चीन समझ नहीं रहा है, उसने दुनियाभर से बहुत बड़ी दुश्मनी मोल ले ली है

By सुरेश हिंदुस्थानी | Apr 30, 2020

एक कहावत है कि जो जैसा करता है, उसका परिणाम उसी को भोगना होता है। वर्तमान में जिस प्रकार से चीनी वायरस के प्रकोप से सारी दुनिया में कोहराम मचा है, उसके कारण विश्व के देशों में इस बात पर भी मंथन होने लगा है कि आखिर इस विकट और वैश्विक समस्या का उत्तरदायी कौन है? स्वाभाविक रूप से फिलहाल इसका सीधा दोष चीन के माथे पर है। आज विश्व के कई देशों द्वारा कहा जा रहा है कि चीन ने पूरे विश्व में विनाशकारी हालात पैदा किए हैं। इस कारण आज चीन के समक्ष जिस प्रकार की स्थितियां बन रही हैं, उससे निश्चित रूप से उसकी विश्वसनीयता पर बहुत बड़ा खतरा पैदा हो गया है। ऐसा माना जा रहा है कि भविष्य में चीन को इसके घातक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। विश्व की महाशक्तियों में से एक अमेरिका ने तो चीन को इस प्रकार की सीधे चेतावनी भी दे दी है। अमेरिका ही नहीं आज विश्व की बड़ी ताकत के रूप में स्थापित देशों में भी इस बात को लेकर मंथन प्रारंभ हो गया है कि भविष्य में चीन के साथ किस प्रकार के संबंध रखने हैं।

 

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यह सर्वविदित है कि चीनी वायरस चीन के सबसे मजबूत और समृद्ध शहर वुहान से फैला। इसलिए प्राथमिक तौर पर यही माना जा सकता है कि चीन इसके लिए वास्तविक दोषी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि जिस चीन ने अपने सामर्थ्य का नकारात्मक रूप विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया है, उसके भविष्य के सपनों पर भी ग्रहण लग सकता है। हम जानते हैं कि चीन विश्व के कई देशों को बाजार के रूप में इस्तेमाल कर अपनी स्वार्थ सिद्धि को साधता रहा है। जैसे ही चीनी वायरस का प्रभाव कम होगा, वैसे ही यह संभावना बनने लगी है कि कई देशों में चीन के माल की खपत बंद हो जाएगी। जिसका चीन की अर्थ व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, यह तय है। हो सकता है कि अभी चीन को यह बात समझ में नहीं आ रही होगी, लेकिन आने वाला समय चीन के लिए अत्यंत मुश्किल होगा, इसके संकेत मिलने लगे हैं।


वर्तमान में विश्व के बड़े देशों, जिसमें भारत भी शामिल है, पूरी तरह से लॉकडाउन चल रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं को छोड़कर देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से ही माल की आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंधित है। नकली वस्तुओं की आपूर्ति करने के मामले में चीन हमेशा आगे रहा है। महामारी में भी चीन ने एक बार फिर नकली चिकित्सा सामान थमाने का अमानवीय रूप प्रस्तुत किया है। भारत में भेजी गईं परीक्षण किट विपरीत परिणाम दे रही थीं, जिसके बाद भारत सरकार ने इन परीक्षण किट को वापस करने का फैसला लिया है। इससे एक बात प्रमाणित हो जाती है कि चीन कभी किसी देश का भला नहीं कर सकता। हालांकि एक सामान्य तर्क यह भी है कि जो देश इस बीमारी को फैला रहा है, वह इसके संक्रमण को रोकने में मदद नहीं कर सकता। चीन से इस प्रकार की उम्मीद करना भी बेमानी ही है।

 

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जहां एक ओर चीन चारों तरफ से अविश्वसनीयता के कठघरे में घिरता जा रहा है, वहीं भारत की भूमिका की कई देशों में सराहना हो रही है। अमेरिका सहित कई देशों ने भारत को महान देश बताया है। इतना ही नहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस महामारी के चलते कई देशों को इस बात का भरोसा दिलाया है कि भारत विश्व कल्याण के लिए हर देश का सहयोग करने के लिए तैयार है। ऐसी स्थिति में यह भी कहा जा सकता है कि एक महाशक्ति के रूप में भारत की स्वीकार्यता लगातार बढ़ती जा रही है।


वैश्विक दृष्टिकोण को देखते हुए यह स्पष्ट रूप से लगने लगा है, भविष्य में चीन को अपने द्वारा फैलाए गए वायरस की भारी कीमत चुकानी होगी। इसकी शुरूआत भी हो चुकी है। जापान ने अपनी सभी कंपनियों को चीन से वापस आने के आदेश दे दिए हैं। जिसके बाद यह संभावना भी हो गई है कि अन्य देश भी ऐसा करने के लिए बाध्य होंगे। हम जानते हैं कि इससे चीन की कमर पूरी तरह से टूट जाएगी और विश्व के किसी भी देश का समर्थन चीन को नहीं मिलेगा।


चीनी वायरस के चलते जिन देशों में ज्यादा खराब स्थिति है, उनमें अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, इटली सहित खुद चीन भी शामिल है। हालांकि चीन के बारे में यह लगभग स्पष्ट सा होता जा रहा कि चीन ने अपने यहां के वास्तविक आंकड़े छुपाकर वैश्विक अपराध किया है। जबकि ऐसा लगता है चीन में इस वायरस के बाद लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसा दावा इसलिए भी किया जा सकता है क्योंकि वहां एक साथ दो लाख से ज्यादा मोबाइल बन्द हो चुके हैं और उन मोबाइल का उपयोग करने वालों का कुछ भी पता नहीं है। ऐसा समझा जा रहा है कि यह सभी लोग इस वायरस की चपेट में आ गए हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि जिन 200 देशों में इसका व्यापक असर हुआ है, वह चीन के विरोध में खड़े होंगे ही।

 

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उल्लेखनीय है कि इनमें से अधिकांश देश लगभग या पूरी तरह से लॉकडाउन की स्थिति में हैं। जिससे कई देशों के समक्ष आर्थिक आपातकाल के हालात बनते जा रहे हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। कई परिवारों के सामने रोजी रोटी का भयावह संकट भी निर्मित हुआ है। इसके बाद भी भारत की स्थिति तुलनात्मक रूप से अन्य देशों से ठीक कही जा सकती है। 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले देश में सरकार के दिशानिर्देश का पालन बखूबी किया जा रहा है। यही भारत को मजबूती प्रदान कर रहा है। भारत के इन प्रयासों के चलते आज भारत की धाक भी बढ़ी है और इसी कारण विश्व का विश्वास भी बढ़ा है।


विश्व के देशों में कोरोना महामारी के बीच आज के भारत का जो स्वरूप दिख रहा है, वह निश्चित ही विश्वास के काबिल है। इससे यह भी लग रहा है कि विश्व के अनेक देश भारत के पक्ष में खुलकर आ सकते हैं और विश्व का मार्गदर्शन करने का निर्णय भी ले सकते हैं। कोराना की लड़ाई में जहां अमेरिका जैसा देश परास्त होता जा रहा है, वहां भारत का मजबूती के साथ खड़ा रहना उसकी इच्छा शक्ति का परिचायक है।


-सुरेश हिंदुस्थानी

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)


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