उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी सरकार की इमेज को लेकर काफी सचेत हैं। वह नहीं चाहते हैं कि उनके मंत्री प्रदेश सेवा की बजाए जनता के बीच अपना रूतबा दिखाएं। योगी यह भी नहीं चाहते हैं कि किसी मंत्री के परिवार का कोई सदस्य या करीबी मंत्री के काम में हस्तक्षेप करे। मंत्रियों को साफ हिदायत दी गई है कि वह सरकार की छवि के साथ कोई खिलवाड़ नहीं करें। तात्पर्य यह है कि योगी संकेतों में अपने मंत्रियों को समझा रहे थे कि अगर उन्होंने मंत्री के तौर पर अपने कार्य के प्रति लापरवाही या नीति विरूद्ध कोई काम किया तो उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
गौरतलब है कि ऐसे ही आरोपों के चलते योगी ने अपने चार मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया था। धर्मपाल सिंह, अनुपमा और अर्चना से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी नाराज था और हरी झंडी मिलने के बाद ही इनके इस्तीफे की पृष्ठभूमि तैयार हुई। वहीं बात राजेश अग्रवाल की कि जाए तो भले ही उन्होंने 75 वर्ष से अधिक उम्र होने की वजह से इस्तीफा दिया, लेकिन राजेश अग्रवाल भी योगी की इच्छानुसार फैसले नहीं ले पा रहे थे।
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हटाए गए मंत्रियों के खिलाफ शिकायतों का अंबार लगा था और इनकी गूंज दिल्ली तक पहुंच चुकी थीं। सिंचाई विभाग में धर्मपाल सिंह और बेसिक शिक्षा विभाग में अनुपमा जायसवाल की ओर से किये जा रहे तबादलों को लेकर सवाल उठ रहे थे। इनके परिवारीजन भी कामकाज में हस्तक्षेप करते थे और विधायकों और कार्यकर्ताओं से लेकर अधिकारी भी इनकी शिकायत करते रहे। अर्चना पांडेय का तो स्टिंग ऑपरेशन भी हुआ था। खनन में भ्रष्टाचार की शिकायतें आ रही थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के तबादलों को तो निरस्त कर दिया। बीते दिनों योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलने दिल्ली गये थे तो उन्हें जानकारी दी थी। वहीं इनसे इस्तीफा लेने की सहमति बन गयी थी।
सूत्र बताते हैं कि 20 अगस्त को भाजपा प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने भाजपा मुख्यालय में धर्मपाल सिंह, अनुपमा जायसवाल और अर्चना पांडेय को तलब किया और उन्होंने दो टूक कहा कि आप लोगों को इस्तीफा देना है। बंसल ने इन मंत्रियों से नाराजगी भी जतायी। दोपहर बाद इनके इस्तीफे हो गये। शाम को योगी सरकार, भाजपा और आरएसएस की समन्वय बैठक में इनकी छुट्टी तय कर दी गयी। रात तक राज्यपाल के यहां औपचारिकता पूरी कर ली गयी।
बहरहाल, योगी ने एक तरफ अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को नैतिकता का पाठ पढ़ाया तो उन्हें कुछ हिदायतें भी दीं। मंत्रियों को ट्रांसफर−पोस्टिंग में भ्रष्टाचार से दूर रहने की नसीहत दी गई। योगी ने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते सार्वजनिक जीवन से जुड़े दायित्वों एवं कार्यों में परिवार का किसी भी स्तर पर हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। मंत्री निजी स्टाफ पर भी विशेष ध्यान देते हुए उनकी गतिविधियों पर भी नजर रखें।
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मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जनसेवा से बढ़कर धर्म और पुण्य का कोई कार्य नहीं है। प्रतिबद्धता और निष्ठा के साथ दायित्वों का निर्वहन करने से संतुष्टि मिलती है। सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता एवं ईमानदारी बेहद महत्वपूर्ण होती है। कार्यों को नीति एवं नियमों से संपादित किया जाए। समयबद्धता पर बल देते हुए योगी ने कहा कि फाइलों का निस्तारण तीन दिन में किया जाए। किसी भी स्थिति में पत्रावलियां लंबित न रहें। सभी मंत्री समय से अपने कार्यालय में उपस्थित रह कर जरूरी काम निपटाएं। हमारी कार्य संस्कृति सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और पारदर्शिता का उदाहरण बननी चाहिए।
योगी ने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता से संपर्क एवं संवाद कायम रखें। जनता की शिकायतों व समस्याओं के समाधान के लिए नियमित जनसुनवाई करें। आईजीआरएस तथा सीएम हेल्पलाइन की साप्ताहिक समीक्षा करें। समस्याओं के निस्तारण की प्रगति पर लगातार ध्यान दें। विभागीय कार्यों के साथ अपने प्रभार के जिले की प्रगति की निरंतर समीक्षा आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने मंत्रियों से अपेक्षा जताई कि जिले के भ्रमण के दौरान विकास योजनाओं का भौतिक सत्यापन करते हुए जनता से फीडबैक लें। जिले में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्रियों के कार्य व्यवहार और आचरण पर सभी की नजर रहती है। ऐसे में सादगी और शुचिता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए जहां तक संभव हो, सरकारी गेस्ट हाउस में रुकें। इस दौरान अनावश्यक लोगों की भीड़ न रहे। जिला प्रवास के दौरान जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक की जाए। जिले की प्रगति के संबंध में प्रत्येक माह रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
-अजय कुमार