By अंकित सिंह | Jul 15, 2024
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्य क्रमचाय पर समीक्षा में इस सप्ताह उपचुनाव परिणाम, संविधान हत्या दिवस और अन्य सामयिक मुद्दों पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि देश के सात राज्यों की 13 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव परिणाम दर्शा रहे हैं भाजपा का ग्राफ तेजी से नीचे जा रहा है। विपक्षी गठबंधन इंडिया एलायंस में शामिल दलों को मिलती बढ़त यह संदेश भी है कि केंद्र सरकार को जनहित से जुड़े मुद्दों पर तत्काल ध्यान देना होगा। आंकड़ों में महंगाई और बेरोजगारी में कमी आने का हवाला देने की बजाय सचमुच में वस्तुओं के दामों में कमी और रोजगार के अवसरों का तेजी से सृजन करना होगा। इस चुनाव का एक संदेश यह भी है कि धर्म और राजनीति का घालमेल करने वालों और दल बदलुओं को सबक सिखाने की जनता ने ठान ली है।
प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि आपातकाल की अवधि के दौरान अमानवीय पीड़ा झेलने वालों के व्यापक योगदान को याद करने के लिये 25 जून को संविधान हत्या दिवस करना सराहनीय फैसला है। पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में घोषित किया गया था। देखा जाये तो इन दोनों कदमों का उद्देश्य यह है कि पिछली सरकारों की ऐतिहासिक गलतियां दोबारा कोई दोहरा नहीं सके और उन गलतियों से देश को क्या नुकसान उठाने पड़े इसके बारे में आज की और आने वाली पीढ़ी पूरी तरह जागरूक रहे। प्रभा साक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार यह बताने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस ने कैसे अपने शासन के दौरान देश के संविधान की हत्या की थी। कैसे लोगों के अधिकारों को छीन लिया गया था, लोगों को जेल में डाला गया था।
नीरज दुबे ने साफ तौर पर दावा किया कि इतिहास की गलतियों से सबक लेकर ही हम अपना भविष्य बना सकते हैं। दोबारा कभी ऐसी गलती ना हो, इसको भी लोगों के समक्ष रखने की कोशिश की जा रही है। साथ ही साथ यह भी बताने की कोशिश की जा रही है कि कांग्रेस हम पर आरोप लगा रही है लेकिन कहीं ना कहीं उसी ने संविधान के खिलाफ के खिलाफ काम किया है। कैसे एक प्रधानमंत्री के करीबी लोगों तक ही सरकार सीमित रह गई थी। राष्ट्रपति तक को पता नहीं होता था कि क्या होने वाला है। ऐसे में कहीं ना कहीं संविधान हत्या दिवस के बहाने मोदी सरकार कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि संविधान की कॉपी लहरा देने से ही आपकी भक्ति नहीं पता चलती बल्कि आपने जो इतिहास में किया है, उसे भी सामने लाया जाना चाहिए।
उपचुनाव के नतीजों पर नीरज कुमार दुबे ने कहा कि जनता उन लोगों को सबक सिखा रही है जो दल बदलू हैं। जो अपने स्वार्थ में एक दल से दूसरे दल में जाते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल में यह मामला नहीं हो पाया है। लेकिन बाकी दूसरी जगह पर साफ तौर पर देखने को मिला है कि दलबदलुओं को जनता ने सबक सिखा दिया है। उन्होंने कहा कि उपचुनाव में अलग मुद्दे होते हैं। उपचुनाव के जो नतीजे हैं, वह किसी सरकार के लिए खतरा नहीं है। लेकिन उत्तराखंड के लिए जो परिणाम आए हैं वह भाजपा के लिए झटका है। भाजपा बद्रीनाथ सीट भी हार चुकी है। अयोध्या के बाद भाजपा को यहां बड़ा झटका लगा है। इस चुनाव में देखा जाए तो कांग्रेस को कोई खास सफलता नहीं मिली है। हालांकि पार्टी उसे अपनी सफलता से जोड़ रही है।