By अभिनय आकाश | Jul 11, 2021
जनसंख्या को लेकर अक्सर कहा जाता है कि यह दो धारी तलवार है और बढ़ती हुई जनसंख्या दुनिया का सबसे बड़ा विरोधाभास है। जनसंख्या बढ़ने का अर्थ यह है कि एक इंसान ने मृत्यु को हराने की कोशिश की है लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि दुनिया के करीब 200 करोड़ लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता। इसलिए आज जनसंख्या और उसके प्रभावों पर बात करना बेहद जरूरी है। पूरे विश्व में लोगों द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई को मनाया जाता है जिसका मकसद जनसंख्या के मुद्दे की ओर लोगों को जागरूक करना होता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद के द्वारा वर्ष 1989 में इसकी पहली बार शुरुआत हुई। लोगों के हितों के कारण इस को आगे बढ़ाया गया था जबकि वैश्विक जनसंख्या 11 जुलाई 1987 में लगभग 5 अरब के आसपास हो गई थी। पचास साल पहले जब पहला जनसंख्या दिवस मनाया गया था तो पता है दुनिया की आबादी कितनी थी। 3 अरब 55 करोड़ जो आज 7 अरब साठ करोड़ यानी दोगुनी से भी ज्यादा है। सिर्फ बैंक में रखा पैसा ही इतनी तेजी से बढ़ता है और कुछ नहीं।
दुनिया की आबादी 7 अरब के पार, दूसरे नंबर पर भारत
दुनिया की आबादी की बात करें तो यह लगभग 750 करोड़ है। जनसंख्या के टॉप 3 देशों की बात करें तो यह पहले नंबर पर चीन है जिसकी आबादी 140 करोड़ के करीब है वही दूसरे नंबर पर भारत है जहां लगभग 129 करोड लोग रहते हैं। वहीं तीसरे नंबर पर अमेरिका है जहां करीब 32 करोड़ लोग रहते हैं।
बढ़ती जनसंख्या की दुश्वारियां
बढ़ती जनसंख्या की दुश्वारियां सिर चढ़कर बोलने लगी हैं। लोगों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। विकास कार्य सिकुड़ रहे हैं। रोटी कपड़ा और मकान की बुनियादी सुविधाओं की बात करना बेमानी हो गया है। भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। परिवार नियोजन के कमजोर तरीका शिक्षा स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के अभाव अंधविश्वास और विकास असंतुलन के चलते आबादी तेजी से बढ़ी है।
चीन से 12 साल में 8 फीसदी ज्यादा हो जाएगी भारत की जनसंख्या
जनसंख्या के मामले में अभी हम दूसरे नंबर पर हैं। हमसे आगे चीन है जिसकी जनसंख्या एक अरब 39 करोड़ है। लेकिन हम चीन को जल्द ही पछाड़ देंगे। अगर चीन इसी रफ्तार से घटता रहा और हम इसी रफ्तार से बढ़ते रहे। 12 साल में हम चीन की जनसंख्या से 8 फीसदी ज्यादा हो जाएंगे। 2050 में हमारी जनसंख्या चीन से 25 फीसदी ज्यादा हो जाएगी। ये आंकड़ें पॉपुलेशन रेफरेंस ब्यूरो से आए हैं। आज की तारीख में हजार लोगों में 20 बच्चें पैदा होते हैं और छह लोग मरते हैं। यूरोप में उल्टा होता है वहां जब 10 बच्चे पैदा होते हैं 11 सयाने चल बसते हैं। हमारे यहां तो बच्चा पैदा होता है तो बुजुर्ग चट से आशीर्वाद देते हैं जुग-जुग जियो। बहरहाल, जनसंख्या कोई लैंप की रोशनी तो है नहीं कि उसकी फ्लेम रेगुलेटर को घुमा कर कम कर दें। ये सूरज की ताप के समान है जिसे कम नहीं किया जा सकता। लेकिन जनसंख्या की ईकाई पर काम किया जा सकता है।
ये ईकाई क्या है?
हिन्दुस्तान उन सबसे पहले मुल्कों में था जिसने सबसे पहले जनसंख्या और परिवार नियोजन के लिए नीतियां बनाई। लेकिन वो बुरी तरह से फेल हुई। सही समय पर हम सेक्स, फैमली प्लानिंग और मेडिकल से जुड़े एजेकुशन नहीं देते। शादी होती है तो सबसे शाश्वत सवाल कि खुशखबरी कब सुना रहे हो। फिर बच्चों में भी सबको लड़की नहीं लड़का चाहिए। जनसंख्या बढ़ने के सबसे बड़े कारणों में से एक ये भी है।