगा ।  उन्होंने कहा कि कालका से लेकर कलेसर तक के इलाके को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करेंगे ।  मां सरस्वती की धारा हमारे लिए श्रद्धा का विषय है, सरस्वती के प्रवाह पर आने वाले 633 पुरातात्विक स्थानों में से 444 अकेले हरियाणा में स्थित  हड़प्पा कालीन सभ्यता की 2600 बस्तियों में से केवल 265 पाकिस्तान में सिंधु नदी के तट पर बसी थी शेष सभी सरस्वती के तट पर बसी थीं ।  यमुना नदी पर बनने वाले उन्होंने हथनीकुंड बांध के लिए हिमाचल प्रदेश में सर्वे व निरीक्षण हेतु अनापत्ति प्रमाण-पत्र जल्दी जारी करने का आग्रह किया।

 

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हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि यह हमारे लिए सौभाग्य कि बात है कि आज एक पवित्र काम की शुरुआत हुई है। हरियाणा के साथ सांझा प्रयास कर रहे हैं ताकि सरस्वती नदी जमीन पर दिख सके। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 1987 में आदिबद्री से कच्छ तक हुई सरस्वती नदी यात्रा में हिस्सा लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सरस्वती नदी हेतु काम करने के लिए हमें प्रेरित कर चुके हैं। इस प्रोजेक्ट से पर्यटन की भी नई संभावनाएं पैदा हो सकेंगी। इस परियोजना से रोजगार के अवसर और पानी की समस्या भी दूर होगी


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