Sheikh Hasina Profile: 49 साल पहले पूरे परिवार की हुई थी हत्या, तब इंदिरा गांधी ने कैसे बचाई शेख हसीना की जान

By अभिनय आकाश | Aug 05, 2024

बांग्लादेश हिंसा की आग में झुलस रहा है। बांग्लादेश में कोटा सुधारों के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन में हिंसक झड़पों के कारण 100 से अधिक लोग मारे गए। वहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हजारों बांग्लादेशी प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को ढाका में प्रधानमंत्री शेख हसीना के आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया है। हिंसा के बीच शेख हसीना ने ढाका छोड़ दिया। विशेष विमान से वो भारत आई हैं। फिर कहा जा रहा है कि यहां से वो लंदन के लिए रवाना हो सकती हैं। भारत बांग्लादेश का सबसे करीबी सहयोगी और दुख के दिनों का साथी रहा है। शेख हसीना बांग्लादेश के बंग बंधु शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। 1975 में परिवार के ज्यादातर सदस्यों के साथ एक सैन्य तख्तापलट में उनकी मौत हो गई थी। लेकिन शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना उस वक्त जर्मनी में थी। इसलिए जिंदा बच गई थी। तब इंदिरा गांधी ने शेख हसीना और उनकी बहन को भारत बुलाया था। 

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शेख हसीना के दुख के दिनों के साथी

कहते हैं कि प्रणब कुमार मुखर्जी की सलाह पर ही प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शेख हसीना को सपरिवार भारत में शरण दी थी। शेख हसीना तब जर्मनी में थीं जब उनके घरवालों को मारा गया था। दिल्ली में सरकार ने शेख हसीना को पंडारा पार्क में सरकारी आवास दिया था। वह कुछ समय तक 56 लाजपत नगर-पार्ट थ्री में भी रही थीं। शेख हसीना,उनके पति और बच्चों के लिए प्रणब दा और उनकी पत्नी शुभ्रा मुखर्जी दिल्ली में एक तरह से संरक्षक की भूमिका में रहते थे। शेख हसीना का परिवार हफ्ते में कम से दो दिन- तीन बार प्रणब दा के तालकटोरा स्थित सरकारी आवास में ही वक्त बिताया करता था।

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 1981 में अपने देश वापस चली गईं 

दिल्ली में शेख हसीना के दोनों बच्चे सजीब वाजेद 'जॉय' और साइमा वाजेद हुसैन पुतुल और प्रणब दा के पुत्र अभिजीत, इंद्रजीत और पुत्री शर्मिष्ठा एक साथ बड़े हुए थे। ये सब बीच-बीच में इंडिया गेट में खेलने के लिए चले जाते थे। शेख हसीना 1981 में अपने देश वापस चली गईं पर उनका प्रणब कुमार मुखर्जी के परिवार से गहरा संबंध बना रहा। प्रणब कुमार मुखर्जी और शुभ्रा ने उस रिश्ते को बनाए रखा। जानने वाले जानते हैं कि राजधानी की पार्क स्ट्रीट सड़क का नाम बदलकर शेख मुजीब-उर-रहमान रोड करवाने में भी प्रणब दा के प्रभाव ने काम किया था। वे तब देश के राष्ट्रपति थे। 

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