भीषण गर्मी का प्रचंड प्रहार, ब्रिटेन-स्पेन में चीख-पुकार, हीट वेव से क्यों जल रहा है यूरोप, भारत में 40 डिग्री आम तो ये देश क्यों हुए परेशान?

By अभिनय आकाश | Jul 21, 2022

प्रलय का मंजर कैसा होगा? हमारे पुरखों ने अलग-अलग वर्णन किए और हमने अलग-अलग नजरों से दृश्यों को देखा। दुनिया के एक हिस्से में जंगलों की आग कहर बरपा रही है तो वहीं दूसरे सिरे में बाढ़ ने अपना सितम दिखाया है।  एक तरफ भारत में भारी बारिश और बाढ़ से लोग प्रभावित हो रहे हैं। दूसरी तरफ यूरोप में गर्मी से लोगों की जान जा रही है। वैसे तो यूरोपीय देशों की पहचान ठंडे मुल्कों के तौर पर होती है। ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस, इटली और पुर्तुगाल यूरोप के ये देश गर्मी से उबल रहे हैं। जमीन और आसमान से अंगारे फूट रहे हैं। पूरी आवाम स्विमिंग पूल और बीच की तरफ भाग रही है। ये लोग 45- डिग्री सेल्सियस की गर्मी नहीं झेल पा रहे हैं। यहां के जंगल भी सूरज की तपिश से जल रहे हैं। कई हेक्टेयर जमीन स्वाहा हो गई है। 

पश्चिमी तट का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पार  

क्या आपने कभी आग का आसमान देखा है। अगर नहीं देखा तो कुछ दिन तो गुजारिए यूरोप में। ग्रीस की राजधानी एथेंस का एक वीडियो इन दिनों खूब वायरल हो रहा है। जहां के इलाकों में नीचे पेड़ और ऊपर धधकती आफत नजर आ रही है। रिकॉर्डतोड़ गर्मी की वजह से एथेंस के कई इलाकों में अचानक आग लगने की घटनाएं शुरू हो चुकी हैं। एथेंस के उत्तरी इलाके में तबाही सबसे ज्यादा हुई है। हीट वेव से उपजी आग ने यहां दर्जनों घरों को नुकसान पहुंचाया है। अब आपको ग्रीस से ढाई हजार किलोमीटर दूर फ्रांस का हाल बताते हैं। दूरी जितनी है उतना ही यहां हीट वेब का कहर भी बढ़ा हुआ है। एटलांटिक के पश्चिमी तट का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है। बीते दिनों इस प्रचंड गर्मी ने फ्रांस को भी झुलसा डाला। वाइल्ड फायर रिहाइशी इलाकों तक पहुंची तो साढ़े तीन हजार लोगों की जान पर बन आई। फायर फाइटर्स ने मोर्चा संभाला और इन लोगों को सुरक्षित जगह पर ले गए। फ्रांस में हीट वेव से सुलगी आग पर काबू पाने के लिए सरकार वॉटर बॉम्बिंग प्लेन की भी मदद ले रही है। लेकिन आग उगलते सूरज के सामने इंसानी कोशिश नाकाफी साबित हो रही है। चिरौंज इलाके में लगी आग की वजह से 5 हजार हेक्टेयर के जंगल जल गए हैं। 

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स्पेन में वाटर प्लेन के सहारे आग बुझाने की कोशिश 

फ्रांस के बाद प्रचंड गर्मी से लोहा लेते स्पेन का हाल भी जान लीजिए। यहां भी जंगलों में लगी आग को वाटर प्लेन के सहारे बुझाने की कोशिश हो रही है। जंगल में लगी आग ने स्पेन में अभी तक 85 स्क्वायर मील यानी 220 स्कावयर किलोमीटर की जमीन को अभी तक नुकसान पहुंचाया है। 18 जुलाई को तो स्पेन में एक ट्रेन के यात्री आग की लपटों को देख ऊपर वाले को याद करने लगे। 

ब्रिटेन में हीटवेब का सॉलिड अटैक 

ब्रिटेन में हीट वेव का अटैक सबसे सालिड हुआ है। रिकॉर्ड तोड़ पारे ने स्कूल-कॉलेज के गेट पर ताला लगवा दिया। लंदन उबल रहा है। रेल और विमान सेवाएं भी भीषण गर्मी की वजह से बुरी तरह प्रभावित हैं। ब्रिटेन में रनवे तक पिघलने लगा है। ब्रिटेन के कैंट और एस्सेक्स काउंटी में कई घरों में आग लगने की खबरों से हीट वेव का खौफ कई गुणा बढ़ गया है। ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) ने राष्ट्रीय आपातकाल लागू किया है और मौसम विज्ञान कार्यालय ने अत्यधिक गर्मी का पहला ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है। यह अलर्ट अत्यधिक गर्मी से जीवन के लिए खतरे की चेतावनी है। कुछ बारिश होने के पूर्वानुमान से पहले लू के चरम पर पहुंचने का अनुमान व्यक्त किया गया है। 

