By अभिनय आकाश | Nov 14, 2024
जब कभी भी दुनिया के सबसे अमीर शख्स की चर्चा होती है। अपने आप ही जुंबा पर एलन मस्क का नाम झट से आ जाता है। आए भी क्यों न उनकी 30 हजार 810 करोड़ डॉलर की संपत्ति के भारी भरकम आंकड़े इसकी तस्दीक जो कराते हैं। दुनिया के सबसे अमीर शख्स के पास दौलत का पहाड़ है। लेकिन उनकी लाइफस्टाइल देखकर आप दंग रह जाएंगे। इतनी संपत्ति अरबपति एलन मस्क के पास है। दुनिया के सबसे बड़ा बिजनेसमैन जिसने अकेले अपने ही दम पर अमेरिका चुनाव पलटकर रख दिया। डोनाल्ड ट्रंप की सबसे बड़ी जीत का श्रेय एलन मस्क को ही एक्सपर्ट्स दे रहे हैं। उन्होंने ट्रंप का सिर्फ समर्थन ही नहीं किया बल्कि ट्रंप के प्रचार में लगभग सात करोड़ डॉलर खर्च भी किए। उन्हीं एलन मस्क को डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे बड़ा तोहफा दे दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क को एक ऐसी ताकत दी है, जिसके इस्तेमाल से वो अमेरिका के पूरे सिस्टम को अपने कंट्रोल में ले सकते हैं। सिस्टम को कंट्रोल करने का मतलब एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े बड़े बदलावों को लेने का फैसला लेना। अमेरिका के चुनाव में खुलकर ट्रंप का समर्थन करने वाले मस्क को ट्रम्प के नए प्रशासन में नवगठित 'सरकारी दक्षता विभाग' (डीओजीई) का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया है। मस्क अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लगातार "मुखर" रहे हैं, कई वैश्विक नेताओं और उनकी राजनीति के खिलाफ सीधे तौर पर निशाना साधते रहे हैं। कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो से लेकर जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ तक, टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ कुछ नेताओं और उनकी नीतियों की मुखर होकर आलोचना की है।
इटली के जजों की लगाई क्लास
दुनिया के सबसे अमीर शख्स ने इटली के जजों की आलोचना की है। मस्क ने कहा कि जजों को प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के अवैध अप्रवासियों को देश से बाहर निकालने के कदम का विरोध नहीं करना चाहिए। मस्क ने कहा कि सरकार की ओर से प्रवासियों के खिलाफ उठाए गए कदम को रोकने वाले रोम के जजों को बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए। इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी की योजना थी कि 30 हजार प्रवासियों को अल्बानिया के शिविरों में रखा जाए। अल्बानियाई सुविधाओं में 30,000 प्रवासियों को हिरासत में लेने की इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की योजना को चुनौती दी गई थी। यह विवाद तब उभरा जब रोम की एक अदालत ने उन सात प्रवासियों को हिरासत में लेने से इनकार कर दिया, जिन्हें समुद्र से बचाया गया था और जिन्हें अल्बानिया स्थानांतरित किया जाना था। इसके बजाय, लोगों को प्रसंस्करण के लिए इटली भेजा गया, यह दूसरी बार है जब इतालवी न्यायाधीशों ने अल्बानिया में प्रवासियों को निर्वासित करने के प्रयासों को अवरुद्ध कर दिया है। दक्षिणपंथी ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी के नेतृत्व वाली मेलोनी की सरकार ने न्यायपालिका के फैसले की आलोचना की और राजनीतिक मजिस्ट्रेटों पर इटली की सीमाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया। पूरे मामले पर एलन मस्क का रिएक्शन भी सामने आया। एलन मस्क ने एक्स पर लिखा कि इन जजों को जाना होगा। वे रोम के मजिस्ट्रेटों के एक पैनल का जिक्र कर रहे थे, जिन्होंने अल्बानिया में शरण चाहने वालों को हिरासत में लेने की सरकारी पहल की वैधता पर सवाल उठाया था। बता दें कि इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के अच्छे दोस्त हैं। कई बार दोनों के एक-दूसरे संग डेट करने की अफवाह भी उड़ी है।
जर्मनी के चांसलर को बताया मूर्ख
एक तरफ डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीता। लेकिन ठीक उससी वक्त यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था उस समय राजनीतिक उथल-पुथल में घिर गई जब महीनों की अंदरूनी कलह के बाद स्कोल्ज़ का तीन-पक्षीय गठबंधन टूट गया। गठबंधन सहयोगियों के बीच महीनों के विवादों के बाद गठबंधन सरकार गिरने के बाद एलन मस्क ने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ का मजाक उड़ाया और उन्हें मूर्ख बताया। दरअसल, रूस-यूक्रेन जंग को लेकर जर्मनी की इकोनॉमी गड़बड़ा गई है। जर्मनी की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार अल्पमत में आ गई। सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी), ग्रीन्स और फ्री डेमोक्रैट्स (एफडीपी) के गठबंधन के बीच विवाद तब और साफ हो गया, जब चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर को बर्खास्त कर दिया। उनके इस फैसले से बाकी उदारवादी नाराज हो गए और कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। जर्मनी, अमेरिका के बाद यूक्रेन की सबसे ज्यादा आर्थिक मदद कर रहा है। जर्मन इकोनॉमी को ठीक करने के लिए चांसलर वित्तीय संस्थाओं से ज्यादा कर्ज लेना चाहते थे, लेकिन वित्त मंत्री इसका विरोध कर रहे थे। वे खर्च में कटौती पर जोर दे रहे थे। जब वित्त मंत्री ने कर्ज लेने की अनुमति नहीं दी तो चांसलर शॉल्ज ने उन्हें बाहर निकाल दिया। इस घटना के बाद मस्क ने एक्स पर लिखा ओलाफ इस्ट ईन नार, जिसका अर्थ है ओलाफ मूर्ख है।
ट्रूडो की उलटी गिनती क्या शुरू हो गई है?
