महिला स्वामित्व वाले एमएसएमई को बिना गारंटी के मिलेगा 90 प्रतिशत तक कर्जः Manjhi

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 17, 2024

नयी दिल्ली । केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि महिलाओं की अगुवाई वाले सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को सीजीटीएमएसई योजना के तहत अब 90 प्रतिशत तक कर्ज बिना किसी गारंटी के ही मिल सकेगा। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री मांझी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सीजीटीएमएसई के निदेशक मंडल ने इस संबंध में नए दिशानिर्देशों को पिछले सप्ताह मंजूरी दी। इस निर्णय से महिलाओं की अगुवाई वाले 27 लाख एमएसएमई को लाभ मिलने की उम्मीद है। 


उन्होंने कहा कि यह महिला उद्यमियों के लिए बैंकों से किसी गारंटी के बगैर दिए जाने वाले कर्ज तक पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सूक्ष्म एवं लघु उद्यम ऋण गारंटी निधि ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) के निदेशक मंडल के फैसले से पहले महिला स्वामित्व वाली इकाइयां 85 प्रतिशत ऋण गारंटी कवरेज पाने की हकदार थीं। मांझी ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में अपने मंत्रालय की उपलब्धियों का ब्योरा देते हुए कहा कि ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ का एक साल पूरा होने पर 20 सितंबर को महाराष्ट्र के वर्धा में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी के भी शामिल होने की उम्मीद है।


 एमएसएमई मंत्री ने कहा कि 5.07 करोड़ एमएसएमई को अब संगठित रूप दिया जा चुका है। इससे 21 करोड़ नौकरियों का सृजन हुआ है। एमएसएमई मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत पिछले 100 दिनों में कई मंजूरियां दी गई हैं। इसके तहत 3,148 करोड़ रुपये के ऋण वितरण के साथ 26,426 नए सूक्ष्म उद्यम स्थापित किए गए हैं। इस कदम से 2.11 लाख से अधिक लोगों के लिए आय एवं रोजगार उत्पन्न होने और ग्रामीण एवं शहरी उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। 


मांझी ने कहा कि एमएसएमई मंत्रालय 2,800 करोड़ रुपये के निवेश से नागपुर, पुणे और बोकारो सहित देश भर में 14 प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा, ‘‘ये केंद्र सार्वजनिक-निजी भागीदारी में स्थापित किए जाएंगे और स्थानीय एमएसएमई को उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकियों, कौशल विकास व व्यापार सलाहकार सेवाओं तक पहुंच प्रदान करेंगे।’’ मंत्रालय ने कहा कि प्रौद्योगिकी केंद्रों के गठन से एक लाख एमएसएमई की पहुंच प्रौद्योगिकी तक बन पाएगी और अगले पांच वर्षों में तीन लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।

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