उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपना अंतिम पूर्ण बजट पेश करने के साथ ही चुनावी मोड में आ गई है। बजट के जरिए मिशन-2022 को फतह करने की कवायद शुरू हुई थी जिसे योगी सरकार के चार वर्ष पूरे होने की खुशी में पूरे प्रदेश में कार्यक्रम आयोजित करके और आगे बढ़ाया जाएगा। इसी कड़ी में 19 मार्च से योगी सरकार की उपलब्धियों को घर-घर तक पहुंचाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। अंतिम बजट पेश करते समय जहां सरकार ने नौजवानों से लेकर किसानों और महिलाओं के साथ-साथ अपने मूल एजेंडे हिंदुत्व और अपने शहरी कोर वोट बैंक को साधे रखने के लिए बजट में पांच बड़े राजनीतिक संदेश देने की कवायद की थी। वहीं चार वर्ष पूरे होने की खुशी में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में किसानों और बेरोजगारी दूर करने के लिए उठाए गए कदमों पर ज्यादा फोकस रहेगा। कोरोना काल में योगी सरकार ने जिस तरह से मजदूरों की मदद की, लोगों के लिए अन्न के भंडार खोले, आर्थिक मदद की और इस दौरान भी विकास कार्योa को जारी रखा, यह योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि थी, जिसे योगी सरकार चुनाव के समय भुनाना चाहेगी।
योगी सरकार के चार वर्ष पूरे होने की खुशी में 19 मार्च से जिला व प्रदेश स्तर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुँचाया जा सके। चुनावी वर्ष में ऐसा करना बेहद जरूरी भी है। चुनाव का समय ज्यों जो नजदीक आता जाएगा बीजेपी का मिशन-2022 त्यों त्यों तेजी पकड़ता जाएगा। फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश स्तर के पदाधिकारी/कार्यकर्ता और योगी सरकार के मंत्री ही मिशन-2022 में ‘हवा’ भरते नजर आएंगे, क्योंकि अभी बीजेपी आलाकमान का सारा ध्यान मार्च-अप्रैल में होने वाले पांच राज्यों- तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम, केरल और पुदुचेरी (केन्द्र शासित प्रदेश) चुनाव जीतने पर लगा हुआ। बीजेपी आलाकमान को विश्वास है कि पांच में से तीन राज्यों में बीजेपी की ही सरकार बनेगी। उक्त पांच राज्यों में बीजेपी बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रही तो उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर भी इसका असर पड़ना तय है।
बहरहाल, योगी सरकार को सबसे अधिक मेहनत किसानों की नाराजगी दूर करने में लगानी होगी तो बढ़ती महंगाई, पेट्रोल-डीजल और गैस के दामों में बेतहाशा वृद्धि के चलते गृहणियों की एवं बेरोजगारी के कारण नौजवानों की नाराजगी भी भाजपा के मिशन-2022 के लिए बड़ा सियासी खतरा नजर आ रहा है। भाजपा इन मुद्दों से कैसे निपटेगी या फिर वह (भाजपा) विराट हिन्दुत्व की सियासत के सहारे इन मुद्दों को नेपथ्य में डाल देने में कामयाब रहेगी। यह भी देखना होगा।
बात किसानों की कि जाए तो नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का गुस्सा केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ बढ़ता जा रहा है। इसकी तपिश अगले वर्ष होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकती है। अभी तक बीजेपी द्वारा किसान आंदोलन को पश्चिमी यूपी के तीन-चार जिलों तक सीमित बताया जा रहा था, लेकिन अब भारतीय किसान यूनियन के नेता पूरे प्रदेश का भ्रमण करके नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को आंदोलित करने में लग गए हैं, जिसके चलते धीरे-धीरे किसान आंदोलन मध्य और पूर्वांचल के इलाके को अपने जद में लेने लगा है। गौरतलब है कि किसान राज्य की करीब 300 सीटों की दशा और दिशा तय करने में सक्षम हैं। समस्या यह है कि चाहे मोदी सरकार हो या फिर योगी सरकार दोनों किसानों के हित की बड़ी-बड़ी बातें और दावे तो कर रहे हैं, लेकिन किसानों का विश्वास दोनों ही सरकारें नहीं जीत पा रही हैं। किसानों का सरकार से विश्वास उठता जा रहा है।
बात सरकार की कि जाए तो उसने किसानों की आय को साल 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अन्तर्गत 600 करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट में प्रस्तावित है, जिसमें सरकार किसान का 5 लाख का बीमा कराएगी। योगी सरकार के अंतिम बजट में किसानों को मुफ्त पानी की सुविधा के लिए 700 करोड़ रुपये और रियायती दरों पर किसानों को फसली ऋण उपलब्ध कराए जाने हेतु अनुदान के लिए 400 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। सरकार ने एक फीसदी ब्याज दर पर किसानों को कर्ज मुहैया कराने का ऐलान भी किया है। वहीं प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में 15 हजार सोलर पम्पों की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा योगी सरकार ने गन्ना किसानों के चार साल में किए भुगतान का भी जिक्र कर यह बताने की कोशिश की है कि अब तक की सभी सरकारों से ज्यादा बीजेपी के कार्यकाल में भुगतान किए गए हैं। वैसे अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व जल्द ही होने जा रहे पंचायत चुनाव के नतीजों से बीजेपी को काफी कुछ सियासी 'संदेश’ मिल जाएगा। अगर पंचायत चुनाव के नतीजे बीजेपी के मनमाफिक आए तो यह माना जाएगा कि जितना प्रचार किया गया, उतना किसान सरकार से नाराज नहीं है।
