By अभिनय आकाश | Jun 03, 2021
उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में नेपाल के साथ सीमा के पास स्थित एक शहर जिसकी सीमाएं पूर्व में देवरिया एवं कुशीनगर से पश्चिम में संत कबीर नगर से,उत्तर में महराजगंज एवं सिद्धार्थ नगर से तथा दक्षिण में मऊ ,आजमगढ़ और अम्बेडकर नगर से लगती हैं। एक प्रसिद्ध धार्मिक केन्द्र जो अतीत से बौद्ध, हिन्दू, मुस्लिम, जैन और सिख सन्तों की साधनास्थली रहा है। किन्तु मध्ययुगीन सर्वमान्य सन्त गोरखनाथ के बाद, उनके ही नाम पर इसका वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया। उसी गोरखपुर के मुख्य बाजार गोलघर में गोरखनाथ मंदिर से संचालित इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले कुछ छात्र एक दुकान पर कपड़ा खरीदने आए और उनका दुकानदार से झगड़ा हो गया। दुकानदार पर हमला हुआ तो उसने तपाक से बंदूक निकाल ली। दो दिन बाद दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन की अगुवाई करने वाला एक लड़का एसएसपी आवास की दीवार पर चढ़ गया। यहीं से गोरखपुर की राजनीति में एंग्री यंग मैन की धमाकेदार एंट्री होती है। जिसके तेवर लोगों को खूब पसंद आए। इस घटना के बाद इसी शख्स को आगे चलकर महंत अवैद्यनाथ का राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया गया। आप समझ ही गए होंगे हम किसी बात कर रहे हैं। 'गोरक्षपीठ' के महंत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की।
चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसत तिलक देत रघुबीर
जब संत शब्द सुनते हैं, तो दिमाग में ऐसे व्यक्ति का खाका खिंच जाता है जो दुनियादारी से दूर है। ‘कुछ लेना न देना मगन रहना’ वाली बात हो जिसमें। कबीर को संत कहते हैं लोग। कोई निर्मोही सा आदमी हुआ तो उसे कह देते हैं बड़ा संत आदमी है, किसी को कुछ नहीं कहता। जब जीवन में अपने लिए पाने का भाव खत्म हो जाता है, दूसरों के लिए काम करने का भाव जन्म लेता है। तब एक इंसान बनता है संत या फिर कहे योगी। ऐसा ही एक योगी यूपी का मुख्यमंत्री बना तो उसके हर कदम एक बड़े बदलाव की नींव रख रहा है।
योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गांव में हुआ। योगी आदित्यनाथ (तब अजय सिंह बिष्ट के नाम से जाने जाते थे) बचपन से ही बहुत कुशाग्र और कर्मठ स्वभाव के थे। बचपन में ही उनका मन अध्यात्म की ओर भी झुकने लगा था। योगी आदित्यनाथ ने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी किया है. साल 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान अजय सिंह बिष्ट (संन्यास ग्रहण करने के बाद उनका नाम योगी आदित्यनाथ पड़ा), गुरु गोरखनाथ पर शोध करने के लिए गोरखपुर आए और तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ के संपर्क में आए। महंत अवैद्यनाथ वक्त के साथ बूढ़े हो चुके थे और उन्हें अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक विरासत दोनों के उत्तराधिकारी की तलाश थी। ऐसा आदमी जो मठ भी संभाल ले और राजनीति के दांव-पेंच भी समझ ले। 1994 में अवैद्यनाथ की खोज पूरी हुई और उन्हें मठ का उत्तराधिकारी चुन लिया। साल 1994 में दीक्षा के बाद वह योगी आदित्यनाथ बन गए थे। योगी हिंदू युवा वाहिनी संगठन के संस्थापक भी हैं। 1998 के चुनाव में महंत अवैद्यनाथ ने भी योगी के नाम पर मुहर लगा दी। 1998 से लेकर मार्च 2017 तक योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद रहे और हर बार उनकी जीत का आंकड़ा बढ़ता ही गया। फिर आता है साल 2017 का वो दौर जब यूपी में नरेंद्र मोदी के नाम पर सवार बीजेपी की पतवार ने पूरे दम-खम से जीत सुनिश्चित की और 312 सीटें जीती। बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद गाजीपुर से सांसद रहे मनोज सिन्हा का नाम अचानक से सुर्खियों में आ गया और उनकी बायोग्राफी भी मीडिया में तैयार होने लगी साथ ही समीकरण भी पेश किए जाने लगे। मनोज सिन्हा दिल्ली से काशी विश्वनाथ के दर्शन करने पहुंचे और वहीं चार्टेड प्लेन का इंतजार करने लगे। दिल्ली में मौजूद केशव मौर्या के चेहरे की मुस्कान इस वक्त और खिलखिला उठी जब लखनऊ के एयरपोर्ट पर नारे लगे 'पूरा यूपी डोला था, केशव-केशव बोला था'। लेकिन तमाम तैरते नामों के बीच योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को यूपी की बागडोर संभाली। योगी उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का संकल्प लेकर उतरे। उत्तम प्रदेश यानी ऐसा प्रदेश जहां कानून व्यवस्था टाइट हो, महिलाओं और लड़कियों के साथ सड़कें सुरक्षित हों। रोजगार हो।
