By कमलेश पांडे | Jan 23, 2024
किसी भी व्यक्ति के जीवन में रोटी, कपड़ा और मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा सम्मान का अपना महत्व होता है। ये ऐसी चीजें हैं जो किसी भी व्यक्ति या परिवार की समुचित परवरिश में, उनकी व्यक्तिगत या सामूहिक सफलता में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करती हैं। इसलिए किसी भी व्यक्ति या परिवार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने उत्तरोत्तर विकास के लिए इन सभी जरूरी मदों में अपनी कमाई का एक सुनिश्चित और संतुलित धनराशि खर्च करे।
जहां तक घर-मकान-फ्लैट का सवाल है तो शोध-आंकड़े बताते हैं कि एक आम इंसान अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई का एक तिहाई से ज्यादा रकम अपना घर बनाने, फ्लैट खरीदने या फिर मकान के किराए में खर्च करता है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि अपना घर हर किसी परिवार का मुख्य सपना होता है। क्योंकि इस पर होने वाला व्यय आमतौर खान-पान, कपड़ा, शादी-विवाह, पढ़ाई-लिखाई, इलाज आदि से काफी ज्यादा होता है। यही वजह है कि इसके लिए लोग अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई से बचत करते रहते हैं। लेकिन जब आप स्थानीय अखबारों के पन्ने पलटें तो प्रॉपर्टी के नाम पर होने वाली तरह-तरह की धोखाधड़ियों की खबरें मिलेंगी। इससे जिंदगी भर की जमा पूंजी लगाने के बाद भी लोग ठगे रह जाते हैं। आलम यह है कि अपने घर का सपना कोर्ट-कचहरियों के चक्कर में पड़ जाता है।
आमतौर पर लोग बैंक से लोन लेकर घर या फ्लैट खरीदते हैं, लेकिन कर्ज (लोन) की रकम कितनी हो, ईएमआई कितनी हो और कितने दिनों में कर्ज (लोन) चुकाएं, ये बातें उनको परेशान करती हैं। हालांकि, जीवन भर की जमा पूंजी लगाकर घर खरीदने के दौरान यदि छोटी-सी चूक भी हो जाती है तो वह निकट भविष्य में गंभीर नतीजे दे सकती है। यही कारण है कि कर्ज (लोन) लेने या घर खरीदने से पहले 5 बातें ध्यान में रखना जरूरी है, जो निम्नलिखित है:-
# सही प्रॉपर्टी की पहचान करें और आवश्यक दस्तावेज जुटाएं
यदि आप अपना घर खरीदने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले अपने बजट का ख्याल रखें। लोन लेने के लिए आपके पास आवश्यक दस्तावेज, यानी जमीन के कागज, नियमित आय का प्रमाण आदि तैयार रखें। क्योंकि यदि ये कागजात आपके पास होंगे तो लोन देने में बैंक ज्यादा आनाकानी नहीं करते। वहीं, यदि आपके दस्तावेज दुरुस्त न हों तो फिर बैंक के चक्कर काटने पड़ सकते हैं। बावजूद इसके लोन मिलने की कोई गारंटी नहीं होती। उधर, दूसरा सबसे जरूरी कदम सही सम्पत्ति (प्रॉपर्टी) की पहचान है, जिसे आप अपनी आवश्यकता और बजट के मुताबिक सही चीज चुनें। ततपश्चात पूरी छानबीन करें कि सम्बंधित प्रॉपर्टी नियमों को ध्यान में रखकर बनी है या नहीं। इस हेतु सम्बंधित बिल्डर या एंजेंट के पुराने रिकॉर्ड की भी पड़ताल करें। यदि आप इतनी सावधानी बरतेंगे तो हमेशा अच्छी प्रोपर्टी आपको मिलेगी और भविष्य में किसी धोखाधड़ी की गुंजाइश भी नहीं बचेगी।
# अपनी सहूलियत के मुताबिक पहले घर खरीदें या फिर कर्ज लेकर घर तलाशें
आमतौर पर घर या फ्लैट खरीदने के इच्छुक लोगों के लिए आजकल बैंक दोनों तरह के विकल्प दे रहे हैं। कहीं पर घर खरीदने के बाद फाइनेंस होता है तो कहीं पर बैंक प्री-अप्रूव्ड ऑफर भी देते हैं। जिसमें बैंक से एक सुनिश्चित रकम कर्ज (लोन) लेने के बाद लोग अपने घर यानी फ्लैट/कोठी की तलाश करते हैं। हालांकि उपर्युक्त दोनों ऑप्शन में से कौन सा विकल्प सही है, यह आपके कर्ज (लोन) के अमाउंट पर निर्भर करता है।
