कुंभ मेले के आयोजन को भव्य बनाने में जुटी योगी सरकार

By अजय कुमार | Dec 04, 2018

आगाज खुशनुमा हो तो अंजाम अच्छा ही होता है। यह अहसास अगले वर्ष (14जनवरी से) प्रयागराज में शुरू होने जा रहे अर्धकुंभ की तैयारियों को देखकर पक्का हो जाता है। अर्धकुंभ की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्साहित होकर अर्धकुंभ को कुंभ का नाम दे दिया। योगी सरकार कुंभ को दिव्य रूप देने में लगी है। योगी चाहते हैं कि इस बार का आयोजन पिछले सभी आयोजनों से भव्य ही नहीं विशाल भी हो। बताते चलें दो कुंभ मेलों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ पड़ता है। मगर योगी अर्धकुंभ का अवधारणा को ही नहीं मानते हैं। अगले साल यानी 2019 का कुंभ पचास दिनों का होगा, जो 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन से शुरू होकर 4 मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगा। मेले में करीब पांच करोड़ श्रद्भालुओं के पहुंचने का अनुमान है, जिनकी सुरक्षा, मूलभूत जरूरतों सहित सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह चुस्त−दुरूस्त रहेंगी। कुंभ मेला नगरी प्रयागराज को 14 बड़े शहरों के साथ हवाई मार्ग से भी जोड़ा जायेगा।

 

कुंभ स्नान का अदभुत संयोग करीब तीस सालों बाद बन रहा है। हिंदू धर्म में कुंभ  मेला एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसमें देश−विदेश से सैकड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन और नासिक में स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं। कुंभ का संस्कृत अर्थ कलश होता है। हाल ही में यूनेस्को ने कुंभ को सांस्कृतिक धरोहरों में शामिल कर लिया था। कुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन भी माना जाता है। एक साथ करोड़ों की तादात में दुनिया के किसी भी कोने में कभी भी इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु या लोग नहीं जुटते हैं। इस बार कई नई परम्पराएं भी शुरू हो सकती हैं। कहा जा रहा है कि विभिन्न अखाड़ों के कई साधु−संत कुंभ मेले में देहदान की घोषणा कर सकते हैं। साधू−संत अपना शरीर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिये दान करेंगे ताकि चिकित्सा विज्ञान के सहारे मानव सेवा हो सके। कुंभ मेले में देश के कोने−कोने से लोग शिरक्त करें, इसके लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रत्येक गांव के लोगों को न्योता भेज रही हैं। वहीं विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी योगी आमंत्रण भेजेंगे। कुंभ के महात्म्य, इसकी प्राचीनता एवं अध्यात्मिकता और इससे जुड़ी किवदंतियों की महत्ता को बताता हुआ कुंभ गान भी तैयार किया जायेगा। पहले यह गान हिन्दी में तैयार होगा,इसके बाद इसे अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जायेगा। कुंभ नगरी प्रयाराज में कुंभ संग्रहालय बनाने की घोषणा भी योगी सरकार कर चुकी है। यह करीब 300 करोड़ रूपये में तैयार होगा।

 

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बहरहाल, यहां यह जान लेना जरूरी है कि कुंभ का मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है। इस दिन जो योग बनता है उसे कुंभ स्नान−योग कहते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार मान्यता है कि किसी भी कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्नान या तीन डुबकी लगाने से सभी पुराने पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को जन्म−पुनर्जन्म तथा मृत्यु−मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुंभ मेले में शाही स्नान का अपना महत्व होता है। मेले के दौरान पूरे देश के साधू−संत और अखाड़े यहां डेरा डाल लेते हैं। 14−15 जनवरी 2019 को मकर संक्रांति के दिन पहला शाही स्नान होगा और इसी स्नान के साथ कुंभ मेले का आगाज हो जायेगा। इसके पश्चात 21 जनवरी 2019 पौष पूर्णिमा, 31 जनवरी 2019, पौष एकादशी स्नान, 04 फरवरी 2019 मौनी अमावस्या को मुख्य शाही स्नान, (दूसरा शाही स्नान), 10 फरवरी 2019रू बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान),16 फरवरी 2019 माघी एकादशी, 19 फरवरी 2019 माघी पूर्णिमा और 04 मार्च 2019 महाशिवरात्री पर अंतिम स्नान होगा।

 