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को लेकर दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन एलन मस्क ने एक बड़ी भविष्यवाणी की है। मस्क का ये पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। जिसके बाद से ये चर्चा तेज हो गई है कि जस्टिन ट्रूडो की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और अगले चुनाव में उनका जाना तय है। कनाडा के पीएम को लेकर बड़ा बयान ऐसे शख्स ने दिया है जो दुनिया का सबसे बड़ा बिजनेसमैन है। जिसके अकेले अपने ही दम पर अमेरिका चुनाव पलटकर रख दिया। वो 21 लाख करोड़ के मालिक एलन मस्क हैं। मस्क ने ट्रूडो को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है और बताया है कि ट्रूडो के राज करने के दिन खत्म हो चुके हैं। दरअसल, ये सब एक यूजर के उस पोस्ट से शुरू हुआ जिसमें टेस्ला सीईओ मस्क से मदद मांगते हुए शख्स ने कनाडा के पीएम ट्रूडो से निजात दिलाने की बात कही। इसके बाद इस पर एलन मस्क का जवाब बेहद ही दिलचस्प रहा। एलन मस्क ने उस यूजर को रिप्लाई देते हुए लिखा कि ट्रूडो अगले इलेक्शन में जाने वाले हैं। मस्क के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहुत चर्चा की जा रही है। क्या ट्रंप की तरह मस्क की कनाडा को लेकर भविष्यवाणी भी सच होने वाली है। आपको बता दें कि कनाडा में इसी साल चुनाव होने वाले हैं। साल 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले ट्रूडो के सामने मुश्किले बड़ी है। हर सर्वे में वो पिछड़ रहे हैं। पार्टी के अंदर ही फूट है। उनके बेतुके बयानों को लेकर भी चर्चा होती रहती है। वो बॉर्डर से अवैध घुसपैठ, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को लेकर अपने ही घर में घिर चुके हैं। वहीं भारत के खिलाफ बेबुनियाद आरोपों ने भी उनकी छवि खराब की है। इस बीच, भारत और कनाडा के बीच संबंध भी काफी हद तक खराब हो गए हैं और नई दिल्ली ने कनाडा में उग्रवाद, हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियों के मुद्दों पर कड़ी आपत्ति जताई है और वहां के अधिकारियों से कार्रवाई करने का आग्रह किया है। खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में कनाडाई नेताओं द्वारा निराधार आरोप लगाए जाने के बाद तनाव और बढ़ गया।
ट्रम्प के नए प्रशासन में मस्क का 'काम' क्या है?
मस्क ने चुनाव प्रचार में ट्रंप के लिए कैंपेन करते हुए कहा था कि हम अमेरिका के 2 लाख करोड़ डॉलर के संघीय बजट में कटौती करने में ट्रंप की मदद करेंगे। ऐसे में ये डिपार्टमेंट सरकार के गैरजरूरी खर्तों को खत्म करने की दिशा में काम करेगा। मस्क ने कहा कि इससे सरकारी पैसे की बर्बादी करने वाले लोगों को सीधा मैसेज भेजा जाएगा। डीओडीई के एजेंडे में बड़ा काम संघीय एजेंसियों का री स्ट्रक्चर है। इसका मतलब है कि सभी एजेंसियों के कामकाज का आकलन कर उनमें जरूरी बदलाव किए जाएंगे। गैरजरूरी काम को खत्म कर जरूरत के हिसाब से नई चीजें शुरू की जाएंगी। साथ ही अमेरिकी सरकार के कामकाज में दशकों से चले आ रहे नियमों में भी फेरबदल होगा। ट्रंप ने चुनाव प्रचार में कहा था कि मौजूदा सरकार में ब्यूरोक्रेसी का बोलबाला है। अगर मैं राष्ट्रपति बना तो बड़े बदलाव होंगे। इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ गर्वनमेंट एफिशियंसी (डीओजीई) बनेगा। ये अमेरिकी पॉलिटिकल सिस्टम में ब्यूरोक्रेसी के अंधाधुंध चलन को खत्म करेगा। कामकाज में कुशलता को बढ़ावा देगा।
सोनिया गांधी के एनएसी से क्यों हो रही तुलना
डीओजीई की तुलना भारत में दो दशक पहले के यूपीए सरकार के दौरान गठित एक सरकारी संस्था से भी हो रही है। कांग्रेस की उस वक्त की अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में दो दशक पहले इसका गठन किया गया था। इसे राष्ट्रीय सलाहकार परिषद यानी एनएसी का नाम दिया गया था। इस परिषद का काम नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देना था। सलाहकार समिति होने के बावजूद एनएसी को व्यापक स्तर पर सरकार के फैसलों में उसकी व्यापक भूमिका के लिए जाना जाता है। इस समिति में सोनिया की सीधी भूमिका थी। आपको याद होगा कि 2004 में यूपीए सरकार के दौरान मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। सोनिया गांधी ने सरकार में कोई औपचारिक पद नहीं लिया था। समिति में सोनिया गांधी की सीधी भूमिका थी। उनका इस समिति पर इतना प्रभाव था कि इससे कैबिनेट में तनाव भी बढ़ा। मस्क का डीओजीई भी सलाहकार समिति के तौर पर ही काम करेगा।
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