By अनन्या मिश्रा | Apr 01, 2025
ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं होती है बल्कि यह एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन होती है। यह कंडीशन व्यक्ति के सामाजिक कौशल और संचार को प्रभावित कर सकती है। कई बार इससे पीड़ित व्यक्ति अपनी ही दुनिया में खोए रहते हैं और वह दुनिया को एक अनोखे नजरिए से देखते हैं। हर साल 02 अप्रैल को 'वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे' मनाया जाता है। इस दिन को मनाए जाने का मकसद ऑटिज्म से पीड़ित लोगों को समझना, उनको सपोर्ट देना और समाज में बराबरी का स्थान दिलाना है।
क्यों मनाया जाता है विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस
वर्तमान समय में भी लोगों को बहुत सारे लोगों को ऑटिज्म को लेकर सही जानकारी नहीं है। कई बार इसको लोग मानसिक बीमारी समझ लेते हैं। कई बार ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को समाज से समझकर अलग कर दिया जाता है।
उद्देश्य
इसको मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य ऑटिज्म के बारे में सही जानकारी देना है। लोगों को जागरुक किया जाता है कि ऑटिज्म से पीड़ित लोगों को भी अपनी तरह जीवन जी सकते हैं। इसका उद्देश्य समाज को समावेशी बनान है, जिससे कि हर कोई समानता और सम्मान के साथ जी सके।
बता दें कि 18 दिसंबर 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 'वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे' को ऑफिशियल तौर पर मान्यता दी। जिसके बाद हर साल 02 अप्रैल को इसे मनाने का फैसला लिया गया। पहली बार साल 2008 में वर्ल्ड ऑटिज्म डे मनाया गया था। तब से हर साल दुनियाभर में इस दिन को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
महत्व
वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस के मौके पर ऑटिज्म को लेकर फैली गलतफहमियों को दूर करने में सहायता करता है। इस दौरान ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों और बड़ों को समझाने के लिए और उनको आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया जाता है। वहीं कॉलेज और स्कूलों में इस विषय पर वर्कशॉप और सेमिनार किया जाता है।