International Day of Happiness: भारत सक्षम है खुशी के उजालों को उद्घाटित करने में

FacebookTwitterWhatsapp

By ललित गर्ग | Mar 20, 2025

International Day of Happiness: भारत सक्षम है खुशी के उजालों को उद्घाटित करने में

अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस हर साल 20 मार्च को मनाया जाने वाला एक वैश्विक आयोजनात्मक एवं प्रयोजनात्मक दिवस है, जिसका उद्देश्य खुशी, खुशहाली के साथ एक अधिक प्रसन्न, दयालु एवं शांतिपूर्ण दुनिया को बढ़ावा देना है। यह लोगों के जीवन में खुशी के महत्व को मनाने और पहचानने तथा व्यक्तियों, समुदायों और संगठनों को खुशी और खुशहाली को बढ़ावा देने के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करने का दिन है। संयुक्त राष्ट्र ने 2012 में 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस के रूप में घोषित किया, यह दिन पहली बार 2013 में मनाया गया था और तब से, यह एक वैश्विक आंदोलन बन गया है। यह दिवस कोरा दिवस नहीं, एक आन्दोलन है, जो इस विश्वास पर आधारित है कि खुशी एक मौलिक मानव अधिकार है और खुशी और कल्याण को बढ़ावा देने से एक अधिक शांतिपूर्ण, न्यायसंगत और टिकाऊ दुनिया बन सकती है। यह जीवन को बदलने और दुनिया को सभी के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए खुशी की शक्ति का जश्न मनाने का दिन है। इस वर्ष की थीम ‘एक साथ खुश रहो’ है। यह थीम हमें याद दिलाती है कि खुशी पाने के लिए दूसरों से जुड़ाव महसूस करना और किसी बड़ी चीज का हिस्सा बनना यानी बड़ी सोच-बड़े कदम जरूरी है। हम खुशी की मशाल को आगे बढ़ाएं, जहाँ भी हम जाएँ, खुशियाँ फैलाएँ, खुशियों का संसार गढ़े।

 

संयुक्त राष्ट्र ने 20 मार्च को विश्व प्रसन्नता दिवस के अवसर पर विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2024 जारी की, जिसमें भारत 143 देशों में से 126वें स्थान पर है। भारत लीबिया, इराक, पाकिस्तान, फिलिस्तीन और नाइजर जैसे देशों से पीछे है। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी के साथ सातवां सबसे बड़ा भू-भाग रखने वाले भारत की तुलना दुनिया के छोटे-छोटे, निम्न आबादी एवं कम चुनौतियों का सामना करने वाले देशों से कैसे की जा सकती है? खुशहाली को महज आर्थिक प्रगति और संसाधनों की अधिकता के मद्देनजर देखा जाना भी कैसे उपयुक्त माना जा सकता है। जिन देशों को खुशहाल बताया गया है वहां आबादी, चुनौतियां बहुत कम हैं तथा धार्मिक संघर्ष भी नहीं है। ऐसे छोटे देशों की सरकारों को किसी समस्या को सुलझाने में ज्यादा समय नहीं लगता। उनकी तुलना बड़ी-बड़ी समस्याओं का सामना कर रहे भारत जैसे विशाल देश से कैसे की जा सकती है?

इसे भी पढ़ें: World Sparrow Day 2025: गौरैया के बिना जीवन संगीत अधूरा

वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट में भारत के दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनने एवं औद्योगिक-तकनीकी क्रांति जैसे कुछ चमकीले परिदृश्य को ध्यान में नहीं रखा गया है, जिनकी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक सहित दुनिया के कई संगठन अपने शोध पत्रों के आधार पर सराहना कर रहे हैं। भारत में मानव विकास के तहत गरीबी में कमी लाने के प्रयास को भारी सफलता मिली है। पिछले एक दशक में भारत में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। भारत आम आदमी को डिजिटल दुनिया से जोड़ने वाला विश्व का प्रमुख देश बना है। सबसे अहम बात भारत की संस्कृति एवं सभ्यता में प्रसन्नता के मौलिक तत्व एवं गुण निहित है, जिनको अपनाकर दुनिया तनावमुक्त, प्रसन्न होती है। इसलिये प्रश्न है कि हमारी खुशी का पैमाना क्या हो? अधिकतर लोग छोटी-छोटी जरूरतें पूरी होने को ही खुशी मान लेते हैं। इससे उन्हें उस पल तो संतुष्टि मिल जाती है, उनका मन खिल जाता है। लेकिन यह खुशी ज्यादा देर नहीं टिकती, स्थायी नहीं होती। इच्छा पूरी होने के साथ ही उनकी खुशी भी कमजोर होने लगती है।


खुशहाली की रिसर्च में खुशहाली को राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध भौतिक सुविधाओं, संसाधनों से मापा जाता है। लेकिन खुशियां का दायरा इतना छोटा तो नहीं होता। प्रसन्न समाज निर्माण के सन्दर्भ में विकास की सार्थकता इस बात में है कि देश का आम नागरिक खुद को संतुष्ट और आशावान महसूस करे। स्वयं आर्थिक दृष्टि से सुदृढ़ बने, कम-से-कम कानूनी एवं प्रशासनिक औपचारिकताओं का सामना करना पड़े, तभी वह खुशहाल हो सकेगा। खुशहाल भारत को निर्मित करने के लिये आइये! अतीत को हम सीख बनायें। उन भूलों को न दोहरायें जिनसे हमारी रचनाधर्मिता जख्मी हुई है। जो सबूत बनी हैं हमारे असफल प्रयत्नों की, अधकचरी योजनाओं की, जल्दबाजी में लिये गये निर्णयों की, सही सोच और सही कर्म के अभाव में मिलने वाले अर्थहीन परिणामों की। एक सार्थक एवं सफल कोशिश करें खुशहाली को पहचानने की, पकड़ने की और पूर्णता से जी लेने की। अन्यथा नकारात्मक सोच के घनघोर अंधेरों के बीच तो चेहरे बुझे-बुझे ही रहेंगे। न कुछ जोश होगा न होश। अपने ही विचारों में खोए-खोए, निष्क्रिय ओर खाली-खाली से, निराश और नकारात्मक तथा ऊर्जा विहीन। हाँ सचमुच ऐसे लोग पूरी नींद लेने के बावजूद सुबह उठने पर खुद को थका महसूस करते हैं, कार्य के प्रति उनमें उत्साह नहीं होता। ऊर्जा का स्तर उनमें गिरावट पर होता है। ऐसे माहौल में व्यक्ति खुशहाल कैसे हो सकता?