पंचायत चुनाव को योगी सरकार अगले वर्ष होने जा रहे विधानसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास मान रही हैं। पंचायत चुनाव जीतने के लिए भी योगी सरकार ने कम मेहनत नहीं की है। सरकारी खजाने का मुंह गांवों की तरफ मोड़ दिया गया है। पंचायती राज के लिए करीब 712 करोड़ रुपये, प्रत्येक न्याय पंचायत में चंद्रशेखर आजाद ग्रामीण विकास सचिवालय की स्थापना के लिये 10 करोड़ रुपये, इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत उत्कृष्टग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित किये जाने हेतु 25 करोड़ रुपये, ग्राम पंचायतों में बहुउद्देशीय पंचायत भवनों के निर्माण हेतु 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था और राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान योजना के अंतर्गत पंचायतों की क्षमता संवर्धन, प्रशिक्षण एवं पंचायतों में संरचनात्मक ढांचे के निर्माण हेतु 653 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। योगी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अन्तर्गत 7000 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था तो मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत 369 करोड़ रुपये का ऐलान किया है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के अन्तर्गत 35 करोड़ मानव दिवस का रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 5548 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था रखी गई है। यह सब करके योगी सरकार ने यूपी के गांवों को साधने का बड़ा दांव चला है।
चुनाव कोई भी और किसी भी स्तर का हो, भाजपा अपने तरकश से हिन्दुत्व का तीर जरूर चलती है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी इसे खूब धार देगी। वैसे भी योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही हिंदुत्व से जुड़े हुए एजेंडे को खास अहमियत दी जा रही है। सूबे में हिंदू धर्म से जुड़े धार्मिक स्थलों पर सरकार दिल खोलकर पैसा लुटा रही है। गाय, गुरुकुल, गोकुल, सब बीजेपी के चुनावी मिशन का हिस्सा बन गए हैं। जब से योगी सरकार बनी है तब से उसका अयोध्या और काशी पर फोकस बना हुआ है। योगी अक्सर अयोध्या और काशी पहुंच जाते हैं। यानी योगी राज में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का परचम खूब लहराया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार चुनाव के बाद कहा था कि देश की महिलाएं, नारी शक्ति हमारे लिए साइलेंट वोटर हैं। ग्रामीण से शहरी इलाकों तक, महिलाएं हमारे लिए साइलेंट वोटर का सबसे बड़ा समूह बन गई हैं। बिहार चुनाव में भी साफ दिखा था कि महिलाओं ने बड़ी तादाद में बीजेपी के पक्ष में वोट किया था। यही वजह है कि योगी सरकार द्वारा भी महिला मतदाताओं का खास ध्यान रखा जाता रहा है। योगी सरकार के गठन के तुरंत बाद एंटी रोमियो स्कवॉड बनाकर महिलाओं का विश्वास जीतने की कोशिश की गई थी तो चौथे वर्ष में जब प्रदेश में महिलाओं के साथ अपराध की घटनाएं बढ़ी तों महिलाओं के सम्मान और स्वाभिमान के लिए मिशन शक्ति चलाया गया।
अबकी बजट में महिला सामर्थ्य योजना नाम से दूसरा प्लान योगी सरकार ने शुरू किया है, जिसके लिए बजट में 200 करोड़ रुपए दिए हैं। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रदेश की सरकार मिशन शक्ति चला रही है, जिसके तहत उनको आत्मसुरक्षा और आत्मनिर्भरता दोनों की ट्रेनिंग दी जाती है। महिला शक्ति केंद्रों की स्थापना के लिए 32 करोड़ रुपए दिए हैं। बजट में ऐसी कई घोषणाएं की गई है जिनका फायदा महिलाओं और छात्राओं को मिलेगा। प्रदेश के प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए टैबलेट देने की घोषणा की गई है। रोजगार के लिए जनपदों में काउंसलिंग सेंटर बनाने की बात बजट में है। सामर्थ्य योजना के तहत महिलाओं को स्किल ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वो किसी काम में ट्रेंड हो सकें और उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ें।
-अजय कुमार