विधानसभा चुनाव की लड़ाई के सीमांचल में प्रवेश करते ही बिहार की सियासत में उबाल आ गया है। वो कहते है ना, जिसने कोसी-सीमांचल जीता, उसने बिहार जीता। बिहार चुनाव के आखिरी चरण में इन्हीं क्षेत्रों में मतदान होने है। चुनाव में यह क्षेत्र निर्णायक भूमिका अदा करता है। इस बार भी यह हार-जीत की अंतिम पटकथा लिखने को तैयार है। सीमांचल को साधने के लिए एनडीए और महागठबंधन, दोनों ही तरफ से जोर आजमाइश की जा रही है। अंतिम चरण में जिन 78 सीटों पर मतदान होना है उनमें से आधे से अधिक सीटों पर अल्पसंख्यक मतदाताओं की हिस्सेदारी 40 से 70 फ़ीसदी के बीच है। माना जा रहा है कि यह चरण एनडीए और खास करके भाजपा के लिए थोड़ा चुनौती भरा रह सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने भी ध्रुवीकरण की कोशिश तेज करते है।
मुस्लिम यादव समीकरण के सहारे बिहार में 15 सालों तक सत्ता में रही लालू यादव की पार्टी और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव सीएए और एनआरसी को लेकर खुलकर बात तो नहीं कर रहे पर इशारों इशारों में कहने की कोशिश जरूर की है। तेजस्वी ने नीतीश पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बीजेपी और आरएसएस की गोद में बैठे हुए हैं। राज्यसभा और लोकसभा में क्या करते हैं, आपको पता है ना। कुछ लोग बाहर के यहां आए हैं, उनकी अच्छे से मेहमान नवाजी कीजिए। अभी एक परेशानी आई थी तो हम और हमारी पार्टी आपके साथ खड़ी थी। तब वह नजर नहीं आए थे।
यह वही इलाका है जहां बिहार में सियासी जमीन तलाश रहे हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी मुसलमानों को साधने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। अपनी हर रैली में सीएएऔर एनआरसी जैसे मुद्दे उठाते है और केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतीश सरकार पर हमला करते है। वह यह भी आरोप लगा रहे है कि बीजेपी और आरएसएस सीमांचल में बसे लोगों को घुसपैठिया कह रही है और आरजेडी तथा कांग्रेस अपना मुंह नहीं खोल रही।
आज बिहार चुनाव के तीसरे चरण के लिए प्रचार थम गया। तीसरे चरण में मुकाबला और भी ज्यादा दिलचस्प होने की उम्मीद है। लोजपा की नई रणनीति और सीमांचल में एआईएमआईएम की बढ़ती ताकत ने महागठबंधन और एनडीए के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। 2015 की बात करें तो तीसरे चरण की 78 सीटों पर कांग्रेस-राजद-जदयू गठबंधन में एनडीए को करारी शिकस्त दी थी। तब इस गठबंधन को 54 सीटें मिली थी जिनमें जदयू को 23, राजद को 20 और कांग्रेस को 11 । एनडीए की बात करें तो पिछले चुनाव में यहां से उसे 21 सीटें मिली थी जिसमें से भाजपा 20 सीटों पर चुनाव जीती थी जबकि आरएलएसपी के खाते में 1 सीट गई थी।