धर्म से बड़ी कोई राजनीति नहीं और राजनीति से बड़ा कोई धर्म नहीं। यूं तो ये बात लोहिया ने कही और लोहिया का नाम जपकर समाजवाद के नाम पर सत्ता चलाने वालों को जब यूपी के जनादेश ने मटियामेट कर दिया तो पहली बार किसी धार्मिक स्थल का प्रमुख किसी राज्य का सीएम बना। हिन्दुओं के आस्था के इस प्रमुख केंद्र यानी गोरक्ष पीठ के पीठाधेश्वर महंत आदित्यनाथ संन्यासी हैं लेकिन सत्ताधीश हैं, कठोर फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं लेकिन उनके साथ काम करने वाले लोग कहते हैं कि अंदर से उनका दिल बड़ा कोमल है। मुख्यमंत्री एक राज्य के हैं लेकिन पहचान एक राष्ट्रीय नेता की है। सालों में योगी ने बहुत तेजी से कड़े और बड़े फैसले लिए हैं।
कोरोना के खिलाफ यूपी मॉडल सबसे बेहतर
महाराष्ट्र के बाद अगर कोरोना ने किसी राज्य में तबाही मचाई तो वो उत्तर प्रदेश था। जहां हर रोज आंकड़े डरा रहे थे। शमशान की तस्वीरें रूंह कंपा रही थी। जब जब पूरा प्रदेश कोरोना के कहर से त्राहिमाम कर रहा था, सारी व्यवस्था ध्वस्त हो रही थी। तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद मोर्चा संभाला औऱ 30 अप्रैल से निकल पड़े प्रदेश का चप्पा-चप्पा नापने। सीएम योगी ने तीस दिन में 18 मंडल का दौरा कर 75 जिलों में महामारी से लड़ने की तैयारियों का खाका खींच दिया। आपदा में शायद ही किसी सीएम ने सूबे के हर जिले का ऐसा दौरा किया हो और जमीन पर जाकर महामारी का जायजा लिया हो। योगी सरकार ने कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति के साथ प्रदेशवासियों के जीवन और जीविका की सुरक्षा के लिए कई प्रबंध किए है। कोरोना की दूसरी लहर की बीच सीएम योगी सरकार के प्रयासों परिणाम भी काफी अच्छे देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश में एग्रेसिव टेस्टिंग की नीति के बाद भी नए केस लगातार कम हो रहे हैं, जबकि स्वस्थ होने वालों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। बीते माह 30 अप्रैल को प्रदेश में लगभग 03 लाख 10 हजार 783 कोरोना मरीज थे, जबकि लगातार प्रयासों से आज 32,578 एक्टिव केस ही हैं। 05 सप्ताह में एक्टिव केस में 89.5 फीसदी की कमी आई है, जबकि वर्तमान में रिकवरी दर 96.9 फीसदी हो गई है। बीते 24 घंटे में 5,626 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज भी हुए हैं। पॉजिटिविटी दर न्यूनतम होकर 0.4% ही रही।
तैयारियों का खींचा खाका
पिछले चार हफ्तों से मुख्यमंत्री लगातार फील्ड में ही नजर आ रहे हैं। कभी वो वाराणसी पहुंच जाते हैं तो कभी गोरखपुर पहुंच जाते हैं। बस्ती, सिद्धार्थनगर, मिर्जापुर हर जगह मुख्यमंत्री गए। इन जिलों में सैफई और अलीगढ़ जैसे जिले में भी शामिल रहे, जिन्हें बीजेपी के विरोधियों का गढ़ भी कहा जाता है। सीएम योगी ने मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई का भी दौरा किया और समाजवादियों के गढ़ कहे जाने वाले इटावा में भी इलाज की समुचित व्यवस्था करने के लिए अफसरों को निर्देश देते दिखें। इसके अलावा सीएम योगी अखिलेश के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ का भी दौरा किया।
सुचारु रूप से चल रही टीकाकरण की प्रक्रिया
