By अभिनय आकाश | Jul 21, 2021
अगर मैं आपसे कहूं कि विकिपीडिया अपनी वेबसाइट के जरिये जो जानकारी देती है वो सारी की सारी झूठी है तो आप चौंकेंगे क्या? आप चौकेंगे कि जब मैं आपको बताऊं कि विकिपीडिया वामपंथी सोच का अड्डा है। आप चौकेंगे क्या अगर मैं आपसे कहूं की विकिपीडिया के डोनेशन वाली मांग में अपना कंट्रीब्यूशन देकर आप भारत के खिलाफ चल रहे कल्चर वॉर के फंडर बन जाएंगे। दरअसल, खुद विकिपिडिया के को-फाउंडर लैरी सैंगर ने ही विकिपीडिया को झूठी वेबसाइट बताया है। उन्होंने इसे वामपंथी सोच का अड्डा कहा है। वैसे तो इससे पहले भी भारत में कई बार विकिपीडिया पर हिंदू विरोधी होने के आरोप लग चुके हैं। फिलहाल इस बार क्या है पूरा मामला और खुद क्यों विकिपिडिया के को फाउंडर ही इसपर आरोप लगाया रहे हैं। आज के इस विश्लेषण में इसकी बात करेंगे। साथ ही आपको इसके डोनेशन वाली मांग के पीछे के सच से भी रूबरू करवाएंगे।
क्या है विकिपीडिया?
wikipedia नाम तो सुना ही होगा। इंटरनेट पर थोड़ा बहुत भी पढ़ने लिखने का शौक है। तो इस्तेमाल भी जरूर किया होगा। दुनियाभर की जानकारी यहां मिलती है। पंचमहाभूत से लेकर थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी तक, आम से लेकर आवाम तक सबके बारे में यहां जानकारी मिलती है। जिमी वेल्स और लैरी सैंगर ने 15 जनवरी को विकिपीडिया को शुरू किया था। शुरुआत में विकीपीडिया सिर्फ अंग्रेजी भाषा में लॉन्च किया गया। लेकिन वर्तमान में ये 300 से ज्यादा भाषाओं में है। 2003 में इसे हिंदी में लॉन्च किया गया था। विकिपीडिया में एक पेज इस बात पर भी है कि विकिपीडिया रिलाइबल सोर्स नहीं है। इसमें बताया गया है कि कोई भी इसे एडिट कर सकता है।
विकिपीडिया के को-फाउंडर
विकिपीडिया के सह-संस्थापक लैरी सैंगर ने कहा है कि लोगों को विकिपीडिया पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं करना चाहिए। ये सैंगर ही हैं जिन्होंने साल 2001 में जिमी वेल्स के साथ मिलकर विकिपीडिया की शुरुआत की थी। लेकिन अब उनका कहना है कि इस पर डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थकों और वामपंथियों ने कब्जा कर लिया है। उनके अनुसार साइट पर वामपंथी एडिटर विकिपीडिया यूजर्स को पेज एडिट तक नहीं करने देते और उस हर जानकारी को डिलीट कर देते हैं जो उनके एजेंडे पर फिट नहीं बैठती। लैरी का कहना है कि विकिपीडिया पर फैक्ट्स नहीं दिखाया जाता बल्कि एक एजेंडे के तहत चीजें पेश कर लोगों की सोच को प्रभावित किया जाता है। लेकिन वेबसाइट चलाने के तरीके को लेकर सह संस्थापक जिमी वेल्स के साथ पैदा हुए मतभेदों के कारण उन्होंने विकिपीडिया को छोड़ दिया था। अनहर्ड को दिए एक इंटरव्यू में सैंगर ने उदाहरण देते हुए समझाया कि अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के वॉलेंटियर्स वो कंटेंट हटा देते हैं जो उनकी सोच से मेल नहीं खाते हैं। इसमें प्रेंजीडेंट जो बाइडन और उनके बेटे हंटर बाइडन से जुड़े स्कैंडल भी शामिल हैं। उन्होंने ये भी कहा कि कुछ वामपंथी गुटों ने इस पर कब्जा कर रखा है और जो जानकारी उनके एजेंडे को शूट नहीं करती वो उन्हें तुरंत डिलीट कर देते हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के पेज में बताया कि उसमें रिपब्लिकन पार्टी के वॉलेंटियर्स की बाइडेन के प्रति सोच के बारे में कुछ नहीं मिलेगा। विकिपीडिया पर जो बाइडेन पर लिखे गए आर्टिकल में केवल एक ऐसा पक्ष है जिसमें सारी बातें बाइडेन के पाले में झुकी हुई हैं और रिपब्लिकन पार्टी को नेगेटिव शेड में प्रस्तुत करती नजर आएंगी। बता दें कि अमेरिका में वामपंथी विचारधारा के लोग डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रति झुकाव रखते हैं। राइट विंग के लोग डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के प्रति झुकाव रखते हैं। लैरी के मुताबिक विकिपीडिया अब पहले जैसा नहीं रह गया है। विकिपीडिया के पक्षपाती रवैए पर सैंगर कहते हैं कि ऐसे कई लोग हैं जो ऐसे आर्टिकल्स को न्यूट्रल बना सकते हैं, लेकिन उन्हें लिखने नहीं दिया जाएगा। विकिपीडिया ने अपने न्यूटरल नेचर को 2009 में खो दिया था। उससे पहले हर विचारधारा के लोग वहाँ एडिटर थे। सैंगर ने बताया कि कैसे साइट ने डेली मेल और फॉक्स न्यूज को ब्लैकलिस्ट किया है ताकि उनकी सामग्री विकिपीडिया पर न छप सके। विकिपीडिया गूगल रिजल्ट्स में सबसे पहले आता है। इसलिए इस पर पक्षपाती सूचनाएं नहीं रहनी चाहिए।