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 मौसम के मिजाज में क्यों आया बदलाव

मौसम में आए बदलाव के पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग का हाथ बताया जा रहा है। औद्योगिक क्रांति के बाद से दुनिया का तापमान करीब 1.1 प्रतिशत बढ़ चुका है। संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण पर पैनल आईपीसीसी ने कहा कि बीते सवा लाख वर्षों का सबसे गर्म दौर इस वक्त है। डीजल-पेट्रोल जैसे फॉसिल फ्यूल की ज्यादा खपत ने भी आबोहवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में इजाफा किया है। जिसकी वजह से दुनियाभर के देशों में जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं आ खड़ी हुई है। इसका सीधा असर मौसम पर भी पड़ा है। गर्म हवाओं के थपेड़ों में इजाफा हुआ है और इसकी अवधि भी बढ़ गई है। जिसका असर यूरोप में भी देखने को मिला है। उत्तरी यूरोप से आती हवाएं भी इस ठंडे इलाके को गर्म हवाओं का हॉट स्पॉट बना रही है। यूरोप के ज्यादातर हिस्सों की मिट्टी में नमी कम है। यानी, यहां की जमीन ज्यादा गर्मी नहीं सोख पाती, जिससे तापमान बढ़ता चला जाता है।

भारत में 40 डग्री आम, यूरोप में क्यों ये जानलेवा?

भारत में 40 डिग्री सेल्सियस का तापमान तो आम है। हर गर्मी इससे अधिक ही पारा चढ़ जाता है। लेकिन 40 डिग्री के तापमान ने यूरोप को परेशान कर दिया है। इसके पीछे का बड़ा कारण ब्रिटेन के लोगों को इतनी गर्मी की आदत नहीं है। वहां घरों से लेकर ऑफिस तक ठंडे मौसम के लिहाज से बनाए गए हैं। ज्यादातर पुराने घरों और इमारतों में कूलिंग सिस्टम नहीं है। वहां इस सीजन में अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रहता है। लेकिन इस बार तापमान ऐतिहासिक है। 

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भीषण गर्मी खतरे की घंटी के समान

आग उगलते आसमान पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से कहा गया है कि ब्रिटेन समेत यूरोप के कई देशों में पड़ रही भीषण गर्मी खतरे की घंटी के समान है और सरकारों तथा लोगों को इससे सबक लेते हुए जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने की दिशा में अधिक प्रयास करने चाहिए। संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव पेटेरी तालास ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के हमारे प्रयासों के बावजूद भीषण गर्मी का यह दौर कई दशकों के दौरान 2060 तक चलने की आशंका है। उन्होंने कहा कि दुनिया अधिक से अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कर वायुमंडल को दूषित कर रही है। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन का असर कोविड-19 महामारी से प्रभावित होने वाले बुजुर्गों, बीमार लोगों और श्वास संबंधी परेशानियों से पीड़ित लोगों पर ही सर्वाधिक होगा। 

सूरज की किरणों से कैसे हो बचाव 

यूरोपीय देशों में गर्मी की वजह से एक हफ्ते के अंदर 1700 से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं। ब्रिटेन, स्पेन, पुर्तगाल और फ्रांस में जंगल की आग इस गर्मी को और भड़का रही है। लंदन में टेम्स नदी पर बने ब्रिज की जंजीरों को फॉइल से ढका गया है, जिससे कि सूरज की किरणों से बचाव हो सके। ज्यादा गर्मी सहन करने लायक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में वहां कई साल लग जाएंगे। आने वाले वक्त में अब यूरोप के शहर मौजूदा इमारतों को गर्मियों में ठंडा रखने के लिए योजना बना सकते हैं। इसके लिए वे छाया तथा कूलिंग के उपायों को अपनाने के साथ-साथ हरे भरे इलाकों को बढ़ा सकते हैं, ताकि नगरीय इलाकों को ठंडा रखा जा सके। 

 -अभिनय आकाश


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