मां की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो इन चीजों का लगाएं भोग
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैल का अर्थ है पर्वत और पुत्री यानी बेटी। इस प्रकार हिमालय की पुत्री को शैलपुत्री कहा जाता है। शैलपुत्री देवी की पूजा के बाद केले व अन्य फल, शहद या गुड़ व घी−शक्कर प्रसाद के रूप में दें।
नवरात्रि के दिनों में हर व्यक्ति मां को प्रसन्न करने के लिए तरह−तरह के उपाय करता है। वैसे तो मां को प्रसन्न करने के लिए श्रृंगार का सामान व मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इनमें सबसे जरूरी है कि माता का भोग। मां को प्रसन्न करने के लिए कई चीजों का भोग लगाया जा सकता है। अगर आप मां की विशेष कृपा के पात्र बनना चाहते हैं तो दिन के अनुसार उन्हें भोग लगाएं−
देवी शैलपुत्री
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैल का अर्थ है पर्वत और पुत्री यानी बेटी। इस प्रकार हिमालय की पुत्री को शैलपुत्री कहा जाता है। शैलपुत्री देवी की पूजा के बाद केले व अन्य फल, शहद या गुड़ व घी−शक्कर प्रसाद के रूप में दें।
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देवी ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की अर्चना की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी ने भगवान नारद के कहने पर भगवान शंकर की बेहद कठिन तपस्या की। जिसके बाद ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप यह भगवान शिव की पत्नी बनीं। देवी के इस रूप को उनकी कठिन तपस्या के कारण जाना जाता है और माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता व जीत प्राप्त होती है। देवी ब्रह्मचारिणी के इस रूप का पूजन करते समय शक्कर और बिना नमक का मक्खन भोगस्वरूप चढ़ाना चाहिए। साथ ही इसे खुद भी खाएं। माना जाता है कि इससे उम्र में वृद्धि होती है।
देवी चंद्रघंटा
देवी चंद्रघंटा को सुगंध प्रिय है और उनका रूप बेहद सौम्य है। देवी चंद्रघंटा का पूजन करने से भक्तों के पाप नष्ट होते हैं ही, साथ ही राह में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं। माता चंद्रघंटा को प्रसादस्वरूप शहद, मावे की मिठाई, दूध, खीर व दूध से बनी मिठाइयां दें।
देवी कुष्मांडा
देवी पुराण के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब देवी कुष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। इनकी आठ भुजाएं हैं और इसीलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। देवी कुष्मांडा को पेठा, मालपुआ, दूध पाक का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान कर दें और खुद भी खाएं।
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देवी स्कंदमाता
देवी स्कंदमाता वात्सल्य की मूर्ति है। यही कारण है कि माता के इस रूप की पूजा करने वालों को कोई किसी तरह की हानि नहीं पहुंचा सकता। इतना ही नहीं, यह भी माना जाता है कि देवी स्कंदमाता की पूजा करने से मूर्ख व्यक्ति भी ज्ञानी बन सकता है। माता स्कंदमाता को केसर, पिस्ता, डायफ्रूट्स और खीर का भोग लगाना चाहिए।
देवी कात्यायनी
देवी कात्यासनी की उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। नवरात्रि के छठे दिन मां को शहद का भोग लगाना चाहिए।
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देवी कालरात्रि
मां के सप्तम रूप को कालरात्रि कहा जाता है। यह माता का बेहद उग्र रूप है। देवी मां का यह रूप ज्ञान और वैराग्य प्रदान करता है। कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। देवी कालरात्रि को गुड़ का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। साथ ही बाद में इसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं अचानक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है।
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देवी महागौरी
मां दुर्गा की आठवीं शक्ति को महागौरी कहा जाता है। महागौरी बेहद कल्याणकारी है और उनके पूजन से व्यक्ति के पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस दिन माता को नारियल का भोग लगाया जाता है। साथ ही ब्राह्मण को भी नारियल दानस्वरूप दिया जाता है।
देवी सिद्धिदात्री
माता के नौवें रूप में सिद्धिदात्री की पूजा अराधना की जाती है। माता सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली कहा गया है। नौवें दिन माता को नारियल के अतिरिक्त तिल का भोग लगाना भी उत्तम माना गया है।
मिताली जैन
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