By अनन्या मिश्रा | Nov 05, 2023
हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का व्रत काफी ज्यादा अहम माना जाता है। कहा जाता है कि जो भी महिला इस दिन पूरे श्रद्धाभाव से व्रत व अहोई माता का पूजन करती हैं। उसकी संतान पर हमेशा मां अहोई की कृपा बनी रहती है। महिलाएं अपनी संतान की खुशहाली और लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं।
करवाचौथ की तरह अहोई अष्टमी के दिन भी निर्जला व्रत किया जाता है। इसमें तारों का पूजन किया जाता है। इस साल आज यानी की 05 नवंबर को अहोई अष्टमी की व्रत किया जा रहा है। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी के दिन किस तरह से पूजा की जाती है।
अहोई अष्टमी 2023 पूजन सामग्री
अहोई अष्टमी के दिन पूजा की सामग्री पहले से तैयार कर लेनी चाहिए। पूजा की थाली में चूड़ियां, काजल, रोली, लाल वस्त्र, सिंदूर, बिंदी, माता की तस्वीर, कागज पर बनी हुई अहोई माता की फोटो जरूर रखनी चाहिए।
इसके साथ ही पूजा स्थान पर कई प्रकार के फल, कई प्रकार के फूल, कलावा,कलश, कच्चे चावल, मिठाई, गाय का घी, सिंघाड़ा, करवा, गाय का दूध, मिट्टी का दीपक और अहोई व्रत कथा की किताब भी रख लें।
इस दिन कुछ मीठा जरूर बनाना चाहिए और वही अहोई माता को भोग लगाना चाहिए। अहोई माता की पूजा में दूध या दूध ने बनी किसी भी चीज का सेवन नहीं किया जाता है और जल भी नहीं ग्रहण किया जाता है।
अहोई अष्टमी पूजा विधि
अपनी संतान की लंबी और सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं। वहीं जिन महिलाओं के संतान नहीं होती है, वह संतान की कामना से अहोई माता की पूजा करती हैं। यह व्रत काफी हद तक करवा चौथ के व्रत के समान है। जिस तरह से करवा चौथ में चांद की पूजा की जाती है। उसी तरह अहोई अष्टमी के व्रत में तारों की विशेष पूजा की जाती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिस तरह से महिलाएं पहली बार यह व्रत करती हैं, उसी तरह उन्हें हमेशा इस व्रत को करना चाहिए। दोपहर को अहोई अष्टमी के व्रत में कथा पढ़ी व सुनी जाती है। फिर शाम को तारों के निकलने के बाद घर के मंदिर में में चौकी स्थापित करें और उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी पर मां अहोई की प्रतिमा स्थापित करें और मिट्टी के करवा में पानी भरकर रखें। अब मां अहोई को तिलक कर विधि-विधान से पूजा करें और मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद तारों को अर्घ्य देकर व्रत पारण करें और बच्चों को प्रसाद खिलाएं।