By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 11, 2020
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के जिन 16 नेताओं के लिए पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दाखिल कर उन्हें रिहा करने की मांग की थी, उनमें से एक को भी हिरासत में नहीं लिया गया है और वे उनकी सुरक्षा के लिहाज से उचित कुछ सावधानियों के साथ आने-जाने को स्वतंत्र हैं। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में याचिकाओं पर जवाब दाखिल करते हुए वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता बशीर अहमद डार ने कहा कि यह न केवल हैरान करने वाली, बल्कि स्तब्ध करने वाली बात भी है क्योंकि ना तो कोई कानूनी कार्यवाही की गयी और ना ही किसी तरह का विचार चल रहा है।
पुलिस महानिरीक्षक (कश्मीर रेंज) द्वारा सत्यापित ऐसे ही अन्य जवाब में कहा गया कि पिछले साल अगस्त में किये गये संविधान संशोधनों के मद्देनजर आशंका थी कि कुछ द्वेष रखने वाले तत्व शांति को बाधित कर सकते हैं और नेता उन्हें अशांति बढ़ाने के लिए उकसा सकते हैं। इसमें कहा गया कि हालांकि किसी भी नेता के खिलाफ किसी कानून के तहत हिरासत का कोई आदेश जारी नहीं किया गया। और वे उनकी सुरक्षा के लिहाज से उचित कुछ सावधानियों के साथ घूमने-फिरने को स्वतंत्र थे।
जवाब में कहा गया कि एक विशेष श्रेणी में होने के कारण याचिकाकर्ता को संबंधित अधिकारियों को सूचित किये बिना किसी संवेदनशील स्थान पर नहीं जाने की सलाह दी गयी थी और इसका कारण उचित सुरक्षा सुनिश्चित करना था। अब्दुल्ला पिता-पुत्र ने 13 जुलाई को अपनी पार्टी के 16 नेताओं के लिए 16 याचिकाएं दाखिल की थीं और दलील दी कि उन्हें संविधान में प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकार का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन करते हुए हिरासत में रखा जा रहा है।