लॉग टर्म कोर्स की बजाय रोजगार पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं आज के युवा

By जेपी शुक्ला | Jul 07, 2020

एक ऑनलाइन शैक्षिक कंपनी, टलेंटेज और मार्किट रिसर्च एजेंसी कान्तार TNS के एक ताज़ा सर्वे के अनुसार भविष्य में लंबी अवधि के कॅरियर की योजना बनाना संभव नहीं होगा, क्योंकि विकास की गति जॉब मार्केट में बढ़ रही है और युवाओं को लगातार समय की मांग के मुताबिक खुद को ऐसे परिवेश में ढालना बेहद ज़रूरी होगा। वहीं इससे पहले किये गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक आधा से ज्यादा नौकरी तलाश करने वालों ने लंबी अवधि के कॅरियर के उचित अवसर और विकास के लिए अपने कौशल को बढ़ाने के लिए लॉकडाउन अवधि का उपयोग किया। 

 

नौकरी तलाश करने वालों के लिए ये जो अनिष्ट ठहराव लॉकडाउन की वजह से आया है, संभवतः उनके लिए एक नया रास्ता खोल दिया है, जब वे कुछ नया सीख सकते हैं और अपनी प्रक्षेत्र विशेषज्ञता (domain expertise) को बढ़ा सकते हैं। डेटा साइंस और एनालिटिक्स कोर्स (22 प्रतिशत), इसके बाद डिजिटल मार्केटिंग (20 प्रतिशत), और वित्त और जोखिम प्रबंधन (16 प्रतिशत) शीर्ष पाठ्यक्रमों में से थे जो नौकरी ढूढ़ने वालों द्वारा चुने गए थे।

 

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गेज़िंग इन टू द फ्यूचर: यंग इंडिया, देयर एस्पिरेशंस एंड कॅरियर चॉइस के एक सर्वेक्षण के अनुसार, अल्पकालिक पेशेवर योजना (short-term professional plan) ही एक सही रास्ता है। उत्तरदाताओं ने कहा कि वे तेजी से एक 'नौकरी' के बारे में सोचेंगे और 'कॅरियर' नहीं, क्योंकि उनके आसपास की चीजें तेजी से बदल रही हैं और वे अगले पांच वर्षों में भी ऐसे जीवन कॅरियर की कल्पना नहीं कर सकते हैं जब बहुत सारे वैकल्पिक पाठ्यक्रमों के होते हुए भी शायद ही कुछ ऐसे होंगे जो एक उचित परिपेक्ष्य में, अनुकूल और लाभप्रद रोज़गार दे सकेंगे।

 

टलेंटेज ने 20,000 छात्रों में से ऐसे उत्तरदाताओं (Respondents) की पहचान की है जिन्होंने इस संस्था में पिछले वर्ष नामांकन किया था, उनमें से 60 उत्तरदाताओं ने इस सर्वे में भाग लेने के लिए फाइनल कट दिया है। सर्वेक्षण पर आधारित यह अध्ययन लगभग पांच वर्षों तक किया गया, जिसमें से मानव संसाधन प्रमुखों, सीएक्सओ (CXO’s), कॅरियर काउंसलर और समाजशास्त्रियों के उत्कृष्ट विचारों को संज्ञान में लिया गया, ताकि इस उभरते हुए झुकाव की विस्तृत तस्वीर सामने आ सके और उम्मीदवारों को सही मार्गदर्शन मिल सके।

 

टलेंटेज के CEO आदित्य मालिक ने एक बिज़नेस समाचार पत्र में दिए गए एक वक्तव्य में बताया कि 29 साल की औसत आयु के साथ भारत 2020 तक दुनिया का सबसे युवा देश होगा। उन्होंने बताया की वो युवा भारतीयों के विचारों को, उनके कॅरियर के विकल्पों की संभावनाओं को और उनकी महत्वाकांक्षाओं के बारे में समझना चाहते थे। अध्ययन में पाया गया कि डिग्रियों का कम्पित अधिग्रहण कॅरियर का एक नया मापदंड होगा, जैसा कि उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें क्रियाशील व व्यावहारिक तज़ुर्बों से सीखना होगा और ज़रूरत पड़ने पर और अधिक डिग्री हासिल करनी होगी। विशेषज्ञों ने इस सर्वेक्षण पर विचार विमर्श किया और पाया की शिक्षा सिर्फ एक बार का मामला नहीं होगा बल्कि एक सतत प्रक्रिया होगी जिसमें युवा जैसे जैसे आगे बढ़ते जायेंगे, डिग्रियां हासिल करते रहेंगे।

 

आदित्य मालिक ने आगे बताया कि कॉर्पोरेट दुनिया के साथ बढ़ती निराशा युवाओं के जूनून को काम में परिवर्तित करने में उन्हें आगे ले जाएगी। लीक से हटकर बढ़ते हुए पाठ्यक्रमों ने नए कॅरियर को पंख दे दिए हैं। और आज के युवा भी शायद इसे ही ज्यादा महत्त्व दे रहे हैं और अपना रुझान भी इसी पर केंद्रित कर रहे हैं।

 

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विशेषज्ञों ने कहा कि उद्यमिता, रचनात्मकता और नवाचार के लिए आज एक बहुत बड़ा स्कोप खुल गया है, यह स्वीकार करते हुए कि वे इस बात को लेकर निश्चित नहीं थे कि यह कितना आकर्षक होगा, क्योंकि इसके लिए बहुत अधिक प्रयास और परिश्रम की आवश्यकता होती है।

 

तो अगर आप एक युवा हैं और अपने कॅरियर को लेकर गंभीर हैं तो शायद आप अच्छी तरह से समझ गए होंगे कि शार्टटर्म का कोई मनचाहा कोर्स आपको सही दिशा में ले जायेगा या फिर कोई लॉन्गटर्म वाला कोर्स


जेपी शुक्ला


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