पत्रकार ने किया था बड़ा खुलासा
सौम्यदिप्त बनर्जी नाम के पत्रकार ने एक रिसर्च की और इस दौरान एक एजेंसी के माध्यम से विकिपीडिया के कॉटैक्ट सोर्स से संपर्क किया। सौम्यादिप्त ने बताया कि कैसे वह एक अपेक्षाकृत अनजान अभिनेत्री की पीआर (जनसंपर्क) एजेंसी के रूप में खुद को प्रस्तुत करके एक 'एजेंसी' के संपर्क में आया। जिसके बाद उन्हें भुगतान विवरण के साथ पृष्ठ के लिए आवश्यक संपादनों के संबंध में 'एजेंसी' निर्देश ईमेल मिले। इस दौरान पता चला कि आप दस हजार रुपए देते हो तो हर महीने वो आपका पेज मैनेज करेंगे और किसी भी तरह से वेंडलाइज करने से प्रोटेक्ट करते हैं। पैसा जो एजेंसी के माध्यम से आता है उसमें उसका कट 20 प्रतिशत होता है। जो यंग रिक्रूट्स होते हैं उन्हें 10 प्रतिशत, उसके ऊपर वाले को 15 प्रतिशत और उसके ऊपर वाले को 20 प्रतिशत फिर बाकी टॉप के मॉडरेटर्स को मिलता है। लगभग 50 भारतीय संपादकों का एक गिरोह संपादकों की श्रृंखला में शीर्ष पर है और विकिपीडिया पर उनका पूरा नियंत्रण है। विकिपीडिया संपादकों के 'व्यवसाय' में अपनी जांच को जोड़ते हुए, सौम्यादिप्त कहते हैं कि दो महीने तक, वे बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप फिल्म को सेमी-हिट में बदलने और अस्पष्ट पुरस्कारों जैसे अनुकूल संपादन जोड़ते रहे। हर बार शीर्ष संपादकों ने संपादनों को मंजूरी दी और उन्हें कभी भी रिवर्स नहीं किया गया। सौम्यादिप्त का कहना है कि शीर्ष विकिपीडिया संपादक 'सलाहकार' के रूप में प्रति माह 5 लाख रुपये तक कमा सकता है। सिवाय, वे किसी भी दस्तावेज़ पर विकिपीडिया का उल्लेख नहीं करते हैं। यह बताते हुए कि वामपंथी 'संपादक' पेजों को कैसे बदनाम करते हैं, सौम्यादिप्त बताते हैं कि व्यक्तियों के लिए, वे उनकी खामियों को हाइलाइट करते हैं। उदाहरण के लिए, केवल एक समाचार पत्र की रिपोर्ट का हवाला देकर उसके खिलाफ लगाए गए एक असत्यापित आरोप के लिए एक अलग अनुभाग बनाएं। लेकिन दूसरों के लिए, वे इसे अनदेखा कर देंगे। पत्रकार सौम्यादिप्त ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए बताया कि विकिपीडिया व्यवस्थापक "न्यूज़लिंगर" ने उन्हें 'ऑफ़लाइन उत्पीड़न' के लिए मंच से स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया।
विकिपीडिया पर पहले भी उठ चुके हैं सवाल
विकिपीडिया का डोनेशन वाला प्लान
विकीपीडिया पेज पर हर सर्च के साथ डोनेशन का संदेश सामने आ रहा है। इस संदेश के मुताबिक विकीपीडिया ने आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहने के लिए लोगों से दान की अपील की है। संदेश के साथ ही भुगतान के लिए विकल्प भी दिए गए हैं। विकीपीडिया के मुताबिक वो इस प्रोजेक्ट का व्यवसायीकरण नहीं करना चाहती, क्योंकि इससे दुनिया भर को काफी नुकसान होगा। यानि विकीपीडिया के मुताबिक वो विज्ञापनों की जगह लोगों के सहयोग से आगे बढ़ेगी। विकीपीडिया ने लोगों से 150 रुपये या उससे ज्यादा की रकम मांगी है। विकिपीडिया पेज पर भारत में ही सबसे ज्यादा ट्रैफिक आता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2019 में भारत से 700 मिलियन व्यूज प्राप्त हुए। एनालिटिक्स टूल सिमिलरवेब के अनुसार, विकिपीडिया भारत में सबसे अधिक देखी जाने वाली वेबसाइटों में 14 वें स्थान पर है।
क्या विकिपीडिया को वास्तव में रीडर्स से डोनेशन की आवश्यकता है?
