By नीरज कुमार दुबे | Dec 15, 2022
तवांग की घटना पर विपक्ष संसद में चर्चा चाह रहा है। सरकार इस मुद्दे पर संसद में बयान जारी कर चुकी है। सेना का भी बयान आ चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि सरहद पर जो कुछ भी हुआ उस पर संसद में चर्चा ज्यादा जरूरी है या फिर सरहद पर दुश्मन का इलाज करना ज्यादा जरूरी है? इस संबंध में जब प्रभासाक्षी ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी से बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे यह समझ नहीं आता कि जब कुछ हो जाता है तभी उस पर चर्चा क्यों नहीं होती। चीन से खतरे को देखते हुए उस पर क्यों हर सत्र में पहले ही चर्चा नहीं होती? उन्होंने कहा कि सरहद पर यह सेना ही तय कर सकती है कि कब और कैसे जवाब देना है।
उन्होंने कहा कि वैसे भी रक्षा-सुरक्षा से जुड़े कुछ विषय ऐसे होते हैं जिन पर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जा सकती। त्रिपाठी ने कहा कि पहले की सरकारों ने सिर्फ चर्चा की लेकिन काम नहीं किया आज की सरकार काम करके दिखाने में ज्यादा विश्वास करती है।