कोविड टीकाकरण की प्रक्रिया प्रदेश में सुचारु रूप से चल रही है। 45 वर्ष से अधिक और 18-44 आयु वर्ग के लोगों को कोविड सुरक्षा कवर प्रदान करने में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। अब तक 01 करोड़ 82 लाख 32 हजार 326 कोविड वैक्सीन एडमिनिस्टर हुए हैं। प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों के लिए निःशुल्क कोविड टीकाकरण महाभियान जारी है। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इस महाभियान को सफल बनाएं। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अभिभावकों का कोविड टीकाकरण प्राथमिकता के साथ किया जाएगा। "अभिभावक स्पेशल टीकाकरण बूथ" के अधिकाधिक उपयोग के लिए लोगों को जागरूक किया जाए।
तेजी से चल रहा इन एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य
कोरोना महामारी के बीच जीवन और जीविका को सुनिश्चित करने के साथ-साथ विकास परियोजनाओं को भी गतिशील रखने के लिए सभी जरूरी प्रयास किए गए हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे निर्माण कार्य को तेजी से चल रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे जल्द ही यह जनता को समर्पित कर दिया जाएगा। वहीं देश के सबसे लंबे एक्सप्रेस-वे 'गंगा एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए लगभग 60 फीसदी भूमि अधिग्रहीत की जा चुकी है। भूमि अधिग्रहण का और कार्य तेज किया जाए। जुलाई तक इसके निर्माण हेतु निविदाएं आमंत्रित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की यूपी मॉडल की तारीफ
कोरोना महामारी के खिलफ क्या है यूपी मॉडल जिसकी चर्चा चारो ओर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने यूपी के गावों में कोरोना से निपटने पर ट्वीट करते हुए कहा कि भारत के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए राज्य के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में डोर-टू-डोर जाकर कोरोना के लक्षण वाले लोगों की रेपिड टेस्टिंग के साथ आइसोलेशन से लेकर कोरोना किट उपलब्ध कराने की पहल की है।
बॉम्बे हाई कोर्ट भी कर चुका है सराहना
बॉम्बे हाई कोर्ट ने की जिसने यूपी जिसने यूपी के हर बड़े शहरों में पीडियाट्रिक बेड बनाने के सरकार के फैसले की प्रशंसा करते हुए महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि महाराष्ट्र में भी यूपी सरकार की तरह पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट बनाने पर विचार क्यों नहीं किया जा रहा है।
भाजपा महामंत्री संगठन बीएल संतोष के ट्वीट से सीएम योगी के विरोधियों को झटका
उत्तर प्रदेश में पिछले दो हफ्ते से जिस तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के केंद्रीय नेताओँ की बैठकों का दौर चल रहा है। उससे यूपी की राजनीति में हलचल मची हुई है। सरकार और संगठन में बदलाव की संभावनाओँ के बीच दोनों स्तरों पर नेतृत्व परिवर्तन तक की चर्चा जोर-शोर से हो रही है। हालांकि जानकारों को इसके बावजूद किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं दिख रही है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष ने ट्वीट करके उत्तर प्रदेश में नेतृत्व बदलाव की अटकलों को निर्मूल साबित कर दिया है। इससे सीएम योगी आदित्यनाथ विरोधियों को तगड़ा झटका लगा है। लखनऊ के तीन दिवसीय दौरे की समाप्ति पर बीएल संतोष ने ट्वीट करके कोरोना संक्रमण से बचाव को टीकाकरण अभियान की सराहना की और बच्चों की बेहतर देखभाल होने की उम्मीद जतायी। बीएल संतोष ने इससे पहले भी ट्वीट करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कोरोना बचाव प्रबंधन की खुलकर प्रशंसा की थी। इतना ही नहीं महामंत्री संगठन ने कम जनसंख्या वाले दिल्ली राज्य में कोरोना बचाव का बेहतर प्रबंधन न होने पर केजरीवाल का बिना नाम लिए तंज भी किया था। बहरहाल, योगी आदित्यनाथ का सबसे मज़बूत पक्ष यह है कि उन पर व्यक्तिगत तौर पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है और न ही किसी अन्य तरह का कोई दूसरा व्यक्तिगत आक्षेप है। इस मज़बूत पक्ष के आगे छोटी-मोटी कोई कमज़ोरियां अगर हो भी तो वो दब जाती हैं।-अभिनय आकाश