हिमाचल के बीड़ बिलिंग में सुरक्षा नियमों की अनदेखी से पैराग्लाइडिंग के दौरान युवक की मौत

By विजयेन्दर शर्मा | Nov 22, 2021

धर्मशाला । निर्धारित नियमों की अनदेखी के चलते एक बार फिर हिमाचल प्रदेश के जिला कांगडा के बैजनाथ से सटे बीड़ बिलिंग में एक दर्दनाक हादसे में पैराग्लाइडिंग के लिए एक युवक की मौत हो गई। मृतक 30 वर्षीय संदीप चौधरी नोएडा में किसी निजी कंपनी में काम करता था । व नगरोटा बगवां के मूमता का रहने वाला बताया जा रहा है। वह यहां पैराग्लाइडिंग के लिए अपने दोस्तों के साथ आया था।

 

ब्ताया जा रहा है कि संदीप चौधरी ने एक कंपनी के माध्यम से बिलिंग से पैराग्लाइडिंग करने का निर्णय लिया। बिलिंग से संदीप चौधरी ने एक पायलट के साथ टेंडम उड़ान भरी। अभी उड़ान भरे कुछ मिनट ही हुए थे कि अचानक संदीप चौधरी ग्लाइडर से अलग हो गया। माना जा रहा है कि संदीप चौधरी की बेल्ट ढंग से नहीं लगी थी, जिस कारण वह ग्लाइडर से छिटक गया। काफी ऊंचाई से संदीप नीचे गिरा और बीड़ के आश्रम रोड के किनारे एक घर की छत के ऊपर गिरा और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना की जानकारी मिलने के बाद बैजनाथ और बीड़ पुलिस मौके पर पहुंची। 

 

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यहां सुरक्षा मानकों की अनदेखी के चलते पिछले पांच सालों में करीब 30 वारदातें हो चुकी हैं। जिनमें दस पायलट भी मारे जा चुके हें।  टेंडम उड़ानों के दौरान कई पर्यटक अब तक घायल हो चुके हैं। बीते साल दिल्ली के एक पायलट रोहित भदौरिया की भी मौत इसी तरह हुई थी। व उनके मृत शरीर को सात दिन बाद धौलाधार की वादियों में बरामद किया गया था।  इसी तरह एक कैनेडियन पायलट चेवल क्रिस्टियन मरे की भी मौत बिलिंग में उड़ान भरते ही हो गई थी। 

 

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बीड़- बिलिंग घाटी में पायलटों की लापरवाही पर्यटकों पर जानलेवा साबित हो रही है। बीड़-बिलिंग में पैराग्लाइडिंग के जरिये पैसा कमाने की ललक पर्यटकों पर लगातार भारी पड़ रही है। बिलिंग घाटी से साफ मौसम में रोजाना 300 से अधिक पैराग्लाइडिंग की उड़ानें होती हैं। टेक आफ साइट में अगर देखें तो पायलटों में पर्यटकों को उड़ाने की इतनी जल्दबाजी होती है कि कई बार तो पर्यटक और पायलट ग्लाइडर के साथ टेक आफ साइट में ही गिर जाते हैं। यहां खराब मौसम व शाम ढलने के बावजूद पैराग्लाइडिंग का खेल जारी रहता है। बीड़-बिलिंग में टेंडम फ्लाइंग के लिए जारी किए गए लाइसेंस पर भी सवाल उठने लगे हैं। टेंडम उड़ान के लिए पांच साल का अनुभव होना बहुत जरूरी है। साथ ही उम्र भी 18 साल से अधिक होनी चाहिए। बावजूद इसके यहां पर विभाग ने कई ऐसे लाइसेंस जारी कर दिए हैं, जिनमें पांच साल का अनुभव भी पूरा ही नहीं होता। इसके अलावा कुछ पायलट पुराने ग्लाइडरों का भी प्रयोग कर रहे हैं। 

 

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एसडीएम बैजनाथ सलीम आजम ने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है। साथ ही पायलट के लाइसेंस और पर्यटक से भरवाए गए बांड को भी जांचा जा रहा है। 



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