जब दान का अनुरोध करने वाले बैनर कंप्यूटर और स्मार्टफोन स्क्रीन पर दिखने लगे, तो कुछ उपयोगकर्ताओं को डर था कि ऑनलाइन इनसाइक्लोपीडिया दिवालिया होने के कगार पर है। हालांकि इसकी बैलेंसशीट कुछ और ही कहानी बयां करती है। फंड रेज करने वाले विकी पेज के आंकड़ों के अनुसार वेबसाइट 2018-2019 के बीच 28,653,256 डॉलर जुटाने में सक्षम थी, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में, इसने 21,619,373 डॉलर की कमाई की। ये 2003 में दान के माध्यम से अर्जित 56,666 डॉलर से एक उल्लेखनीय वृद्धि है। पिछले कुछ वर्षों में, धन उगाहने वाले अभियानों और उदार कॉर्पोरेट बंदोबस्ती के माध्यम से, विकिपीडिया की संपत्ति में तेजी से वृद्धि हुई है। विकिमीडिया फाउंडेशन द्वारा 2019 में साझा की गई एक विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार, इसके वार्षिक वित्तीय लाभ का लगभग 49% वेबसाइट के प्रत्यक्ष समर्थन के रूप में खर्च किया गया था; 32% का उपयोग वॉलिटियर्स के अपने नेटवर्क के लिए प्रशिक्षण, उपकरण, आयोजनों और भागीदारी के लिए किया गया था; 13% अपने स्टाफ सदस्यों की भर्ती और भुगतान करने के लिए खर्च किया गया था; और शेष 12% का उपयोग इसके विभिन्न फंड रेज करने की पहल के लिए किया गया था।
वामपंथी लॉबी ने किया विकिपीडिया को टेक ओवर
भारत के खिलाफ एक बहुत ही बड़ा कल्चर वॉर चल रहा है। विश्व के कई सारे अलग मंच है, पहले कि लड़ाई होती थी कि आपने शिक्षिण संस्थाों को वामपंथी विचारधारा ने टेक ओवर कर लिया। फिर मीडिया को टेक ओवर कर लिया। लेकिन अब इससे काम चलता नहीं है क्योंकि नई पीढ़ी इंटरनेट के ऊपर है। विकिपीडिया तो एक टेक्नोलॉजी है लेकिन इसको इस्तेमाल करने वाले लोगों की लॉबी पूरी की पूरी लेफ्टिस्ट है। विकिपीडिया के एडवाइजरी बोर्ड की सूची में मेलिसा हेगमन का नाम शामिल है। मेलिसा जिस प्रोजक्ट को संभालती हैं उसका नाम है ओपन एक्सिस एनिसेएटिव। इस प्रोजेक्ट को चलाने वाली संस्था का नाम ओपन सोसाइटी इंस्टीट्यूट है। इस बोर्ड में एक और नाम है एथन जकरवर्ग का और वो भी मेलिसा हेजमैन के साथ ओपन सोसाइटी इंस्टीट्यूट के सूचना कार्यक्रम में काम करते हैं। ये जॉर्ज सोरोस की संस्था है। वही जॉर्ज सोरोस जिसने भारत को हिंदू राष्ट्र बनने की ओर बढ़ता हुआ बताया था। जॉर्ज सोरोस ने वर्ष 2020 ने मोदी सरकार को भारत के लिए खतरा बताया था। जॉर्ज सोरोस की संस्था भारत में कई वामपंथी मीडिया संस्थानों को फंड देती है। -अभिनय आकाश