By रितिका कमठान | Aug 14, 2023
हिंदू धर्म में अधिक मास का विशेष महत्व है। इस दिन की अमावस्या को भी बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दौरान पूजन, पाठन, जप तब करने से कई परेशानियों से मुक्ति मिलती है। हर वर्ष अधिक मास की अमावस्या तीन वर्षों के बाद आती है। इस वर्ष अधिक मास की अमावस्या 16 अगस्त को पड़ने वाली है। इस दिन किए गए दान पुण्य का भी विशेष महत्व बताया गया है।
इस दिन जो भी दान पुण्य किया जाता है उसका फल कई गुणा अधिक मिलता है। माना जाता है कि इस दान पुण्य को करने से आने वाली कई पीढ़ियों को लाभ मिलता है। इस दिन किए गए दान का विशेष फल मिलता है। वहीं इस बार अधिक मास की अमावस्या बुधवार को है जिसका काफी अधिक महत्व है।
अधिक मास की अमावस्या पर करें ये उपाय
- भगवान शिव को अति प्रिय सावन की अमावस्या पर कई शुभ कार्य किए जाते है। इस मौके पर दान पुण्य का भी महत्व होता है, जिसे करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है। इस वर्ष ये अमावस्या बुधवार को है, जिसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भी लाभ होगा।
- इस दिन सबसे पहले भगवान गणेश जी को पंचामृत से स्नान करवाएं। उन्हें शुद्ध जल से स्नान करवाएं। उनका श्रृंगार करें और फिर जनेऊ, दूर्वा, चंदन चढ़ाएं। उन्हें लड्डू और मोदक का भोग लगाए। धूप दीप जलाकर आरती करें। पूजा करें और गणेश जी के मंत्र का जाप करें। इसके बाद भगवान शिव और पार्वती का अभिषेक करें। शिवलिंग पर जल अर्पित करें और शिवजी के मूल मंत्र का जाप करें। जल के बाद पंचामृत से शिवजी को स्नान कराएं और फिर जल से अभिषेक करें।
- इसके बाद उन्हें बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब अर्पित करें। चंदन का टीका लगाएं। देवी मां को भी श्रृंगार की वस्तुएं भेंट करे। भगवान को मिठाई का भोग लगाए।
- अमावस्या पर गणेश जी और शिवजी के साथ ही भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। भगवान कृष्ण का पूजन भी करनाचाहिए और उनके मंत्र का जाप करना चाहिए।
- अमावस्या पर पित्रों की शांति के लिए भी पूजा करनी चाहिए। पितरों को धूप-दीप दिखाकर ध्यान करना चाहिए। इस दौरान शिव पुराण, विष्णु पुराण, रामायण का पाठ करने का भी विशेष महत्व है।
- पितृ दोष दूर करने के लिए इस दिन पितृ स्त्रोत, पितृ कवच और पितृ सूक्त का पाठ करना चाहिए, जिससे पितृ खुश होते है।
ये है मुहूर्त
अधिक मास की अमावस्या की शुरुआत 15 अगस्त के दिन हो जाएगी। अमावस्या की शुरुआत दोपहर 12 बजकर 42 मिनट से होगी जो बुधवार 16 अगस्त दोपहर 3.07 मिनट तक जारी रहेगी। उदया तिथि 16 अगस्त को है, जिस कारण अमावस्या 16 अगस्त को मानी जाएगी।