यह समय की मांग है कि देश में करोड़ों लोगों की गरीबी, भूख, कुपोषण, डिजिटल शिक्षा, रोजगार, उद्यमिता, ग्रामीण युवाओं के तकनीकी प्रशिक्षण और स्वास्थ्य की चुनौतियों को कम करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास करे। ऐसे प्रयासों से ही आम भारतीय के चेहरे पर मुस्कुराहट बढ़ेगी, देश में खुशहाली आएगी। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने नए मानव विकास सूचकांक में भारत की औसत बढ़त को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ कहा है। पिछले एक वर्ष में भारतीयों की औसत आमदनी में 6.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। भारत में जीवन प्रत्याशा में शानदार वृद्धि हुई है। कुछ वर्ष पहले भारत में जीवन प्रत्याशा का औसत 62.2 था, जो अब बढ़कर 67.7 हो गया है। भारत ने लैंगिक असमानता को कम करने में भी सफलता पाई है। सरकार एवं सत्ताशीर्ष पर बैठे लोगों को निस्वार्थ होना जरूरी है। उनके निस्वार्थ होने पर ही आम आदमी के खुशहाली के रास्ते उद्घाटित हो सकते हैं। तभी आम आदमी को ऊर्जा एवं सकारात्मकता से समृद्ध किया जा सकता है, और तभी जीवन को आनंदित बनाया जा सकता हैं। यही आनन्द एवं खुशहाली समाज और राष्ट्र के लिए भी ज्यादा उपयोगी साबित हो सकती है। कामना हमें शुभ, सुखमय एवं खुशहाल जीवन की करनी होगी। लेकिन इसके लिये अवसरवादी, अनैतिक एवं गलत मूल्यों के खिलाफ आवाज भी तो उठानी ही होगी। अगर हमने कुछ लोगों को भी अपराध और भ्रष्टाचार के विरोध में जागृत कर सके तो हम खुशहाल जीवन के सपने को साकार कर सकेंगे। राजनीति की दूषित हवाओं ने भारत की चेतना को प्रदूषित कर दिया है। हम सरकार के बदलते चेहरों को देखने के अभ्यस्त हो गए हैं, सत्ता के गलियारों में स्वार्थों की धमाचौकड़ी ने ही आम आदमी की खुशियों को छीन लिया है। बुराइयां तभी छूटती है जब उनके गलत परिणामों का सही ज्ञान होता है और अच्छाइयां जीवन में स्थायित्व तभी पाती है जब उनके साथ निष्ठा, संकल्प एवं प्रयत्न की गतिशीलता और निरन्तरता जुड़ जाती है।


हर किसी की खुशी की अपनी परिभाषा होती है, या ऐसी चीजें जो उन्हें खुश करती हैं, यही वजह है कि इस दिन के लिए कोई परंपरा तय नहीं की गई है। खुशी का मतलब है संतुष्ट महसूस करना और अपनी भावनाओं का दिखावा न करना, इसलिए जो भी आपको खुश करता है, आप वही करें! धन, सुविधाएं या वैभव ही प्रसन्नता के माप नहीं है। आंतरिक रूप से खुश रहना, आपके आस-पास के माहौल से संतुष्ट होना ही प्रसन्न होने की कुंजी है, इसलिए खुद को चुनौती दें और नए लोगों और अनुभवों के लिए अपने दिल और दिमाग के दरवाजे खुले रखें। छोटी-छोटी चीजों को संजोएं और उस पल में हर चीज के लिए आभारी रहें, कृतज्ञता भाव को जीवंतता दें। मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं। यदि आप अपने दोस्तों के साथ मिलकर कोई आयोजन करने में टाल-मटोल कर रहे हैं, या हाल ही में बाहर जाने से “ना” कह दिया है, तो इस प्रवृत्ति को बदलने का प्रयास करें। बाहर जाएँ, हँसें, मौज-मस्ती करें। मुस्कुराना और हँसना तनाव दूर करने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है, और सबसे अच्छी बात यह है कि ये मुफ्त हैं और इसी से वास्तविक प्रसन्नता अवतरित होती है।


- ललित गर्ग

लेखक, पत्रकार, स्तंभकार

प्रमुख खबरें

PCOS से मिलेगा राहत, बस घर पर बना लें ये आयुर्वेदिक चूर्ण, नोट करें रेसिपी

KKR vs RCB: आज से सजेगा IPL 2025 के लिए मैदान, Kohli और Varun होंगे आमने सामने, ऐसा होने वाला है पहला मैच

Yes Milord: X ने केंद्र सरकार पर किया केस, धर्मातरण ऐक्ट लगाने पर UP पुलिस को फटकार, जानें कोर्ट में इस हफ्ते क्या हुआ

Copper Utensils: तांबे के बर्तन रखे-रखे पड़ गए हैं काले तो मिनटों में हो जाएंगे नए जैसे, बस इस चीज की पड़ेगी जरूरत