By अजय कुमार | Aug 16, 2019
उत्तर प्रदेश की तमाम जेलों में जम्मू−कश्मीर से बड़ी संख्या में कैदी लाकर यहां शिफ्ट किए जा रहे हैं। इससे यूपी की जेलों में हलचल बढ़ गई है। मोदी सरकार द्वारा 05 अगस्त को जम्मू−कश्मीर से धारा 370 और 35ए के हटाये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जो सबसे पहला और बड़ा कदम उठाया गया है, उसके तहत जम्मू−कश्मीर की जेलों में बंद आतंकवादियों और अलगाववादियों वहां से सैंकड़ों किलोमीटर दूर यूपी की जेलों में भेजा गया है। इसके साथ ही इन लोगों के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। यहां इन अलगाववादियों और आतंकवादियों को किसी तरह की सहुलियत नहीं मिलेंगी। जम्मू−कश्मीर से आए कैदियों को हुए कुछ ही दिन हुए हैं और यह लोग जेल प्रशासन से रहम की भीख मांगने लगे हैं। किसी का ब्लड प्रेशर कम हो रहा है तो किसी को इस बात का दुख सता रहा है कि क्यों उसने दूसरों के कहने पर पत्थरबाजी की। कई इसलिए दुखी हैं कि उनका परिवार से सम्पर्क नहीं हो पा रहा है। कश्मीर से आए ऐसे कैदियों की भी कमी नहीं है जो उन नेताओं से बात करना चाहते हैं जिनके इशारे पर वह काम किया करते थे।
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गौरतलब है कि जम्मू−कश्मीर के केन्द्र शासित प्रदेश बनते ही मोदी सरकार ने वहां की सुरक्षा के लिए जो सबसे बड़ा कदम उठाया, उसके तहत मोदी सरकार कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवादियों को जड़ से समाप्त कर देना चाहती है। जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश घोषित करने के साथ ही अनुच्छेद 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने वहां की जेलों में पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (पीएसए) और अन्य धाराओं में बंद सौ से अधिक कैदी पत्थरबाज व आतंकियों को उत्तर प्रदेश की विभिनन जेलों में ट्रांसफर किया है। यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (पीएसए) और अन्य धाराओं में बंद दहशतगर्दों को वायुसेना के विमानों से आगरा, बरेली, लखनऊ व प्रयागराज लाया गया है। इन कैदियों के आते ही योगी सरकार एलर्ट हो गई है। उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद इन कैदियों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। तमाम जेलों में सुरक्षा चाक−चौबंद की जा रही है। आगरा में कश्मीर से कैदियों के आने से पहले अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार ने जेल की सुरक्षा की जांच पड़ताल की। इन सभी कैदियों की सुरक्षा को और सख्त करने का निर्देश दिया गया। कश्मीरी बंदियों के यूपी की जेलों में शिफ्ट होने व हाई अलर्ट के बाद प्रदेश का खुफिया विभाग पूरी तरह सक्रिय हो गया है। एलआइयू, आइबी, एटीएस कें साथ मिलिट्री इंटेलीजेंस भी अलर्ट पर है।
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सूत्र बताते हैं कि यूपी की जेलों में कश्मीर से भेजे गए कैदी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां हालात बिगाड़ने के लिए तानाबाना बुन रहे थे। इसीलिए मोदी सरकार ने आनन−फानन में बड़ा फैसला किया और जम्मू−कश्मीर की जेल में बंद बंदियों को वहां से सैंकड़ों किमी दूर यूपी की जेलों में भेज दिया गया। प्रदेश की आगरा, बरेली, लखनऊ व प्रयागराज में जम्मू-कश्मीर की विभिन्न जेलों में बंद सौ से अधिक कैदियों को शिफ्ट किया गया है।
11 अगस्त को प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में दो दर्जन से अधिक कैदियों को कड़ी सुरक्षा में शिफ्ट किया गया। इन सभी को वायुसेना के विशेष विमान से बमरौली एयरपोर्ट पर लाया गया। इसके बाद कड़ी सुरक्षा में नैनी सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया। नैनी सेंट्रल जेल में शिफ्टिंग के दौरान जिलाधिकारी और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी तथा कई थानों की फोर्स जेल के बाहर मुस्तैदी से डटी रही थी।
इससे एक दिन पूर्व 10 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से दो दर्जन कैदियों को लखनऊ जिला जेल में शिफ्ट किया गया। सुरक्षा के मद्देनजर इन कैदियों की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है। हाई सिक्योरिटी बैरक में शिफ्ट इन कैदियों में पत्थरबाज, अलगाववादी नेता और आतंकी हैं। लखनऊ जेल में आतंकियों की शिफ्टिंग के पहले जिलाधिकारी और एसएसपी ने जेल का निरीक्षण कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था। बैरक के साथ जेल परिसर में सुरक्षा के मद्देनजर ड्यूटी प्वाइंट चिन्हित कर जवानों की तैनाती भी कराई। जेल परिसर समेत आस−पास के इलाके में अत्याधुनिक शस्त्रों से लैस अर्ध सैनिक बल बड़ी संख्या में तैनात कर दिया गया है। सुरक्षा कर्मी इन पर कड़ी नजरें रखे हैं। इसके साथ ही सीसीटीवी कैमरे से पल−पल हाई सिक्योरिटी बैरक की निगरानी की जा रही है। जैमर मजबूत कर दिया गया है ताकि कोई कैदी बाहरी दुनिया में किसी से सम्पर्क नहीं स्थापित कर सके।
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गौरतलब है कि जम्मू−कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटने के बाद ही यह संभव हो पाया है कि वहां बंद अलगाववादियों−पत्थरबाजों को दूसरे राज्यों में शिफ्ट किया जा सके। वर्ना ऐसा संभव ही नहीं था। कश्मीर से तमाम जेलों में लाए गए अलगाववादी जेल प्रशासन से परिवार और नेताओं से बात कराने के लिए हाथ पैर जोड़ रहे हैं। यह कैदी गुहार लगा रहे हैं कि साहब, हमारी मदद करो। अल्लाह आपकी मदद करेगा। फोन कर हमारे नेता से हमारी बात करा दो। हमारी दुआएं आपको लगेंगी। हमारे परिवार के लोग परेशान हैं। अचानक एक जगह से दूसरी आ जाने से कैदी परेशान हैं। जेल में पहली रातें कुछ कैदियों ने करवटें बदल कर तो कुछ बैरक में टहल कर गुजारीं। ज्यादातर रात भर जागते रहे। कश्मीर और यूपी का मौसम भी काफी अलग है, इसकी वजह ये सभी कश्मीर से आए कैदी परेशान हैं। यहां की गर्मी यह लोग बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। खानपान भी यहां की जेलों का बिल्कुल अलग है। मगर इनको अपने करमों की सजा तो भुगतनी ही होगी।
-अजय कुमार