तमिलनाडु में है दुनिया का सबसे बड़ा चौथा मंदिर, नटराज मंदिर के इन तथ्यों को जानकर हो जाएंगे हैरान

By अनन्या मिश्रा | Feb 28, 2023

देवों के देव महादेव को सबसे जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान शिव के जितने नाम हैं, उतने ही स्वरूपों में उनकी पूजा की जाती है। आपको उनके विभिन्न स्वरूपों के खूबसूरत मंदिर भी मिल जाएंगे। भगवान शिव का एक ऐसा ही मंदिर है जो न सिर्फ अपनी सुंदरता बल्कि अपनी भव्यता के लिए भी काफी ज्यादा फेमस है। दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में अंगकोर वाट, दूसरे नंबर पर तमिलनाडु में स्थित सबसे बड़ा मंदिर श्रीरंगनाथ मंदिर और तीसरा सबसे बड़ा मंदिर दिल्ली का अक्षरधाम है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको दुनिया के चौथे सबसे बड़े मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जोकि तमिलनाडु के चिदम्बरम में स्थित थिल्लई नटराज का मंदिर है। यहां पर भगवान शिव के नटराज रूप के दर्शन होते हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी खास और रोचक तथ्य...


प्रतिमा का अलौकिक सौंदर्य

भगवान भोलेनाथ के नटराज मंदिर को चिदम्बरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। तमिलनाडु के चिदम्बरम में स्थित नटराज मंदिर भगवान भोलेनाथ के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में स्थापित भगवान शिव के नटराज स्वरूप प्रतिमा का अलौकिक सौंदर्य भक्तों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षिक करता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने इसी जगह पर अपने आनंद नृत्य की प्रस्तुति की थी। शिव के नटराज स्वरूप मूर्ति नटराज आभूषणों से लदी है।


शिव और वैष्णव भगवान का है स्थान

इस भव्य और अनोखे मंदिर का क्षेत्रफल 106,000 वर्ग मीटर होने के साथ ही मंदिर में लगे हर पत्थर पर भगवान भोलेनाथ के अनोखे स्वरूप को उकेरा गया है। भरतनाट्यम नृत्य की मुद्राएं हर जगह उकेरी गई हैं। बता दें कि इस मंदिर में 9 द्वार बने हैं। नटराज मंदिर के इसी भवन में पंदरीगावाल्ली और गोविंदराज का मंदिर भी बना है। यह मंदिर देश के उन मंदिरों में शुमार है, जहां पर भगवान भोलेनाथ और वैष्णव देवता एक ही स्थान पर विराजमान हैं।

इसे भी पढ़ें: भारत के इन मंदिरों में जाने से ही कांप जाती है लोगों की रूह, जानिए क्या है इनकी खासियत

शिव के नटराज स्वरूप के दर्शन 

भगवान भोलेनाथ के नटराज स्वरूप के दर्शन करने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। यहां पर आपको नटराज स्वरूप से जुड़ी तमाम अनोखी चीजें देखने को मिलेंगी। प्राचीन काल में बने इस मंदिर में भगवान नटराज के रथ के दर्शन भी होते हैं। कहा जाता है कि साल में सिर्फ 2 बार भी नटराजन इस रथ पर चढ़ते थे। यहां के कुछ प्रमुख त्योहारों में श्रद्धालु इस रथ को खींचते भी हैं। इस मंदिर में 5 बड़े सभागार बने हैं। बताया जाता है कि इन सभागारों में भगवान नटराजन अपने सहचरी के साथ एकांत के पल व्यतीत करते थे।


ऐसे मानी थी देवी पार्वती ने हार

इस मंदिर को लेकर कहावत प्रचलित है कि यह स्थान पहले भगवान श्री गोविंद राजास्वामी का था। एक बार भगवान शिव श्री गोविंद राजास्वामी से इसलिए मिलने आए थे कि वह भगवान भोलेनाथ और पार्वती के बीच नृत्य प्रतिस्पर्धा के निर्णायक बनें। इस बात को स्वीकारने के बाद भगवान शिव और देवी पार्वती में नृत्य प्रतिस्पर्धा हुई। काफी देर तक चली इस प्रतिस्पर्धा में जब कोई एक दूसरे को नहीं हरा पाया तो भगवान शिव ने श्री गोविंद राजास्वामी से विजय होने की युक्ति पूछी। तब श्री गोविंद राजास्वामी ने एक पैर से उठाई मुद्रा में नृतय किए जाने का संकेत किया। वहीं यह मुद्रा महिलाओं के लिए वर्जित थी। ऐसे में जैसे ही भगवान भोलेनाथ नृत्य की इस मुद्रा में आए तो देवी पार्वती ने हार मान ली। जिसके बाद ही भगवान भोलेनाथ को यहां पर नटराज स्वरूप में स्थापित किया गया था।


हैरान कर देंगे ये वैज्ञानिक फैक्ट

पश्चिमी वैज्ञानिकों ने 8 वर्षों के शोध के बाद पता लगाया कि भगवान नटराज का बड़ा पैर जिस स्थान पर स्थापित है, वह दुनिया के चुंबकीय भूमध्य रेखा का केंद्र बिंदु है। बता दें कि यह 11 डिग्री अक्षांश पर स्थित है। जिसका मतलब है कि आकाश की ओर केन्द्रापसारक बल निर्देशित है।


महत्व 

खुद को पृथ्वी के चुंबकीय प्रभावों से मुक्त करने के लिए एक आदर्श स्थान है। इस मंदिर को आध्यात्मिक रूप से देखने मात्र से कोई भी व्यक्ति स्वयं को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह स्थान हमारी ऊर्जाओं को ऊपर की ओर भी ले जा सकता है।


तत्व और सत्र 

चिदंबरम में स्थित नटराज मंदिर पंच भौत यानी 5 तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले 5 मंदिरों में से एक है। चिदंबरम आकाश (आकाश) श्रीकालहस्ती पवन (वायु) कांची एकम्बरेश्वर पृथ्वी को दर्शाता है। यह सभी 3 मंदिर 79 डिग्री 41 मिनट देशांतर पर एक सीधी रेखा में स्थित हैं।

प्रमुख खबरें

आईसीसी और बीसीसीआई अधिकारियों के साथ चैम्पियंस ट्रॉफी विवाद सुलझाने को कोई बैठक नहीं : PCB

भारतीयों को ब्रांड भारत बनाने के लिए पश्चिम के फरमानों पर ध्यान नहीं देना चाहिए: Sitharaman

केंद्रीय मंत्री Manohar Lal ने लेह में एनटीपीसी की हरित हाइड्रोजन बसों को हरी झंडी दिखाई

महाराष्ट्र में झूठ, छल और फरेब बुरी तरह हारा, PM Modi बोले- विकसित भारत का मजबूत हुआ संकल्प, झारखंड में करेंगे तेज विकास