बात तैयारियों की कि जाये तो प्रयागराज में कुंभ मेला के दौरान गंगा, यमुना और अदृश्य सलिला सरस्वती की रेती पर बसने वाला पंडालों का शहर अपने में अनोखा होगा। मेले को भव्यता प्रदान करने के लिए इस बार रंगीन पंडालों का चयन किया गया है। मेला मार्ग पर लोहे की सड़कों का जाल बिछाया जायेगा, जो आम सड़को की अपेक्षा अलग किस्म की होंगी। लोहे की सड़क पर न धसाव होगा और न ही कोई खड़खड़ाहट। चौड़ी सड़कें व विदेशों से मंगायी गयी स्ट्रीट लाइटें मेले की भव्यता में चार चांद लगायेंगी। यहां तक की पान्टून पुल तक रंग बिरंगे होंगे, तमाम ऐसे प्रयासों से सड़कें रंगीन दिखेंगी। मेला प्रशासन मेले को दिव्यता देने के लिये कोई कोरकसर बकाया नहीं रखना चाहता है। लगभग 3 हजार 200 करोड़ के बजट से 3200 हेक्टेयर में बसाया जा रहा दिव्य कुंभ मेला देखने के लिए पहली बार 192 देशों के प्रतिनिधि मेला क्षेत्र में विचरण करते हुए नजर आयेंगे। इनके लिए पांच सितारा सुविधा वाली टेंट सिटी विकसित की जा रही है। पांच हजार से अधिक प्रवासी भारतीयों व प्रतिनिधियों के कुंभ के दौरान स्नान एवं दर्शन के लिए आने की संभावना जताई जा रही है।

 

मान्यता है कि गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के संगम में गोता लगाने पर इह लोक और परलोक दोनों सुधर जाता है। प्रयाग में एक तरफ द्वादश माधव तो दूसरी तरफ बड़े−बड़े तपस्वियों की शरणस्थली रहा भारद्वाज आश्रम तथा साक्षात भगवान वासुदेव को गोद में बैठाये अक्षयवट संगम में गोता लगाने वाले तीर्थ यात्रियों पर चंवर डुलाने का काम करता है। लाखों कल्पवासियों की तपस्थली इस रेती के कण−कण से आस्था का जो अंकुर निकलता है उससे मिलने वाली ऊर्जा को लेकर लोग अपने घरों को जाते हैं। 

 

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गौरतलब हो 2013 में यही मेला कुल 1936 हेक्टेयर में बसाया गया था, जबकि इस बार मेला 3200 हेक्टेयर तक फैला है। बजट जहां 1142 करोड़ था, वहीं बढ़ाकर 3200 करोड़ कर दिया गया है। पूरे शहर तथा आसपास तीर्थयात्रियों को असुविधा न हो और जाम न लगने पाये इसके लिए दस ऊपरगामी सेतु बनाये जा रहे हैं, जो कि अपनी तैयारी के अंतिम चरण में हैं। रेलवे भी कई अंडर पास व ऊपरगामी सेतु का निर्माण कर रहा है, जिसमें छह अंडर पास का विस्तारीकरण किया जा रहा है तथा नौ ऊपरगामी सेतु बनाये जा रहे हैं। मेला में सात घाटों पर विकास व रीवर फ्रंट संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। लगभग 32 से ज्यादा चौराहों का चौड़ीकरण किया जा रहा है। जनपद को जोड़ने वाली सड़कों को या तो फोर लेन किया जा रहा है, या फिर उन्हें अच्छा खासा चौड़ा किया जा रहा है। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए करीब 500 शटल बसें चलायी जाएंगी। मेले में 1,22,500 शौचालयों का निर्माण तथा 20 हजार डस्टबिन, 140 टिपर, 40 कम्पैक्टर भी होंगे। इन सभी को सरकार के नमामि गंगा योजना के तहत रखा जाएगा। 

 

मेले में पहली बार दस हजार व्यक्तियों की क्षमता वाला गंगा पंडाल, प्रवचन पंडाल, सांस्कृतिक पंडाल व 20 हजार लोगों के लिए यात्री निवास बनाये जा रहे हैं। श्रद्धालुओं को देखते हुए उनकी गाडि़यों को खड़ी करने के लिए 1300 हेक्टेयर में 82 पार्किग स्थल होंगे, जिनमें 16 सैटलाइट टाउन के रूप में विकसित किये जाएंगे। दो हजार से अधिक साइनेजेज लगाये जाएंगे। चालीस हजार से अधिक एलईडी सड़कों व चौराहों पर लगाये जाएंगे। भारतीय जल प्राधिकरण द्वारा पांच जेटी का निर्माण किया जा रहा है, जिन पर प्वाइंट टू प्वाइंट फेरी चलायी जाएगी। मेला क्षेत्र में लेजर शो, फसाड़ लाइटिंग, फूडकोर्ट, टूरिस्ट वाक के अलावा 200 से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। कुंभ मेला दिव्य दिखायी पड़े सरकारी भवन, फ्लाई ओवर, पानी की टंकी व नावों आदि को विभिन्न चित्रों, धार्मिक प्रतीकों व सांस्कृतिक विचारधाराओं से पेंटिंग किया जायेगा।

 

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कुंभ मेले में कई सियासी हस्तियों के भी आगमन की संभावना जताई जा रही है। राष्ट्रपति, उप−राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा कई राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों के भी यहां पहुंचने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है।

 

- अजय कुमार

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