उदाहरणतया मान लीजिए कि कोई 20-25 लाख के बजट में अपने सपनों का घर खरीदना चाहता है और उसके पास कुल 15 लाख रुपये की जमा पूंजी है। ऐसे में उसे 10 लाख रुपये के सुनिश्चित लोन की आवश्यकता होगी। चूंकि कम धनराशि के सुनिश्चित लोन के लिए प्री-अप्रूव्ड लोन ऑप्शन बेहतर विकल्प माना जाता है। वहीं, यदि कोई व्यक्ति सिर्फ 10 प्रतिशत का नगद भुगतान (डाउन पेमेंट) देकर घर, फ्लैट या कोठी खरीद रहा है और शेष धनराशि कर्ज के रूप में फाइनेंस करवा रहा है तो उसके लिए पहले लोन लेना उचित नहीं है। ऐसी परिस्थिति में घर खरीदने के साथ ही फाइनेंस कराने की सलाह दी जाती है। यदि आप ऐसा करते हैं तो यह आपके लिए एक बेहतर निर्णय साबित होगा।
# सही बैंक, समुचित धनराशि और उचित ईएमआई का सही वक्त पर चुनाव जरूरी
अधिकतर नौकरीपेशा लोग कर्ज (लोन) लेकर ही घर खरीदते हैं। लेकिन कर्ज की रकम कितनी हो, उसकी ईएमआई कितनी हो, ताकि नौकरीपेशा शख्स कर्ज (लोन) के जाल में फंसे नहीं। साथ ही अपने घर का सपना और बाकी की जरूरतें भी पूरी हों। इसके लिए अर्थशास्त्रियों ने एक गोल्डन रूल दिया है, जिसके अनुसार कभी भी घर की ईएमआई या किराया व्यक्ति विशेष की आमदनी के एक तिहाई से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यदि किसी का वेतन 30 हजार रुपए है तो उसे 10 हजार रुपए महीने से ज्यादा किराया या ईएमआई पर खर्च नहीं करना चाहिए। इसी तरह कर्ज (लोन) की अवधि अपने रिटायरमेंट से कम से कम 5-10 साल पहले रखने की सलाह दी जाती है।
# आपके घर की सभी आवश्यकताओं को पूरा करेगा 28/36 का नियम
आय-व्यय के 30 प्रतिशत के नियम की चर्चा तो सालों से हो रही है, क्योंकि यह गोल्डन रूल तो लोगों की जुबान पर चढ़ गया है। लेकिन अर्थशास्त्रियों ने ज्यादा अचूक और उपयोगी एक नया फंडा दिया है जो आपके घर के सपने के साथ-साथ उसकी जरूरतों का भी ख्याल रखता है। इसे ही ‘28/36 का नियम’ कहा गया है, जिसके अनुसार घर में रहने वाले सदस्यों की कुल मासिक कमाई का 28 प्रतिशत घर पर और बाकी के 08 प्रतिशत शेष कर्ज मसलन क्रेडिट कार्ड, कार लोन, एजुकेशन लोन आदि पर खर्च होने चाहिए। इस तरह से ईएमआई और छोटे-मोटे कर्ज को मिलाकर कभी भी मासिक देनदारी कमाई का 36 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यदि यह धनराशि 36 प्रतिशत से ज्यादा हुआ तो नए घर की सारी जरूरतें ठीक से पूरी नहीं हो पाएंगी। इसलिए अपने हितों के सवाल पर सावधान रहना जरूरी है।
# भारतीय अपने रहने और खाने पर खर्च करते हैं अपनी कमाई का 60 प्रतिशत
अब आपने अपना घर खरीदने के लिए प्रचलित नियमों को जान लिया होगा। लेकिन अधिकतर लोग इन नियमों का कितना पालन करते हैं और अपनी गाढ़ी कमाई कैसे खर्च करते हैं, इसकी बानगी एक रिपोर्ट देती है। जिसकी मानें तो देश में शहरी लोग रहने-खाने पर 58 प्रतिशत तो ग्रामीण लोग रहने-खाने पर 54 प्रतिशत कमाई खर्च कर देते हैं। यह आंकड़ा पुराने गोल्डन रूल और 28/36 के नए नियम से काफी ज्यादा है। जिसे नियंत्रित करने की जरूरत है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार